पलकों की छांव में

साहिल बंगलोर की कंपनी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था छोटा सा परिवार था पत्नी, एक बेटा,एक बेटी  और उसके पापा, मां बचपन में ही गुजर गई थी एक बहन थी तो वह शादीशुदा थी।   साहिल के पापा स्कूल शिक्षक थे जब तक नौकरी में थे तब तक तो वह गांव में ही रहते थे

क्योंकि वे गांव के ही स्कूल में शिक्षक थे लेकिन जब रिटायर हो गए तो साहिल उन्हें अपने साथ ही रखता था।  साहिल की सॉफ्टवेयर कंपनी ने साहिल को एक  साल के लिए अमेरिका में ट्रांसफर कर दिया था।  साहिल यह सोचता था कि 1 साल की बात है 

वह अकेला ही चला जाएगा परिवार बेंगलुरु में ही रहेगा देखभाल करने के लिए पापा तो हैं ही। लेकिन साहिल की पत्नी इस बात के लिए राजी नहीं हुई कि वह अकेले बेंगलुरु रहेगी वह भी अमेरिका  जाना चाहती थी।  साहिल बोला कि फिर तो पापा को भी लेकर चलना पड़ेगा पापा यहां अकेले कैसे रहेंगे। 



साहिल की पत्नी बोली, “पापा वहां जाकर क्या करेंगे। 1 साल की तो बात है पापा को यही किसी वृद्ध आश्रम में रखवा देते हैं जब अगले साल इंडिया आ जाएंगे तो फिर पापा को अपने साथ ही रख लेंगे।” साहिल बोला, “लेकिन यह बात अगर दीदी को पता चली  तो बहुत गुस्सा होगी।” 

साहिल की पत्नी बोली, “दीदी को यह बात पता कैसे चलेगा हम उन्हें बताएंगे ही नहीं हमने बोल देंगे कि पापा हमारे साथ ही अमेरिका आ गए हैं।” साहिल का मन नहीं मान रहा था पापा को वृद्धाश्रम में भेजने के लिए क्योंकि आज वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर है तो अपने पापा की बदौलत ही है और जब आज पापा की सेवा करने की बारी आई तो  वृद्धा आश्रम वह तो सोच कर ही डर गया। आखिरकार साहिल ने  अपनी पत्नी के दबाव में आकर अपने पापा को वृद्धा आश्रम में भेजने का मन बना लिया।

साहिल अगले दिन अपने पापा से इस बारे में जाकर बात की पापा मेरा ट्रांसफर अमेरिका मे हो गया है और फिर 1 साल की ही तो बात है हम चाहते हैं कि आप एक साल  किसी ओल्ड एज होम मे गुजार लें । फिर अगले साल हम जैसे ही इंडिया वापस आएंगे आपको अपने साथ ही रख लेंगे।

साहिल के पापा ने बिना सोचे समझे ही कह दिया हां बेटा इसमें क्या बात है वहां तो मेरे लिए और भी अच्छा है कम से कम मेरे उम्र के मेरे दोस्त तो मिलेंगे जिससे मैं बात तो कर सकता हूं  और फिर 1 साल की ही तो बात है। साहिल के पापा को वृद्धा आश्रम में जाने का मन नहीं था। साहिल के पापा को ही क्या किसी भी मां-बाप को वृद्धाश्रम में रहने का मन नहीं करता है सब चाहते हैं कि वह अपने बाकी की जिंदगी अपने बच्चों के साथ गुजारें लेकिन हमारे बच्चे उस लायक हो तब तो। 

साहिल ने अपने पापा का सारा सामान पैक कर दिया और शाम होते ही बोला, “पापा जल्दी से तैयार हो जाओ चलो चलते हैं क्योंकि कल सुबह-सुबह ही मेरी अमेरिका के लिए फ्लाइट है।”  साहिल के पापा ना चाहते हुए भी तैयार होकर बेटे के साथ वृद्धाआश्रम में चले गए।

