सुधा जी पचहत्तर साल की उम्र में भी अपना सब काम खुद ही करती थीं। बाथरूम में फिसल जाने के कारण गिर गयी थी। बडी मुश्किल से खुद ही उठकर पड़ोस में रहने वाली पगली (उम्र बीस साल) को कॉल करके बोला , जल्दी से आ जाओ चोट लग गयी है हॉस्पिटल ले चलो हमको ।पगली भागती हुई ऑटो ले के आयी और सुधा जी को पकड़ के ऑटो में बिठा हॉस्पिटल ले गयी ।
बहुत ज्यादा खून निकल जाने के कारण ,सुधा जी बेहोश हो गयी थी। जब आँख खुली तो अपने आप को हॉस्पिटल के बेड पर पाया । चारो तरफ नज़र घुमाया देखा तो बस, पगली ही थी। बोली सुधा चाची अब कैसी है आप?सुधा जी ने बोला,बस बच गयी आज मैं, तूने मुझे नया जन्म दिया है पगली।तू नही होती तो आज मैं मर ही जाती ।
चुप रहो चाची । मरे आपके दुश्मन ,आप को अभी बहुत जीना है, समझी ,मेरी शादी भी तो करानी है, अच्छी अच्छी साड़ी भी देना है आपको याद है की भूल गयी?सुधा जी मुस्कुराते हुये बोली सब याद है पगली ।
सुधा जी हॉस्पिटल में बेड पर पड़ी सोच रही थी, हे भगवान कौन
से अपराध की सजा दे रहे है मुझे? मैं शादी करने महलो में आई थी ,रानी बन के रही , दोनो बेटो को शहर के सबसे बड़े स्कूल में पढ़ाया । सारी सुख सुविधा दी मैंने। ,कभी अपने बच्चों को गांव ले के नही गयी, बच्चों को अपने नाना नानी ,दादा दादी से दूर रखा, की कही गाँव मे जा के मेरे बच्चे बिगड़ ना जाय। जैसा चाहा वैसा अपने बच्चों को बनाया।मैं सोचती थी जितना ज्यादा पैसे बच्चे कमाएंगे ,
समाज मे मान सम्मान बढेगा मेरा। आज बच्चे दोनो इतना आगे बढ़ गये की, अमेरिका शिफ्ट हो गये। अपने परिवार के साथ । जब बच्चे गये तो मैं कितनी खुश थी।की मेरे बच्चे जैसा कोई नही है, मेरे दोनो बच्चे अमेरिका में रहते है,
लेकिन आज जब शारीर साथ नही दे रहा है, तो बच्चों की बहुत याद आ रही है, । आस पड़ोस के बच्चे ही मेरे दुख सुख में काम आते है। जिन बच्चों से कभी मैं अपने बच्चों को दूर रखा करती थी । यही सब सोच सुधा जी की आँखों से आँसू रुक नही रहे थे।
तभी पगली आयी और जोर से चिल्लाते हुये बोली उठो सुधा चाची, डॉक्टर ने आपको घर जाने की छुट्टी दे दिया है। सुधा जी बिना कुछ बोले उठ गयी और पगली के कंधे पर हाथ रख धीरे धीरे चल रही थी।
घर पहुँच कर बिस्तर पर लेट गयी । पगली ने बोला चाची ,मेरी माँ ने बोला है,मैं कुछ दिन आपके पास ही रह जाऊ? आपका सारा काम कर दूंगी। मालिश भी कर दूंगी। आप जब ठीक हो जाएगी तो ,मैं चली जाऊंगी।सुधा जी ने बोला ठीक है,।
पगली ने बोला पता है चाची मेरी शादी तय हो गयी है, बस इसी ठंडी में मैं भी अपने ससुराल चली जाऊंगी।
मेरी माँ शादी की जगह खोज रही है,मेरा घर एक कमरे का है, बड़ी परेशान है, शादी कैसे करे?। सुधा जी ने बहुत सोचा औऱ पगली को बोला सुनो मेरा सब समान बड़े वाले कमरे मे सेट कर दो।मुझे इतने बड़े घर की जरूरत नही है । पगली कुछ समझी नही बस जैसा -जैसा सुधा जी ने बोला कर दिया ।
सुधा ने बड़ा सा बोर्ड बनवाया जिसपे बड़े अक्षरों में लिखा था ,
“” सुधा मैरिज हॉल”
(बुकिंग चार्ज -आपकी जो इच्छा हो दे दे )।
सुधा मैरिज हॉल का
पूरे शहर मे शोर हो गया । पगली की शादी उसी मैरिज हॉल से हो गयी । पगली औऱ उसका परिवार बहुत खुश था।
सारे मीडिया वाले , पहुँच गये। सुधा जी से पूछा गया , आपने इतना बड़ा घर मैरिज हॉल क्यो बना दिया? बोली हमको इस घर की कोई जरूरत नही है । एक कमरा ही बहुत है।, मीडिया वालों ने पूछा , अगर आप इस घर को बेच देती तो करोड़ो रूपये मिलते ,आपने बेचा क्यो नही? मेरे बच्चों के पास बहुत पैसे है, मुझे दो टाइम ,दो रोटी चाहिए बस ।
अंतिम प्रश्न सुधा जी ,आप ने ऐसा
क्यो किया? औऱ आप लोगो को क्या संदेश देना चाहेगी?
मैंने अपने गलतियों का “प्रयाश्चित” किया है। और मैं लोगो को यह संदेश देना चाहूँगी की “”अपने बच्चों को उच्च शिक्षा जरूर दे, लेकिन रिश्तों की इज्जत करना, भी सिखाये।पैसा कम होगा तो चलेगा, लेकिन संस्कार नही होगा तो ,वो सब कुछ होने के बाद भी कभी खुश नही रह पायेंगे। उनको अपनी मिट्टी से जोड़कर रखे।
ताकि वो अपने संस्कार ना भूले।
रंजीता पाण्डेय