परीक्षा – संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “क्या बात है मोहन इतने परेशान क्यों हो?” स्मिता ने अपने पति से पूछा।

” स्मिता संजना(मोहन की बहन) के ससुराल वाले जल्दी शादी करना चाहते है!” मोहन ने बताया।

“तो इसमें परेशान होने वाली क्या बात ये तो खुशी की बात है!” स्मिता ने कहा।

“हम्म खुशी की बात तो है पर तुम तो जानती हो अभी पिताजी की बीमारी और फिर उनके अंतिम संस्कार में कितना पैसा खर्च हो गया जो जमा पूंजी थी उसमें से बचा ही क्या है। कैसे होगा शादी का खर्च फिर कल को अपने बच्चे भी बड़े हो रहे!” मोहन रूआंसा हो बोला।

” हां ये तो सही कहा आपने पर बच्चो के लिए तो अभी समय है फिलहाल तो संजना की शादी का सोचना है!” स्मिता बोली।

” ईश्वर भी कैसी परीक्षा लेता है स्मिता सब कुछ सही चल रहा था कि अचानक पिताजी की बीमारी ने सब कुछ हिला दिया!” मोहन बोला।

” ईश्वर परीक्षा तो सबकी लेता रहता है कोई उसमे पास होता कोई फैल हो जाता। पर हमे पास होना है मोहन ईश्वर की हर परीक्षा में । पिताजी के ना रहने से संजना हमारी ही जिम्मेदारी है और कोई भी कमी रही तो सबको ये लगेगा हमने बोझ उतरा है बस अपना!” स्मिता बोली।

” वहीं सब सोच कर तो मैं परेशान हूं पहले पिताजी की पेंशन मेरी सैलरी सब मिला काफी हो जाता था पर अब कमाई घट गई खर्च बढ़ गए!” मोहन बोला।




” भैया भाभी आप परेशान मत होइए उन लोगों से बोल दो कि हम अभी शादी नहीं कर सकते उन्हें जल्दी है तो कहीं और कर ले रिश्ता!” तभी वहां संजना आकर बोली।

“पगली तू क्यों चिंता करती है हम हैं ना !” मोहन संजना के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला।

” पर भैया आपको परेशान कर मैं अपना आशियाना नहीं सजा सकती आप मना कर दो बस उन्हें!” संजना ने कहा।

” नहीं संजना लोग क्या कहेंगे पापा के मरते ही भाई भाभी ने रंग दिखा दिए और बहन की शादी तोड़ दी ये शादी तो होगी ही तू फ़िक्र ना कर हम हैं ना तुम जाओ बस शादी की तैयारी करो!” स्मिता बोली।

” सुनिए मेरे गहनों को पॉलिश करवा कर संजना को नहीं दे सकते क्या?” रात को स्मिता मोहन से बोली।

” स्मिता तुम्हारे गहने कैसे … हे भगवान कैसी परीक्षा की घड़ी लाए हो बीवी के गहने बहन को देने पड़ रहे!” मोहन दुखी हो बोला।

” आप परेशान मत होइए आप और मैं अलग थोड़ी दोनों मिलकर इस परीक्षा को पार करेंगे अभी सो जाइए!” स्मिता प्यार से बोली।




स्मिता अपने गहनों को पॉलिश करवा लाई तभी कोरोना ने अपना रूप फिर दिखाना शुरू किया और शादियों में मेहमानों की संख्या बहुत कम रह गई।

तभी संजना के होने वाले ससुर का फोन आया!” बेटा मोहन अब बड़े पैमाने पर तो शादी होगी नहीं पर हम शादी को आगे नहीं टालना चाहते तो घर के दस लोग आएंगे हम बस अपनी बहू को ले जाने तो बेटा तुम ज्यादा तामझाम मत करना !”

” जी अंकल जैसा आप ठीक समझे !” मोहन बोला।

” स्मिता देखो भगवान ने परीक्षा में डाला तो उसको पास करने का रास्ता भी से दिया अब शादी का खर्च तो ना के बराबर रहेगा तो जो पैसे जोड़ रखे वो हम संजना के नाम कर देंगे बाद में वो गहने बनवा लेगी अभी जो चैन अंगूठी बन गई थी फिलहाल वहीं दे देंगे!” मोहन स्मिता को सब बात बता बोला।

” पर ये गहने भी तो पॉलिश हो गए !” स्मिता बोली।

” हां स्मिता पर इन्हे तुम अपने पास रखो मानता हूं तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है तुम एक अच्छी पत्नी और मां ही नहीं एक अच्छी बहू और भाभी भी हो पर ईश्वर का भी यही इशारा है कि ये गहने तुम रखो!” मोहन प्यार से बोला।

” हां भाभी मुझे तो बस आप आशीर्वाद दो मैं भी आपके जैसी बन सकूं !” संजना ने कहा और भाभी के गले लग गई।

दोस्तों ये सच है ईश्वर परीक्षा की घड़ी लाता है हमारी जिंदगी में पर अपने सच्चे भक्तों को रास्ता भी वही दिखाता है और जहां परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे को समझे एक दूसरे के लिए त्याग को तैयार रहे वो परिवार तो हर परीक्षा पार कर जाते है।

#कभी धूप कभी छांव

आपकी  

दोस्त

संगीता अग्रवाल 

 

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