नए ज़माने के चोंचले हैं – के कामेश्वरी

संचिता पढ़ी लिखी सुंदर और अपने माता-पिता की अकेली संतान थी । नौकरी कर रही थी और घर उसके लिए रिश्ते भी देख रहे थे । वह दादी की चहेती लाड़ली थी । अपने दिल की बात किसी को बताए या न बताए पर हर बात वह दादी से कहती थी । दादी भी अपने हिसाब से उसे सलाह दे देती थी । जब कभी पड़ोस की या उनके ही रिश्तेदारों या पहचान की लड़कियाँ मॉडर्न कपड़े पहनती थी तो उन्हें पसंद नहीं आते थे और उन्हें ताने देने में पीछे नहीं हटती थीं कि नए ज़माने के चोंचले हैं । इतने छोटे छोटे कपड़े पहनकर घूमना हमें नहीं पसंद है । हमारे ज़माने में तो हम साड़ी के अलावा कुछ नहीं पहनते थे । क्या हम बिगड़ गए हैं या हममें कोई कमी है नहीं न फिर तुम लोगों को यह गंदी आदत कहाँ से लग गई है । हम सब चार बहनें संचिता के चाचा बड़े पिताजी के बच्चे थे । दादी हमें भी नहीं छोड़ती थीं । वही दादी उनकी लाड़ली पोती जीन्स पेंट और टी शर्ट पहनकर मटकते हुए बाज़ारों में घूमती थी तो उसकी बलैयाँ लेती थी उसे कुछ नहीं कहती थी । हमारे माता-पिता हमें कुछ भी कहने नहीं देते थे । हम तो आए दिन दादी से कह देते थे कि दादी आप तो हमारे आँखों के सामने ही हमसे नाइंसाफ़ी कर देती हैं । हम सबको संचिता से जलन भी होती थी । अब तो बड़े हो गए हैं हमारी शादियाँ हो गई थी । अब घर में सिर्फ़ संचिता बच गई थी । सबकी नज़र थी कि संचिता के लिए दादी कैसा वर ढूँढ कर लाएँगी । फायनली वह दिन आ गया था । हम सबकी इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुई । संचिता के लिए बहुत ही पैसे वाला पढ़ा लिखा लड़का जय देखने आया । हम सब भी उसके आसपास ही भटक रहे थे ।जय ने संचिता से अकेले में बात करने की माँग की दादी ने हाँ कर दी यह नहीं कहा कि नए ज़माने के चोंचले हैं ।

बातें करने के बाद संचिता ने दादी को बताया कि उसने कहा है कि वह ड्रिंक करता है क्योंकि हमारे घर में किसी को भी यह आदत नहीं थी । सभी भाइयों ने कहा माँ एक बार सोचकर जवाब देते हैं पर संचिता को लड़का बहुत पसंद आया था सिंगापुर में रहता है पैसे वाला है । दादी ने कहा अरे बच्चों यह सब नए ज़माने के चोंचले हैं आजकल सभी बच्चे अपने दोस्तों के साथ बैठकर थोड़ा बहुत ले लेते हैं । जब उसे पसंद है तो कर देते हैं अब इस बारे में कोई बहस नहीं होगी । सब लोग चुप हो गए । शादी धूमधाम से हुई लड़के वालों ने अपने पैसों का रौब दिखाकर दादी और पोती को फ़्लैट कर दिया ।

संचिता सिंगापुर चली गई । कुछ महीने अच्छे से ही गुजरे । अब धीरे-धीरे संचिता को पता चला कि जय थोड़ा नहीं बहुत ज़्यादा पीता है । जब उसे पता चल ही गया है तो वह रात को पीकर दो बजे तीन बजे आने लगा । संचिता के तो रो रोकर बुरा हाल हो गया । दादी भी सोचने लगीं कि बच्चों की बात मान लेती तो शायद अच्छा था उनसे भी जय को पहचानने में भूल हो गई थी । सारे नए ज़माने के चोंचले अच्छे नहीं होते हैं । कबीर ने भी यही बताया कि सारे पुराने ज़माने की बातें ख़राब नहीं होती और न ही सारे नए ज़माने के चोंचले अच्छे होते हैं अक़्लमंदी तो इसमें है कि जो अच्छी उसे चुनकर आगे बढ़ें ।

के कामेश्वरी

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