प्यासी नदी – मुकेश कुमार : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : दामिनी बचपन से ही होनहार थी। शुरू से ही प्रत्येक क्लास में टॉपर रही थी, चाहे वह टेंथ का एग्जाम हो या ट्वेल्थ का एग्जाम हो हमेशा वह टॉपर  ही रही। बस एक चीज की कमी थी। वह देखने में सुंदर नहीं थी। और शायद यही उसकी सबसे बड़ी कमी थी।

वो अब 34 वर्ष की हो गई है लेकिन अभी तक वह कुंवारी है। अब तक 9 से ज्यादा बार उसकी शादी तय हुई और टूट चुकी है। किसी को भी दामिनी पसंद नहीं आती थी। अगर लड़के वाले दामिनी को पसंद भी करते थे तो फिर दामिनी को वो लड़का पसंद नहीं आता था।

दामिनी कानपुर के पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थी। यह भी आश्चर्य की बात है कि इतने बड़े पद पर होने के बाद भी दामिनी से कोई शादी करने को तैयार नहीं था।  दामिनी के सारे गुण उसके सुंदर ना होने के कारण फीके पड़ जाते थे।

दामिनी के मां बाप भी परेशान हो गए थे।  क्योंकि दामिनी से छोटे एक भाई और एक बहन भी थी।  जब तक दामिनी की शादी नहीं होगी तो छोटे भाई बहनों की शादी कैसे होती।  दामिनी ने तो अपने मां-बाप से यह भी कह दिया था कि आप छोटे भाई बहन की शादी कर दो।  मेरी शादी नहीं होगी तो उनकी शादी नहीं होगी क्या?



लेकिन मां बाप तो आखिर मां बाप ही होते हैं उनके लिए तो उनके सारे बच्चे एक समान होते हैं।  भले दुनिया की नजर में कैसे भी हो। एक दिन दामिनी अपने बैंक के ऑफिस में बैठी हुई थी तभी बाहर से चपरासी ने बताया कि आपसे कोई मिलना चाहता है। दामिनी बोली,  ठीक है अंदर भेज दो।

वह व्यक्ति जैसे ही दामिनी के केबिन में प्रवेश किया। दामिनी उसे देखकर एक पल में ही पहचान गई और उसके मुंह से निकल गया अरे राघव तुम! यहां कैसे?  राघव भी दामिनी को पहचान गया था और उसने कहा, अरे! तुम इस बैंक के मैनेजर हो अब तो मेरा काम आसानी से हो जाएगा।

दरअसल राघव और दामिनी इलाहाबाद के कॉलेज में साथ पढ़ा करते थे और दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी।  लेकिन कॉलेज के बाद दोनों अपने अपने रास्ते हो लिए थे। राघव सिविल सर्विस की तैयारी करने में जुट गया था और दामिनी बैंक की तैयारी करने लगी थी।  दोनों के रास्ते अलग हो गए थे उस समय के बाद आज पहली बार दोनों मिल रहे थे।

दामिनी और राघव ने काफी देर तक एक दूसरे से बात किया।  उसके बाद दामिनी ने राघव से पूछा कि सिविल सर्विसेज में तुम्हारा सिलेक्शन हुआ या नहीं । राघव बोला, “मैडम अगर मेरा सिलेक्शन हुआ होता तो आज आपके पास मैं बिजनेस लोन लेने के लिए थोड़ी आया होता।”

दामिनी बोली कि अच्छा तुम्हें बिजनेस लोन चाहिए।  राघव बोला कि हां मैं एक टी शर्ट की फैक्ट्री लगाने की सोच रहा हूं। पैसे कम पड़ रहे हैं कई दिनों से इस बैंक के चक्कर लगा रहा हूं।  किसी ने बताया कि तुम डायरेक्ट मैनेजर से मिलो वह बहुत ही ईमानदार है। 

वह तुम्हारा लोन एक बार में ही पास कर देंगी। अब मुझे क्या पता था कि वह मैनेजर तुम हो।  मुझे पता होता कि तुम ही यहां की मैनेजर हो तो मैं कब का  तुमसे मिल गया होता। अब धीरे-धीरे  राघव और दामिनी की दोस्ती फिर से बढ़ना शुरू हो गई। दामिनी राघव को चाहने लगी थी लेकिन वह इस इंतजार में थी राघव उसे पहले इजहार करें।

दामिनी ने एक दिन राघव के बारे में अपनी मां से भी बात की, “माँ, राघव बहुत अच्छा लड़का है मैं उसे कॉलेज के दिनों से ही जानती हूं आप एक बार देख लो अगर आप हां बोलेंगी तभी मैं उससे शादी की बात करूंगी। लेकिन राघव, दामिनी से प्यार नहीं करता था बल्कि वह उसके पैसे और पद का इस्तेमाल कर रहा  था। 

जब भी उसे पैसे की जरूरत पड़ती थी दामिनी से किसी ना किसी बहाने पैसे ले लिया करता था। दामिनी एक दिन राघव को अपने घर अपनी मां से मिलाने ले कर गई। राघव घर गया तो राघव का घर में सभी ने बहुत अच्छे से मेहमाननवाजी किया।

दामिनी ने अपनी बहन सीमा का राघव से परिचय कराया, “यह भी बैंक की जॉब  की तैयारी कर रही है और बहुत जल्दी ही पीओ बन जाएगी। दामिनी देखने में जितनी बदसूरत थी उसकी बहन सीमा देखने में उतनी ही सुंदर थी।  राघव सीमा को देखते ही एक नजर में ही उसका दीवाना बन गया।



