प्यारे अमित – गरिमा जैन 

  बहुत दिन हुए तुमसे कोई बातचीत नहीं हुई ।पहले तुम्हें जब मन फोन कर लिया करती थी पर अब वो अपनापन नहीं लगता कि जब चाहू तुमसे बात कर लूं इसलिए तुम्हें आज एक पत्र लिखने बैठ गयी। ऐसे तो यह बीते जमाने की बात हो गई पर कहते हैं ना कभी  कभी पुरानी बातें बहुत प्यारी लगती हैं ।शायद जब तक यह पत्र तुम तक पहुंचे तो मैं तुम्हारे घर से जा चुकी होंगी। वैसे भी तुम्हें इससे क्या फर्क पड़ेगा ! सोच रही हूं मम्मी के यहां जाऊं जो कोर्स अधूरा छूट गया था वह भी पूरा कर लूँ और छोटी मोटी कोई नौकरी मिले तो कर लूं समय नहीं बीतता।

            मुझे आज भी याद है वह दिन जब मेरी तुमसे सगाई हुई थी मेरे चेहरे पर से मुस्कुराहट जाती ही नहीं थी। कभी-कभी लगता था कि लोग मुझे पागल ना समझे। हर समय किसी ना किसी तरह तुम्हारे बारे में जानने का प्रयास करती रहती । नाते रिश्तेदारों से ,सहेलियों से, जो भी तुम्हें जानता था उससे तुम्हारी रूचि अरुचि के बारे में पूछती ।

ऐसे ही मुझे मालूम पड़ा था कि तुम्हें चमचम बहुत पसंद है। ऐसे तो मैं मीठा बहुत कम खाती हूं पर तुम्हारे लिए मैंने चमचम बनाना सीखा था ।कई बार बनाने के बाद इस में एक्सपर्ट हो गई थी ।शादी के बाद जब माँ ने पहली बार मीठा बनाने को कहा तब मैंने चमचम ही बनाई पर तुम्हें तो उस दिन भी ऑफिस जाना था। तो मैंने तुम्हारे टिफिन में रख दी थी ।मैं दिन भर इंतजार करती रही थी तुम्हारे फोन का कि तुम फोन करके बताओगे कि चमचम कितनी अच्छी बनी थी पर तुम्हारा कोई फोन नहीं आया ।शाम को तुम आए तब मैंने  बेसब्री से इंतजार किया कि अब तो तुम कुछ कहोगे पर जब मुझसे रहा नहीं गया तो रात के खाने के बाद मैं तुमसे पूछ बैठी थी तब तुमने कहा था कि तुमने  मिठाई चपरासी को दे दी थी ।चपरासी को मेरी बनाई चमचम तुमने दे दी, जो मैंने खास तुम्हारे लिए  महीनों से सीखी थी। मेरा मन ज़ार ज़ार  हुआ था लेकिन मैं चुप रह गई थी शायद यही रिश्तो के उतार-चढ़ाव होंगे जो मुझे सीखने थे पर धीरे-धीरे में जान गई कि तुम्हें मुझ में कोई दिलचस्पी नहीं इसलिए शायद तुमने शादी के 1 महीने के अंदर ही अपना ट्रांसफर बैंगलोर करा लिया। मेरा ना सजने का मन करता है ना संवारने का। बस सब साड़ी अलमारी में बंद पड़ी रहती है और मैं सूती सूट पहने घूमा करती हूं । कभी माँ तैयार होने को कहती हैं तब उनका दिल रखने के लिए तैयार हो जाती हूँ ।  बदरंग कपड़े भी  पहन लेती हूँ  जबकि इस तरह से मैं जिंदगी में कभी नहीं रही थी मुझे शुरु से ही चटक और शोख रंग पसंद थे पर सारी खुशी ना जाने कहां चली गई। मेरे चेहरे की मुस्कुराहट जाने काफूर हो गयी। मैं हर पल यही सोचती कि मुझमें ना जाने क्या कमी थी मेरा रूप तुम्हें पसंद नहीं आया या मेरी कोई बात तुम्हें बुरी लग गई या फिर मेरी शिक्षा तुम्हें कम लगी। मैं बार बार भाभी से यह जानने का  प्रयास करती रही।



                          एक दिन बात करते-करते मेरी आंखें भर आयी तब भाभी ने गले से लगा दिया और बोलने लगी “अरे पगली सब ठीक हो जाएगा धीरे-धीरे वह निशा को भूल जाएगा “जब पहली बार मैंने निशा का नाम सुना था जो मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दुख बन सामने आने वाली थी।मैंने भाभी से पूछा निशा,निशा कौन?  भाभी को सब पता था मैंने उन्हें कसम दी थी वह मुझे बताएं कि निशा कौन है ?