अगले दिन साहिल की फ्लाइट थी और वह अपने बीवी बच्चों के साथ अमेरिका चला गया।  साहिल अमेरिका  से अपनी बड़ी बहन से बात करता रहता था। बहन अगर उसके पापा के बारे में पूछती तो बोल देता था कि पापा ठीक हैं। साहिल की दीदी जब यह बोलती थी कि साहिल जरा पापा से बात कराना तो साहिल बहाना करके टाल देता था क्योंकि पापा तो उसके साथ रहते नहीं थे बात कराए भी तो किससे।  पापा को तो उसने बेंगलुरु के ही वृद्धा आश्रम में भर्ती करके आया था और यह बात अपनी दीदी को बताना नहीं चाहता था क्योंकि वह बहुत ही गुस्सा करती।



एक  दिन साहिल की दीदी अपने बच्चों के साथ मॉल घूमने गई थी और उधर  वृद्ध आश्रम के मैनेजर ने भी जितने भी वृद्ध लोग वहां पर थे सब को मॉल घुमाने के लिए लेकर आया हुआ था।  तभी साहिल की भांजी की नजर साहिल के पापा पर पड़ी और अपनी मम्मी से बोली, “मम्मी वह देखो वहां पर नानू घूम रहे हैं” चलो नानू से मिलकर आते हैं।  साहिल की दीदी बोली, “पागल हो गई है क्या? यहां पर नानू कैसे दिख गए? तुम्हारे नानु तो अमेरिका में है। साहिल की भांजी  अपनी मम्मी का हाथ पकड़कर बाहर ले गई और नानू के पास पहुंचा दिया। साहिल की  बहन ने देखा यह तो सचमुच में उसके पापा हैं।

 

साहिल की बहन अपने पापा को देखकर बिल्कुल ही आश्चर्यचकित हो गई और अपने पापा से बोली, “पापा आप यहां!  आप अमेरिका से कब आए? आज ही सुबह तो भाई से बात हो रही थी वह तो कह रहा था आप घूमने गए हैं।” अपनी बेटी को देखकर साहिल के पापा के आंखों में अश्रु धारा बहने लगे और अपने ऊपर बीती सब कुछ अपनी बेटी को बता दिया। यह सुनकर साहिल की बहन बहुत गुस्सा हुई और उसने उसी समय अपने भाई के पास फोन लगाया और बोला साहिल तुमने यह अच्छा नहीं किया आज तुम्हें अमेरिका गए एक महीना से ज्यादा हो गया और तुमने मुझे यह भी बताने की जरूरत नहीं समझी कि पापा तुम्हारे साथ नहीं है बल्कि तुम उनको वृद्ध आश्रम में छोड़ कर चले गए। तुम्हें अपने साथ नहीं ले जाना था तो कोई बात नहीं था लेकिन कम से कम एक बार मुझे तो बता देते  अगर तुम्हारे पापा है तो मेरे भी पापा हैं।

साहिल तुम कैसे भूल गए कि मां के देहांत के बाद हम दोनों कितने अकेले हो गए थे हम दोनों की अच्छी परवरिश  के खातिर पापा ने कभी भी दोबारा शादी नहीं की सोचा सौतेली मां आएगी तो क्या पता हम दोनों के साथ कैसे बर्ताव करेगी।

पापा ने वह सब कुछ किया जो एक माँ अपने बच्चो के लिए करती है उन्होंने हमेशा हमें अपने पलकों की छांव में बसाकर रखा कभी हमें माँ की कमी महसूस नहीं होने दी और ऐसे पिता को तुमने वृद्ध आश्रम में छोड़ दिया। लानत है तुम्हारे जैसे बेटा पर।

साहिल की बहन ने फोन काट दिया और उसे तुरंत अपने पति के पास फोन किया और सारा माजरा अपने पति से बताया।  साहिल के जीजा ने अपनी पत्नी से कहा, “साहिल ऐसा कैसे कर सकता है मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि साहिल ससुर जी के साथ ऐसा कर सकता है।