उस दिन के बाद से तो राघव दामिनी के घर कोई न कोई बहाने बनाकर पहुंच जाता था।  दामिनी को लगता था कि वह उससे प्यार करता है इस वजह से अक्सर घर आता है। कहीं घूमने भी जाते थे तो राघव, दामिनी से सीमा को भी साथ ले जाने की बात करता था।  शुरु-शुरु में दामिनी यह बात समझ नहीं पाई कि राघव उसे नहीं सीमा को पसंद करता है।

दामिनी और राघव को मिले हुए 1 साल से भी ज्यादा हो गए थे लेकिन उनका रिश्ता ज्यों का त्यों था।  दामिनी ने एक दिन राघव से बोल ही दिया। राघव तुम्हारा शादी कब करने का मन है । राघव को लगा कि दामिनी अपनी बहन की बारे में बात कर रही है।  

राघव ने बोला कि इस साल के अंत में कोई अच्छा सा मुहर्त देख कर शादी कर लेंगे। राघव बोला मैं अपने मम्मी पापा से बात कर लेता हूं और सगाई का डेट तय कर लेते हैं। 15 सितंबर के दिन सगाई का दिन तय हुआ।  राघव के मां बाप और राघव सगाई करने के लिए दामिनी के घर पहुंच चुके थे।

दामिनी को लग रहा था कि उसकी खुद की सगाई है लेकिन राघव तो सीमा से शादी करने के लिए अपनी मां-बाप से बताया था और उसी की तस्वीर भी दिखाया था सीमा तो थी ही इतनी सुंदर कि उसको देखते ही उसके मां-बाप एक पल में ही राजी हो गए थे।

दामिनी अपने कमरे में सज संवर रही थी। वह बार-बार अपने आपको आईने में देख रही थी और यही सोच रही थी  राघव के मां-बाप उसे कैसे भी करके पसंद कर ले। सीमा नाश्ता लेकर देने के लिए पहुंची तो  राघव ने इशारों में अपने मां-बाप को बताया कि यही है। 

राघव की मां बोली, “बेटी आ जाओ तुम यहां बैठो, मेरी बहू तो लाखों में एक है।” यह सुनते ही दामिनी की मां ने बोलना चाहा कि बहन जी आप जिसे बहु समझ रही हैं वह यह नहीं है।  यह बात दामिनी पीछे से सुन लिया था।

तब तक दामिनी पहुंच गई और अपनी मां को रोकते हुए बोली कि हां हां आंटी आप सही कह रही हैं मेरी बहन तो है ही लाखों में एक।

सीमा भी समझ नहीं पा रही थी कि यह हो क्या रहा है क्योंकि वह अपनी दीदी के रास्ते में नहीं आना चाहती थी।  वह भी मन-ही-मन राघव को पसंद करती थी लेकिन उसे पता था की दीदी राघव को पसंद करती हैं इसलिए वह चुपचाप थी।  



दामिनी वही सोफा पर सीमा के साथ बैठ गई और बोली राघव अब देर किस बात की पहना दो अंगूठी मेरी बहन को। राघव ने देर ना करते हुए सीमा को सगाई की अंगूठी पहना दी और सीमा ने भी राघव को अंगूठी पहनाई।

दामिनी की मां कुछ भी समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या हो रहा है लेकिन दामिनी अपनी मां को चुप होने का इशारा कर दिया था।  कुछ देर बाद राघव और राघव के माता-पिता यहां से चले गए थे। उसके बाद दामिनी की मां दामिनी को पकड़ कर खूब जोर से रोने लगी और कहने लगी बेटी तुमने ऐसा क्यों किया एक तो तुम्हारी शादी नहीं हो रही थी। 

दामिनी बोली, “मां मैं जान गई थी कि राघव मुझ से नहीं बल्कि सीमा से प्यार करता है और अपने मां-बाप से उसने सीमा के बारे में ही बताया है इसी वजह से उसके मां-बाप एक पल में ही राजी हो गए थे। अगर वह मेरे बारे में बताया होता तो शायद उसके मां-बाप इतना जल्दी राजी नहीं होते।

सीमा भी तो राघव को पसंद करती है इसमें हर्ज ही क्या है।  राघव वैसे बुरा लड़का नहीं है, मैं उसे कॉलेज के दिनों से ही जानती हूं।  हमारी बहन को सदा सुखी रखेगा।” कुछ दिनों के बाद राघव और सीमा की शादी धूमधाम से हो गई।  राघव इस घर में आता तो जरूर था लेकिन वह अब दामिनी से नजरें नहीं मिला पाता था।

दामिनी ने अब  शादी नहीं करने का फैसला कर ली थी। उसने महिलाओं को लघु उद्योग का प्रशिक्षण देने के लिए एक NGO खोल लिया था और अपना नौकरी के बाद सारा टाइम उसी NGO को देती थी।  उसके पास सब कुछ था लेकिन वह अभी प्यासी थी

क्योंकि दोस्तों एक स्त्री के जीवन में चाहे लाख खुशियां हो अगर वह सुहागन नहीं बनती है तो वह अपने आपको अधूरी ही मानती है। ये मेरा अपना विचार है। आप क्या सोचती हैं इस बारे मे अपनी राय कमेन्ट मे जरूर दें।

लेखक : मुकेश पटेल

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