विभा व अमोघ का आंगन कई मन्नतों के पश्चात बेटी की किलकारियों से गूंज उठा। चूँकि बड़े भागीरथ प्रयासों से संतान का सुख नसीब हुआ तो बेटी का नाम रखा जान्हवी। बेटी क्या आई कि जीवन में ख़ुशी की लहर आ गई। मानो मरुभूमि में गंगा मैया की निर्मल धारा का अवतरण हो गया हो। संयुक्त परिवार में तो चचेरे ममेरे भाइयों का तांता लगा ही रहता है।
छः वर्षीया बालमना को इन भाइयों का अनचाहा स्पर्श व आलिंगन आहत कर देता है। एक बार सुनसान घर में मासूम सी अधखिली कली को कुचल ही दिया जाता यदि जान्हवी अपने नाख़ून भाई की आँखों में खोप ना देती। ज्यों ही वह माँ के आगोश दुबक अपनी आपबीती बयाँ करती है,
पास के मंदिर से “राम तेरी गंगा मैली हो गई” गीत सुनाई देता है। विभा बेटी को पुचकारते हुए कहती है,” वेदों में लिखा है कि कलियुग में पवित्र गंगाजी का विनाश प्रारम्भ हो जावेगा। गंगा अपने उद्गम गंगोत्री से यात्रा करते बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।
लोक कल्याण को आतुर गंगा को दूषित कर अपवित्र बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। शुक्र है हरिद्वार तक दरिंदों ने इतनी छेड़छाड़ नहीं की। किन्तु कानपुर के कल कारखानों ने नदी के सौंदर्य पर दाग लगा दिया। “
माँ की बातों को तन्मयता से सुनती बेटी बोल पड़ी, ” तो क्या बेजान नदियों को भी गंदे लोग नहीं छोड़ते हैं। “
माँ ने समझाया, ” हाँ बेटा,
रासायनिक खादों ने तो माँ पर बलात प्रहार ही कर दिए हैं। बाँधों व पुलों ने उसे प्रौढ़ बना दिया। “
जान्हवी आकुल हो बोली,” ओह! बेचारी बेजान मूक नदियों के साथ कितना अत्याचार होता है।” विभा ने बेटी को याद दिलाया, “यही तो मैं समझाने की कोशिश कर रही हूँ, तुम सक्षम हो, अपनी आबरू बचाने के लिए आवाज़ उठा सकती हो। हौंसला रखो,
उठो और सामना करो ऐसे
अत्याचारियों का। फिर तुम्हें तो पापा जूडो कराटे भी सिखाते हैं। अपनी सहेलियों को भी समझाओ। सरकार ने भी ऐसे अपराधों के लिए कड़े कानून बनाए हैं।”
बेटी उत्सुकता से पूछती है,”फिर माँ बेचारी नदियों के लिए भी सरकार को कुछ करना चाहिए।” विभा ने बताया,” हाँ ,क्यों नहीं, देखो सरकार ने गंगा शुद्धिकरण के लिए उमा भारती जी के नेतृत्व में अभी तक दो एक्शन प्लान बनाए हैं। तुम स्वयं भी अपने लिए प्लान बना सकती हो। वाराणसी में जाकर देखो गंगा मैया को। बिल्कुल गुजरात की साबरमती की तर्ज पर कार्य हो रहा है। “
बेटी ने माँ को दिलासा दी,” माँ ! मैं बड़ी होकर नदियों को बचाने हेतु जलधारा जैसा ग्रुप बनाकर लोगों में अलख जगाने का बीड़ा उठाऊँगी। “
” शाबाश मेरी लाड़ो ” कहते हुए माँ बेटी को बेटी बचाओ नदी संवारो गुनगुनाते हुए सुला देती है।
जान्हवी भी सपनों के संसार में खोकर देखती है कि वह झांसी की रानी बन गई है और
नवयौवना गंगा अपनी हजारों कि मी की आसमानी चुनरिया
हवा में लहराते हुए नृत्य कर रही है। इतने में ही माँ मीठी नींद से जगा देती है।
सरला मेहता
इंदौर
मौलिक