उसे अपने साथ नहीं रखना था ना रखता कम से कम हमें एक बार भी तो बताता हम अपने साथ रख लेते।” साहिल के जीजा ने साहिल की बहन से  कहा, “तुम पापा जी को अपने घर ले आओ और सुनो पापा जी कहीं नहीं जाएंगे पूरी जिंदगी हमारे साथ रहेंगे साहिल को जब आएगा तो उसे बता देना।”



साहिल दोबारा से अपनी दीदी के पास फोन लगा रहा था लेकिन गुस्से में साहिल की दीदी ने साहिल का फोन नहीं उठाया और साहिल का नंबर भी ब्लॉक कर दिया। साहिल की  दीदी अपने पापा को अपने घर ले गई। 

साहिल के पापा भी यहां पर आकर बहुत ही अच्छा महसूस कर रहे थे क्योंकि साहिल के जीजा कभी भी इनके साथ ससुर जैसा व्यवहार नहीं करते थे बिल्कुल अपने पापा जैसे व्यवहार करते थे। साहिल की भांजी भी अपने नानू के साथ खूब खेलती थी।

जबकि साहिल के पापा जब अपने घर में होते थे तो वह अपने पोते-पोतियो के साथ खेलते थे तो उनकी बहू हमेशा डांटते रहती थी उनके पास भी फटकने नहीं देती थी। साहिल  कितनी बार ट्राई करता था  लेकिन उसका फोन कोई नहीं रिसीव करता था

वह अपने जीजा के पास भी फोन किया लेकिन जीजा भी उसका फोन रिसीव नहीं करते थे सब साहिल से नफरत करने लगे थे।  साहिल समझ गया था पापा को वृद्धाश्रम में रखने की वजह से सब मुझसे नाराज हैं। आज अपनी पत्नी को पहली बार डांटा था।

उसने बोला तुम्हारी वजह से मैं अपने पापा को वृद्ध आश्रम में भर्ती कर दिया मैं भूल गया था कि जिस बाप ने अपनी पूरी जिंदगी हमारे नाम कर दी।  हमेशा अपने पलकों की छांव में बसाकर रखा उस बाप के लिए हमने क्या किया पलकों की छांव देना तो दूर हम उनके लिए एक छत भी नहीं दे सके।

1 साल बाद साहिल जब इंडिया वापस आया तो इंडिया आते ही सबसे पहले वह अपनी बहन के घर गया और अपने पापा और बहन से माफी मांगने लगा। अपने पापा को अपने साथ घर ले जाने के लिए आग्रह करने लगा। उसकी दीदी ने साफ मना कर दिया साहिल अब तुम यहां से जाओ पापा कहीं नहीं जाएंगे।

साहिल अपने पापा को बिना लिए ही वापस लौट गया। इधर साहिल के पापा अपनी बेटी से बोले, “बेटी साहिल  अपनी गलती मान रहा है और मुझे नहीं लगता है अब आगे से कुछ ऐसा करेगा मुझे जाने दो।” साहिल की बहन बोली पापा आपको यहां पर कोई दिक्कत है।

साहिल के पापा बोले, “नहीं बेटी यहां मुझे कोई दिक्कत नहीं मैं तो यहां बहुत खुश रहता हूं लेकिन हमारे देश में बेटियों के घर ज्यादा दिन रहने का रिवाज नहीं है।”  तभी साहिल और उसकी बीवी वहां पहुंच गए और दुबारा से माफी मांगने लगे।

साहिल के बेटे बेटियां भी साहिल के पापा से बोले, दादू चलो ना प्लीज चलो ना आप के बिना घर कितना सुना लगता है। साहिल के पापा अपने पोते-पोतियो की बातों को ठुकरा ना सके  और साहिल के साथ वापस अपने घर लौट गए।

 

दोस्तों हम  भूल जाते हैं कि जिस मां बाप ने इतनी मेहनत करके हमें आज यह पद और रुतबा दिलवाया है आज हम जहां हैं उन्हीं की मेहनत की वजह से हैं लेकिन जब उनको करने की हमारी बारी आती है तो हम सब भूल जाते हैं।

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