चंदनपुर गांव में रहते थे लाला हरदयाल, किराने की छोटी सी दुकान के मालिक,बाप दादा की काफी जमीन
थी जिसपर खेती बाड़ी का काम भी करते साथ में।बहुत मेहनती और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे, उनके पड़ोस
में रहता बनवारी लाल जो उनकी समृद्धि से चिढ़ता था,कहने को उसके पास भी खेत खलिहान की कमी न
थी पर वो बड़ा आलसी था,बैठे बैठे नौकरों के दम पर काम कराना चाहता था जो वैसा ही होता जैसे नौकरों
पर छोड़ा हुआ काम होता है।
अक्सर बनवारी,हरदयाल से उलझा हुआ मिलता,कभी किसी बात पर व्यंग करता तो कभी किसी दूसरी बात
पर।दोनो की खीटर पीटर देख लोग हंसते कि ये दोनों ऐसे हैं कि संग बैठा दो तो टी वी न्यूज की जरूरत नहीं।
एक दूसरे के ऐसे पक्के विरोधी मानो मच्छर और मच्छरदानी हों।हरदयाल अपने खेत में बड़ा आधुनिक
तरीके का कांटा लगाता है एक बार जिससे चिड़िया,पक्षी वहां न घुस सकें।
तो बनवारी ने एल ई डी वाला कांटा लगा दिया।
हरदयाल हंसा..इतना मजबूत इंतजाम किया है मैंने इस बार कि चिड़ियां आने से पहले दस बार सोचेंगी।
हां!हां अगर आ गई तो चप्पल उतार कर आएंगी और टिक टॉक बनाएंगी,बनवारी चिढ़ते हुए बोला।
बात आई गई हो गई,एक बार गांव प्रधान ने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें सबसे आधुनिक
और स्वच्छ खेत को प्रथम पुरस्कार मिलना था।
सब लोग पूरी तैयारी से जुट गए।लोगों में ख़ुसपुसाहट थी कि जीतेगा तो हरदयाल ही।बनवारी इस बात से
भुन जाता लेकिन ऊपर से कुछ न कहता।
आखिर प्रतियोगिता का दिन आ गया,सारे निरीक्षण के बाद,हरदयाल के खेत को प्रथम स्थान
मिला,निरीक्षण अधिकारी ने कहा..ये खेत इतना सुंदर और साफ है, इसकी फसल इतनी उन्नत है जैसे
व्हाट्सप्प पर आया कोई नया मैसेज जो वायरल हो रहा हो।
सबने तालियां बजा के इस बात का स्वागत किया लेकिन बनवारी की आत्मा तक झुलस गई। हार का दंश ही
क्या कम था,और हरदयाल की तारीफ, वो सह न सका।
उसी रात उसने चोरी छिपे, हरदयाल का सारा खेत गोबर से पोत डाला।उसके दिल की जलन वो छिपा नहीं
पाया था।
अगले दिन सब लोगों ने ये देखा और उन्हें समझते देर न लगी कि ये किसका किया धरा है।
बात ग्राम पंचायत तक गई और बनवारी की पेशी हो गई।क्यों किया ये अपराध?
पहले पहल तो उसने हंसी में उड़ाना चाहा..बोला..दरअसल चाहता तो मैं पेंट पोतना था पर वो मंहगा था
इसलिए गोबर ही पोत दिया और खी खी कर हंस दिया।
सबने उसकी बहुत कड़ी निंदा की,पंचायत प्रमुख बोले..ये कोई मजाक का विषय नहीं है,मजाक जारी पर
मर्यादा तो बनाए रखो,तुम्हें इसका दंड मिलेगा जरूर।
बनवारी का मुंह काला करके गधे पर बैठाकर पूरे गांव ने घुमाया गया।
लोग खुसर पुसूर करते कहने लगे… अपना इतना अपमान करके इसके कलेजे में ठंडक पड़ गई होगी या अभी
कुछ और इलाज कर्म बाकी है?
बनवारी को पहली बार अपनी गलती महसूस हुई ,उसने कसम खाई कि वो भविष्य में किसी से इस कदर
जलन नहीं रखेगा,बड़े सयाने ठीक ही कह गए हैं कि अगर खिंची लाइन से बड़ा बनना है तो उसे मिटाओ
मत,दूसरी बड़ी लाइन खींचो यानि उससे ज्यादा प्रतिभाशाली बनो,समाज में तुम्हारी पहचान खुद ही बन
जाएगी।
समाप्त
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
वैशाली,दिल्ली
#अब तो पड़ गई होगी तुम्हारे कलेजे में ठंडक