“परिवर्तन” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
- Betiyan Team
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- on May 29, 2022
आज “अम्मा” सुबह से ही बहुत खुश थी ! दौड़-दौड़कर सारे घर की सफाई कर रही थी। बेड-बिछावन झाड़- पोछ्कर साफ-सुथरा चादर बिछा दिया । फिर किचेन में आ गई बेटे की पसंद का खाना बनाने। लगभग पन्द्रह दिन बाद बेटा हॉस्पीटल से आ रहा था।
“कोरोना” ने उसे अपने चपेट में ले लिया था। दो चार दिन घर में ही दवा -दारु चला। पर जब पानी सर से ऊपर जाने लगा तो अम्मा घबड़ा गईं । पड़ोसियों के समझाने पर वह बेटे को लेकर हॉस्पिटल पहुँच गई। एक दिन बाद ही डॉक्टर ने उन्हें यह कहकर वापस लौटा दिया की आप खुद कमजोर हैं…आप घर जाये। आपको खुद ही देख भाल की आवश्यकता है। वह बहुत चिंतित थी, कि उनके पिछे बेटा को कौन देखेगा। हाथ जोड़कर मिनन्तें की पर डॉक्टर ने एक नहीं सूनी । वापस घर भेज दिया। बेचारी दिल पर पत्थर रख कर घर आ गई। एक -एक दिन बीताना कठिन था उनके लिए। रोज भगवान से प्रार्थना करने लगी।
शायद भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली थी ! आज वह घर आ रहा था। अम्मा ने आरती थाल सजाकर रख लिया। जैसे ही बाहर गाड़ी आने की आवाज आई दौड़ कर दरवाजा खोला। सच में एम्बुलेंस आकर लग गई थी। अम्मा हाथ में आरती का थाल लिये निकली और गाड़ी में बैठे बेटे का गाड़ी के बाहर से ही खड़ी होकर आरती उतारने लगी।
ड्राईवर ने कहा – “माँ जी गाड़ी की आरती क्यूँ उतार रही हैं, उतारना ही है तो उनका उतारिये ।”
“अम्मा ने चौक कर ड्राइवर से पूछा किनका?”
“जिन्होनें आपके बेटे को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ! अपने जिन्दगी को दाव पर लगा दिया था।”
अम्मा भौचक होकर गाड़ी के अंदर झांकने लगी। गाड़ी में उनके बेटे को पिछे से पकड़ कर सिर झुकाये एक महिला बैठी हुई थी।
अम्मा की आँखें फटी की फटी रह गई ! गाड़ी में उनके बेटे के साथ उनकी वही बहु बैठी थी जिसे साल भर पहले “गँवार”और “बेकार” कहकर वह और उनके बेटे ने उसे उसके मैके में छोड़ दिया था और उससे मुक्ति पाने के लिए चरित्र पर झूठा इलजाम लगा कर तलाक की अर्जी दायर की थी !
आरती की थाली ड्राइवर के हाथ में थमा अम्मा गाड़ी में घुस गई अपने दोनों हाथ फैलाकर बहू को गले से लगा लिया। उनकी आँखों से झर -झर आंसू बह रहा था। अम्मा का हृदय परिवर्तन देख बेटा भी अपने आंसूओं को नहीं रोक पाया।
स्वरचित एवं मौलिक
डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा