‘भाभी दवा खा लो ,-ननद रमा दवा और दूध लेकर हाजिर थी।
वह उठकर दवा खाली और दूध पी लिया।तब तक बूढ़ा श्वसुर दवाई और बाकी समान लेकर आ गया था।सास ने इसके कपड़े धोये थे।समान ठीक किया था।मैके से कोई झांकने नहीं आया था।यह दुखी होकर रो रही थी।
अरे मत रो,सब ठीक हो जाएगा,हमलोग हैं न–
सास गले लगाकर चुप कराती बोली।
फिर तो लेट गयी,अकेला पाते ही खो गयी अतीत की याद में —
आज से दो साल पहले शशिकांत के बड़े बेटे राघव से प्रेम विवाह किया था।राघव बी ए करके बैंक में पी ओ लगा था।सो शादी कर आयी और घर छोड़कर किराये मकान में रहने लगी।पास में सास श्वसुर थे मगर मतलब नहीं रखतीं।
ना बाबा इतना बड़ा परिवार, शादी मैंने आपसे की है,पूरे परिवार से नहीं।
सो यह ठाठ से रहती,कार में चलती वहीं दूसरी ओर सब्जी बेचकर श्वसुर परिवार चला रहा था।एक देवर रमेश और ननद रमा।
वह दो साल में एक बार भी झांकने नहीं आयी।अगर निकलती भी तो मुंह फेर लेती।
मगर उस दिन –वह पेट से थी।शायद आंठवा महीना था।पति से संभल नहीं रहा था और इसके जिद के कारण घर से–।
सो उस दिन अकेले निकली थी। अचानक गिरी,पति दफ्तर में थे।तब यही सास , श्वसुर सब अस्पताल ले गये।
तीन दिन वहीं रही , बच्चा नहीं बचा,यह बड़ी मुश्किल से बची थी।
पूरे लाख रुपए का खर्च आया। वहां से घर आयी और सभी सेवा में लगे हुए हैं।
वह बार बार, बात बात पर सास का अपमान करती।मूरख, गंवार बताती।
मेरी शादी तुमसे हुई है परिवार से नहीं।-वह बात -बेवात कहती।
मगर अभी,इस हालात में यही परिवार साथ था।आज अस्पताल का खर्च, यहां का खर्च,मेहनत सभी ससुराल के लोग कर रहे थे।मैके में तो-बस फोन छोड़कर कुछ नहीं।
सो आज सुबह चार बजे नींद खुली।सास चाय बनाने की कोशिश में थी।यह चाय बना लायी और सबको पिलाया।
सभी की खुशी देखने लायक थी वहीं यह तो गदगद थी।#आज वास्तव में बहू और भाभी बनी थी। पत्नी तो पहले बनी थी।
#बेटियां वाक्य कहानी प्रतियोगिता
#देय वाक्य-“पत्नी तो कब बन गयी थी परंतु बहू और भाभी तो आज बनी है।”
#दिनांक-3-5-2025
#देय समय-1-5-2025से 5-5-2025मध्य।
#शब्द सीमा-कम से कम 500.
#रचनाकार-परमा दत्त झा, भोपाल।