      अब मैं जान चुकी  हूं जो निशा तुम्हारी लगती है वह मैं कभी नहीं लग सकती । मुझे पता है निशा का भी ट्रांसफर बेंगलुरु हो चुका है शायद तुम दोनों एक ही ऑफिस में काम भी करते हो ।मेरा अब तुम्हारी जिंदगी में और उस घर में कोई काम बाकी नहीं रहा। दिवाली की छुट्टियों में जब वापस लखनऊ  आओगे तो तलाक़ के कागज मेरे घर भिजवा देना। मैं चुपचाप साइन कर दूंगी। तुम्हें आजाद कर दूंगी। तुम सुख चैन से अपनी जिंदगी बिताना। मैं इतना बड़ा धोखा खा चुकी हूं कि दोबारा शादी करने के बारे में सालों तक नहीं सोच सकती पर इसमें तुम्हारी कोई गलती नही है ।तुम प्रेम के हाथों मजबूर थे ।तुम्हें खुश करने की कोशिश में जो छोटी-छोटी बचकानी  हरकतें मैं करती थी उसे मेरा बचपना समझ कर माफ कर देना। बाकी सब घर में ठीक है ।माँ तुम्हें बहुत याद करती है उनसे मिलने जल्दी ही आ जाना। तुम निश्चिंत रहो मैं यहां कभी भी लौट के नहीं आऊंगी और  किसी को कुछ भी नहीं पता चलेगा ।सब मुझे ही दोषी समझेंगे पर कोई बात नहीं मैंने तुमसे एक तरफा मोहब्बत की थी जो जहर होती है और यह जहर  मैने पी  लिया है। अमित  यह चिट्ठी पढ़कर कोई जवाब देने की कोशिश मत करना , शायद मैं तुम्हारे पत्र का  इंतजार भी नहीं कर रही। मैं अपनी जिंदगी को एक नया रुख देना चाहती हूं और उसी पर आगे बढ़ रही हूँ।

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प्यारी सपना,

              तुम्हारा प्यारा सा पत्र मिला ।पत्र पढ़कर मुझे बहुत सी बातें जीवंत याद हो गई ।तुम सोच रही होगी कि मैं निशा के साथ यहां बहुत अच्छे दिन काट रहा हूं पर ऐसा कुछ भी नहीं है।  तुम जिसे  छोटी बचकानी हरकते कहती हो जिससे तुम्हारा मेरे प्रति प्रेम झलकता था कसम से कहता हूं कि तुम्हारी एक एक  हरकत मुझे मुंह जबानी याद है।

     वह चमचम जो तुमने मुझे बना कर दी थी वह मैंने ही खाई थी लेकिन तुम्हारा दिल दुखाने के लिए तुम्हें दुख पहुंचाने के लिए मैंने कहा था कि वह मैंने चपरासी को दे दी। सच ऐसी चमचम मैंने जिंदगी में कभी नहीं खाई थी।मुझे तुम पर बहुत गुस्सा था मैंने शादी के पहले शायद सगाई के समय तुमसे इशारो इशारो में कह दिया था कि तुम्हारी हां ना पर ही रिश्ता कायम होगा । मुझे लगा था तुम मेरा इशारा समझ गयी हो कि मेरी शादी में सहमति नहीं। मेरी गलती यही है कि मैं तुमसे उस वक्त खुल कर बात नहीं कर पाया लेकिन शायद भाग्य में यही होना लिखा था। मेरा तुम्हारा साथ। अगर मैं उस समय शादी के लिए मना कर देता तो शायद एक चमकता हीरा हमेशा के लिए अपनी जिंदगी से खो बैठता ।

                             वो एक महीना जो मैंने तुम्हारे साथ बिताया और तुम्हारा दिल तोड़ने का भरसक प्रयास किया क्योंकि मेरी जिंदगी में उस वक्त निशा का जादू छाया हुआ था । तुम्हारी वह छोटी-छोटी बातें मुझे आज भी याद है। कैसे तुम भाग कर मेरे लिए दरवाजा खोलने थी। सुबह टिफिन में रोज मेरे लिए कुछ ना कुछ मीठा जरूर बना कर देती थी। जबकि मुझे पता था घर में मीठा और कोई नहीं खाता। जब मैं नहा कर निकलता तो तुम मेरे सबसे अच्छे कपड़े  तैयार रखती और ना जाने क्यों मुझे ऐसा लगता कि तुम मेरे मन की बात पढ़ लेती हो लेकिन मैं तुमसे कुछ भी नहीं कह पाया क्योंकि उस वक्त तक में निशा के जादू में ही खोया हुआ था। मैं जानता था कि तुम मुझसे बहुत प्रेम करती हो पर उस प्रेम का प्रतिउत्तर मैं तुम्हें नहीं दे सकता था। मेरे दिल में तुम्हारे लिए उस वक्त तक प्रेम उमड़ा ही नहीं था जो आज उमड़ रहा है।



