नेकराम का इंटरव्यू -नेकराम Moral Stories in Hindi

पत्रकार — नेकराम जी आप यह बताइए आपने लिखना कब आरंभ किया
नेकराम – जब मैं छोटा था करीब 14 बरस का अप्रैल का महीना शुरू हो गया था
,,, घर के बाहर कितनी धूप निकल आई है सुबह के 10:00 बज चुके हैं,,,,
नेकराम अभी तक बिस्तर पर पड़ा हुआ है मां रसोई घर में खड़ी खड़ी बड़बड़ा रही थी तभी मां की आवाज और तेज हो गई तेरी बड़ी बहन कब की स्कूल जा चुकी है
तेरा स्कूल दोपहर का है इसका फायदा उठाकर तू रोज बिस्तर पर पड़ा रहता है मेरा किचन का सारा काम निपट चुका है
तेरी वजह से रोज झाड़ू पोंछा लेट हो जाता है ,,,,,
मैं बिस्तर पर पड़े पड़े ही कहने लगा ,,, सोने दो मां ,, अभी मेरी नींद पूरी नहीं हुई है चादर लपेटकर मैं फिर ,, सोने लगा ,, तो ,,मां ,,कमरे में आ गई ज्यादा देर तक सोने की आदत ठीक नहीं होती
तेरी यह हरकतें मैं तेरे पापा से कब तक छुपाऊंगी मां ने चादर खींचते हुए कहा,,
उस दिन मां का पारा कुछ ज्यादा ही गर्म हो गया था मां ने कहा आज शाम को जब तेरे पापा ड्यूटी से घर आएंगे तो तेरे लेट उठने की शिकायत जरूर करूंगी रोज तुझें बचाती आ रही थी लेकिन आज नहीं इस बार तो तेरी पिटाई पक्की है ,,,,
पिता का खौफ मन में समाते ही
मैं फौरन उठ गया मुझें पूरा यकीन था की मां मेरी लेट उठने की शिकायत पापा से जरूर करेगी
,, मैं अब लेट नहीं उठूंगा मां तुम पापा से मेरी शिकायत मत करना ,,, मां बोली अब रोने से कोई फायदा नहीं है तेरे पापा ही तुझे डंडों से पीटेंगे तब तू सुबह जल्दी उठेगा अपनी मां की बात तो,, तू कभी मानता ही नहीं है,,
दोपहर हुई तो बस्ता लेकर स्कूल चल पड़ा मन उदास था आज शाम को पापा की मार खानी पड़ेगी शाम हुई स्कूल की छुट्टी हो गई घर जाने में डर लग रहा था कुछ दूरी पर नानी का घर था
तो मैं बस्ता लेकर नानी के घर चल पड़ा नानी ने मुझे सीने से लगा लिया मैं बहुत खुश हुआ चलो यहां आ गया तो पापा की पिटाई से बच जाऊंगा रात भर टेलीविजन देखूंगा सुबह तक आराम से सोता रहूंगा,,
मैंने नानी से कह दिया नानी जी मैं तुम्हारे ही घर पर रहूंगा
नानी ने किसी पड़ोसी के मुंह से कहलवा दिया जाकर नेकराम के घर कह देना नेकराम नानी के घर पर है,,
तभी शाम होते ही मामा जी आ गए हाथों में चार किताबें थी मामा जी के दो बेटे लव और कुश किताबें लेकर पढ़ने लगे मामा जी ने बताया नेकराम यह लो एक कहानियों की किताबें तुम्हारे लिए
मन तो टीवी देखने का था,,
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मगर मैंने किताब हाथ में ले ली लव और कुश ने बताया शाम को 2 घंटे हम कविताएं और कहानियों की किताबें पढ़ते हैं फिर खाना खाकर शाम को पार्क में थोड़ी देर टहलते हैं फिर घर आकर सो जाते हैं टेलीविजन तो बस घर के बड़े बुजुर्ग ही देखते हैं मैं उनकी बातें सुनकर बड़ा अचंभे में पड़ गया सोचने लगा हमारे घर तो ऐसा कोई नियम नहीं है ,,,
मैं भी उनके साथ किताबें पढ़ता रहा,, खाना खाकर पार्क में टहलने चला गया ,,वापस आकर सब लोग रात 9:00 बजे ही सो गए मैं अकेला क्या करता मेरी भी आंख लग गई ,, सुबह मुझे जगाया उठो नेकराम सुबह हो गई मैं आंखें मलते हुए उठकर बैठ गया लव और कुश साइकिल लेकर मुझे सड़क पर ले गए
सूरज अभी निकला नहीं था किंतु चिड़ियों की आवाज़ आनी शुरू हो चुकी थी सड़के एकदम खाली थी दूध बेंचने वालों की एक आध साइकिल दिखाई दे जाती फिर हम पार्क पहुंचे तो वहां खूब लोग दिखाई दिए जो कसरत कर रहे थे बुजुर्ग टहल रहे थे कुछ नौजवान योगा कर रहे थे महिलाएं भी चटाई बिछाकर कसरत कर रही थी मैंने भी उनके साथ दौड़ लगाना साइकिल चलाना योगा करना खुले वातावरण में बाग बगीचों पर बैठी तितलियां भंवरे देख मन बड़ा आनंदित हो गया ,,
2 घंटे बाद मैं लव और कुश के साथ नानी के घर वापस लौट आया छत पर 2 घंटे तक स्कूल की किताबें उनके साथ पढ़ता रहा अब तक मामी जी चाय नाश्ता बना चुकी थी चाय और ब्रेड का डोस खाकर दोपहर होते-होते मैं घर लौट आया
मामा जी के घर बिताया समय मेरे रोम रोम में बस चुका था उस दिन के बाद मैंने मां को कभी भी लेट उठने की शिकायत का मौका नहीं दिया,,
पिता मेरे लिए कविताओं और साहित्य की किताबें महीने में सैलरी मिलने पर ले आते टेलीविजन से मेरी दूरियां बढ़ती गई और साहित्य से नजदीकियां
साहित्य पढ़ने की वजह से मेरे अंदर लिखने की रुचि भी जागने लगी
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना ✍️

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