पहली किरण : प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————-

रात कितनी भी गहरी काली हो पर उसको जाना ही होता है और बादलों के रथ पर सवार अरूणोदय धरती को छूने के लिए बेताब पहली किरण के रूप में झांकता हुआ सारी दुनिया को अपने आने की दस्तक दे देता है।बस यहीं से शुरूआत होती है एक नए दिन की। हमारी निद्रा टूटते ही हमारे जीवित होने का अहसास दिलाती है।

पक्षी अपने घोंसले से निकल कर उड़ जाते हैं खुले आसमान में अपने भोजन की तलाश में और हम सब नई सुबह का स्वागत करते हैं और ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि हमारे कर्म से कभी किसी को आहत ना पहुंचे ये दुआ मांग कर अपनी दिनचर्या में पुनः जुट जाते हैं।

जीवन के भवसागर में डूबते-उतराते हुए इंसान अपनी मंजिल पाने के लिए बेताब रहता है और इसी दौड़ में शामिल था सुबोध। जहां हांथ लगाता निराशा ही हाथ लगती लेकिन हौसले बुलंद थे उसी पहली किरण की तरह की कभी तो सफलता मिलेगी। ख्वाब बहुत बड़े थे और मेहनत भी बड़ी पर प्रारब्ध ही कहीं ना कहीं बीच में आ जाता था। कहते हैं ना इमानदारी और लगन से आप कुछ करते हो तो जीत को भी नतमस्तक होना पड़ता है आपके आगे।

बहुत सारी परिक्षाओं में सफलता मिली थी पर इंटरव्यू में कुछ ना कुछ कमी रह जाती और हताश-निराश ही हांथ लगती,पर वो और भी ज्यादा मेहनत करता की इस बार कोई भी चूक नहीं करेगा। परीक्षा भी अच्छी हुई और इंटरव्यू भी अच्छा रहा।बस इंतजार था कि परिणाम उसके पक्ष में आ जाए।घर के हालात अच्छे नहीं थे सबको उसकी बहुत जरुरत थी।

 घर की मुर्गी दाल बराबर :  विधि जैन : Moral Stories in Hindi

उसकी नौकरी सिर्फ उसके लिए ही नहीं थी बल्कि मां का इलाज, बाबू जी की मदद,भाई की पढ़ाई और बहन के हांथ पीले करने थे।ये परिणाम आखिरी उम्मीद था इसके बाद वो कई परिक्षाओं में बैठ नहीं सकता था क्योंकि उम्र भी निर्धारित होती है कई परिक्षाओं में।

बिस्तर पर करवटें बदलते – बदलते ना जाने कितने ख्याल आ रहे थे। अपने को लाचार महसूस कर रहा था सुबोध।

हे प्रभु!” मैं बड़ा बेटा हूं घर का, मुझे पिता जी की जिम्मेदारी को साझा करना है। कितने कमजोर हो गए हैं उमर के साथ – साथ फिर भी बिना कुछ कहे सबकी जिम्मेदारियों को आज भी निभा रहे हैं। उन्होंने कबसे अपने लिए कुछ नहीं लिया है। कमीज़ कितनी पुरानी है काॅलर बदलवा कर पहनते हैं और एक जोड़ी जूता जो खुद ही साथ छोड़ना चाहता है।”

इसी उधेड़बुन में ना जाने कब नींद आ गई और मां के पूजा की घंटी से उसकी नींद खुल गई।आज का दिन उसके जीवन में बहुत बदलाव लाने वाला था अगर उसे सफलता मिली तो पूरे परिवार का दिन बदलने वाला था और अगर…..तो कुछ ना कुछ निर्णय लेना ही होगा कि कैसे कुछ काम-धंधा करके अब घर की ज़िम्मेदारी उठाए।

सुबह से सिर्फ चाय पी थी और कमरे में इधर-उधर सिर्फ चहलकदमी ही कर रहा था। हजारों सवाल मन में चल रहे थे। मां समझाने की कोशिश करती कि,” बेटा तुमने अपनी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी है जो भी होगा हमें कोई शिकायत नहीं है।इस बार देखना तुम्हें जरूर सफलता मिलेगी।दिन बहुत लम्बा हो गया था एक पहर जा चुका था दूसरे ने भी दस्तक दे दी थी ‌तभी फोन पर घंटी बजी।

सुबोध के हांथ कांप रहे थे। सुबोध!” रिजल्ट आ गया है लिस्ट देखो भाई” राहुल उसका जिगरी यार था और इस समय उच्च पद पर आसीन भी। सुबोध को हमेशा सही सलाह देता और हौसला-अफजाई भी करता रहता। भाई!” तू ही देख ले….

 सम्मान की सूखी रोटी :  पूनम अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सुबोध की ये आखिरी उम्मीद थी ‌। अरे भाई टापर्स में नाम है तेरा दूसरे स्थान पर है तू।” सुबोध की आंखों से अश्क बहने लगे और अपने कानों पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी मंजिल उसके सामने खड़ी है सफलता के रूप में। उसने जल्दी से रिजल्ट देखा, आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था।इतने में तो मोहल्ले में हल्ला मच चुका था।

घर पर लोगों का तांता लगने लगा था और मां – पिताजी तो खुशी से झूम रहे थे। मां ने जल्दी से जाकर मंदिर में दिआ जलाया और भगवान को गुड़ का भोग लगा कर लाख – लाख धन्यवाद दिए जा रहीं थीं। पापा मे तो ना जाने कहां की फुर्ती आ गई थी की घुटने का दर्द ही गायब हो गया था।ये परिणाम सिर्फ सुबोध का नहीं था बल्कि परिवार में लम्बे समय के बाद खुशियां खुद चल कर आईं थीं अब सबकुछ बदलने वाला

था। मीडिया से पत्रकार भी आ गए थे सबका इंटरव्यू लेने।पल भर में दुनिया ही बदल गई थी सबकी। छोटे भाई-बहन के लिए प्रेरणा था ये रिजल्ट और उनके उज्जवल भविष्य की चाभी भी था।सबके मन की दबी ख्वाहिशों को पूरा करने का वक्त आ चुका था। सुबोध ने मां – पापा के पैर छुए और भगवान को धन्यवाद दिया।अब उसके चेहरे की चमक और उसके चलने – बोलने का अंदाज ही बदल गया था।

उसने अपने मां – पापा को धन्यवाद दिया कि उन्होंने उसका साथ हमेशा निभाया था, उनके धैर्य और दुआएं ही काम आईं थीं। रात अंधेरी निकल चुकी थी और खुशियों का गुल्लक पकड़ा गई थी सुबोध के परिवार के हांथ में।

 

                               प्रतिमा श्रीवास्तव

                                नोएडा यूपी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!