तुमने मुझे पत्र लिखने को मना किया था पर मैं तुम्हारा पत्र पढ़कर खुद को रोक नहीं पाया ।आज मैं जानता हूं मैंने किस तरह एक हीरे को पत्थर समझ कर फेंक दिया था ।यह बात सच है कि निशा का ट्रांसफर बैंगलोर हो गया था और हम एक ही ऑफिस में काम भी करते थे। निशा का तलाक हो चुका था और मेरा रास्ता साफ था। यह बात जानते ही मेरा दिल खुशी से उछलने लगा कि अब तो मेरी जिंदगी में निशा वापस आ जाएगी । निशा जब मुझसे मिली तो बहुत खुश हुई। वह मुझे बताने लगी कि किस तरह उसकी तलाक हो गई ।वह बताती हैं कि वह बहुत बड़ा संयुक्त परिवार था जहां वह रहती थी। तब मैंने पूछा कि उस परिवार में कौन-कौन था। तब उसने बताया कि उसके पति के परिवार में उसके पति के मां बाप साथ रहते थे । उसके सास ससुर हमेशा उसे साथ खाना खाने को कहते ,साथ घूमने जाने को कहते जो उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं था। निशा समझती कि उसने अपनी आज़ादी खो दी है ।उसकी जिंदगी में कोई प्राइवेसी नहीं है। उसका बाहर से खाना खाने का मन होता पर सास घर पर ही वैरायटी बनाने लगती । उसे इस तरह के घर का खाना खाने की आदत नहीं थी। छोटी-छोटी बातों पर बुरा मान जाती और दिन भर अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोलती  फिर उसने मुझे बताया कि किस तरह उसने अपने पति रवि को दहेज लेने के मामले में फंसा कर उससे पच्चीस लाख भी वसूल किए साथ ही अपने गहने और सारा सामान  भी ले आयी।उसके मुंह से अचानक निकल पड़ा

“इट वास् आ गुड डील”

यह सुनकर कि मेरे होश उड़ गए ।शादी भी कोई डील होती है ? ना जाने क्यों  उसी समय निशा जो मुझे स्वर्ग की अप्सरा जान पड़ती थी  मुझे पाताल लोक की कोई राक्षसी  लग रही थी। जो रिश्ते  प्यार का होता है उसने उसे पैसों के लिए  तोड़ दिया था ।मैं उसी समय से उसे मैम कह कर बुलाने लगा और मैं कोशिश करके उससे कतराने लगा। एक हफ्ते तक तो वह मेरे पीछे पीछे आती रहीं लेकिन फिर अब वह मेरे बॉस के साथ घूमती फिरती है। अक्सर मैंने उन्हें ऑफिस से  साथ निकलते देखा पर मुझे इससे कोई भी दुख नहीं हुआ। मैं हर वक्त तुम्हारे बारे में सोचता हूं किस तरह तुम भाभी भैया और उनके बच्चे को अपने बच्चों जैसा मानती थी। कैसे मम्मी पापा के पीछे तुम एक बेटी की तरह रहती थी। जिद करके मम्मी को काम नहीं करने देती थी ।मैं जब ऑफिस से थका हारा आता था तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा देख कर मेरा दिल करता था तुम्हें गले से लगा लूं पर मेरे दिल में एक फाँस सी थी ।वह फाँस अब निकल चुकी है। मैं समझ चुका हूं कि तुम्हारी जैसी पत्नी एक भाग्यवान इंसान को मिलती है पर मैं यह नहीं जानता कि क्या तुम मुझे माफ कर पाओगी। मैं तुम्हारे चरणों का दास बन के रहूंगा तुम जो कहोगी मैं एक आज्ञाकारी बालक की तरह सारी बातें मानूंगा। तुमने मुझे बहुत सुख दिया है जिंदगी में मुझे कोई भी नहीं दे सकती। तुम्हें मेरे परिवार को अपना परिवार समझा मुझे देवता तुल्य समझा पर मैं अभागा ना जाने कहां दर-दर की ठोकरें खा रहा हूं । जिसे ऐसी सर्वगुण संपन्ना पत्नी मिली थी वह उसे छोड़ने का पाप कर रहा था।अगर तुम मुझे माफ कर दो एक फोन जरूर करना। मैं मन ही मन रोज तुम्हारे फोन का इंतजार करता हूं ।तुमने शायद अपना नंबर बदल लिया है या शायद तुम्हारा नंबर मैंने सेव नहीं किया था यह भी मेरी बड़ी भूल थी अगर संभव हो तो इस पापी आत्मा को माफ कर देना ।उम्र भर आभारी रहूंगा

                                   तुम्हारा अमित

 

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