ननद की सीख  – पूजा मनोज अग्रवाल

रिया,,,,, रिया,,,,

 अरे !  कहां हो तुम …?

 …आज तुम्हारे मां पिताजी सक्रांति का त्योहार लेकर आने वाले हैं ना …. देखो तो एक बार फ़ोन मिला कर पूछ लो ,,, उन्हें देरी क्यों हो रही है,,,,? मालती जी ने अपनी नव विवाहिता बहु रिया से कहा ।

 

रिया की शादी के बाद यह उसका पहला त्योहार था… उसके माता-पिता भी उसकी शादी के बाद पहली बार अपनी बेटी के ससुराल आ रहे थे,,, ।  तो आज सुबह से ही वह अपने मम्मी – पापा के लिए उनका मनपंसद खाना बनाने के लिए रसोई घर में व्यस्त थी । साथ ही साथ रिया की सासू मां मालती जी भी उसकी मदद कर रही थी ।

अपनी सास को अपने कामों में हाथ बंटाते हुए देख कर रिया अपनी किस्मत पर मन ही मन मुस्कुरा रही थी ,,,। साथ ही साथ मालती जी इस बात पर पूरी नजर रखे हुए थी  कि कहीं रिया के माता-पिता की आवभगत में कोई कमी ना रह जाए  ।

 

 

अगले ही पल घर के बाहर एक गाड़ी आकर खड़ी हुई । रिया बाहर पहुंची तो देखा मां पापा के साथ छोटी बहन नीतू भी मकर संक्रांति का त्योहार लेकर आई है । रिया ने अपने मायके वालों को बहुत दिन बाद देखा था तो अचानक उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह दौड़ कर अपनी मां और बहन के गले जा लगी ,,l

रिया की सासू मां उसके परिवार वालों को बड़े आदर  मान  से घर के अंदर ले आईं । मां – पापा के लिए रिया ने कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए थे । खाने-पीने के बाद परिवार के किस्से – कहानियों का ऐसा दौर चला की देखते देखते शाम हो गई ।



रिया के  मां पापा उसके उसके लिए बहुत से फल , मिठाईयां मेवा और परिवार के सभी लोगों के लिए बहुत से गिफ्ट और कपड़े लेकर आए थे । उन्होंने बड़े मान सम्मान से सभी गिफ्ट रिया की सास के हवाले कर दिए और उसके बाद वे लोग अपने घर के लिए रवाना हो गए ।

बड़े प्यार से मां के लाए हुए गिफ्ट्स देखकर रिया मन ही मन बहुत खुश हो रही थी । रसोई का सारा काम निपटा कर वह जल्दी से गिफ्ट खोलने के लिए कमरे में आई ।  मम्मी जी ,,,” आइए ना , देखते हैं मम्मी – पापा हमारे लिए क्या-क्या लेकर आए हैं ,,, ” ऐसा कहकर उसने अपनी सास को भी बुला लिया ।

मालती जी भी रिया के पीछे – पीछे कमरे में आ गईं। 

जैसे ही रिया ने गिफ्ट की  पैकिंग खोलने के लिए हाथ बढ़ाया,,, तुरंत सासू मां ने टोक दिया और बोली ,” सुनो रिया  ,” यह सब मत खोलो इसे पैक ही रहने दो ,,,,मैं और तुम्हारे पापा शिखा के ससुराल में  मकर संक्रांति के त्योहार पर दे आएंगे । तुम तो जानती ही हो,,, आजकल महंगाई कितनी बढ़ गई है , त्योहार देना लेना भी तो आसान ना रह गया है । और फिर ये गिफ्ट हैंपर तो लेन देन के दिखावे के लिए होता है ।” 

यह सुनकर रिया को बहुत बुरा लगा परंतु नई नवेली बहू अपनी सासू मां को कुछ नहीं कह पाई ।  उसने तुरंत मां के हाथ के बनाए हुए लड्डू और मिक्स अचार का डिब्बा उठा लिया ,,,,। पर शायद मालती जी का मन न भरा था उन्होंने रिया के हाथों से जल्दी से वह सब सामान वापस रखवा लिया और  बोली ,”  रिया ,,, तुम्हारी शिखा दीदी को तो मिक्स अचार बहुत पसंद है और यह तिल के लड्डू भी मैं उनके यहां ले जाऊंगी क्योंकी मानव जी को भी तिल के लड्डू बहुत पसंद हैं ।”

 रिया यह सुनकर दुखी मन से अपने कमरे में लौट आई मां के लाए हुए कोई भी समान को सासू मां ने रिया को लेने से मना कर दिया था ,,,, इस बारे में सोच कर रिया की आंखें बार-बार भर आती थी ।

खैर अगले ही दिन रिया के मायके से आया हुआ सब सामान इकट्ठा करके सासू मां और ससुर जी दोनों शिखा के ससुराल पहुंच  गए ।

शिखा के ससुराल पहुंचने पर उनकी बहुत आवभगत हुई ,,, बातों ही बातों में पता लगा शिखा की छोटी ननंद शिवि के लिए एक रिश्ता आया है ,,,घर में सभी को लड़का पसंद है और कल ही वे सब लोग शिवि और अनुज का रोका करने उनके यहां जा रहे हैं । शिखा के सास – ससुर से रिया के सास – ससुर की बरसों पुरानी जान पहचान थी तो वह एक दूसरे से बहुत घुले मिले हुए थे । शिखा की सास ने मालती जी को रोका सेरेमनी के लिए पूरे परिवार को निमंत्रण दे दिया । मालती जी और उनके पति दोनो ही शिवि के रिश्ते के लिए बहुत खुश थे ।



घर लौटने पर मालती जी ने रिया से कहा , ”  रिया कल शिखा की छोटी ननंद शिवि की रोका सेरेमनी है , तुम तैयारी कर लेना कल सुबह साढ़े ग्यारह  बजे हम सब  को वहां पहुंचना है । “

अगले दिन रिया , उसकी सास मालती जी ,  ससुर जी और उसके पति सभी लोग  शिवि और अनुज की रोका सेरेमनी के लिए पहुंच गए । लड़का बहुत अच्छे घर परिवार का था तो शिखा दीदी और उनके ससुराल वालों की खुशी देखते ही बन रही थी ।

शिखा की सास ने अपने होने वाले समधी समधन से शिखा के मम्मी – पापा और भैया भाभी को मिलवाया  । रिया सब से मिलकर बहुत खुश थी कि अचानक उसका और मालती जी का ही ध्यान वहां रखे हुए गिफ्ट्स पर गया ,,,। यह तो वे सभी गिफ्ट्स थे जो रिया की मां मकर संक्रांति के अवसर पर उसके लिए लेकर आई थी , और उसकी सासू मां ने वे सब उठाकर उसकी ननद शिखा दीदी के यहां दे दिए थे ।

मालती जी अपने लाए हुए गिफ्ट्स को वहां देखकर वह दंग रह गई । जैसे ही पार्टी खत्म हुई मौका मिलते ही मालती जी शिखा के पास जा पहुंची और सारे मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी ।  तभी शिखा ने जवाब दिया ,”  मां,,, आपकी लाई सभी चीजे मेरी सासू मां ने मुझे खोलने से मना कर दिया था और यह सब सामान जस की तस वे शिवि के ससुराल में देने के लिए ले आई हैं  । “

शिखा की बात सुनकर मालती जी को अपनी गलती का एहसास हो गया था ,,, उन्हें अब रिया के साथ ऐसा अन्याय करके बहुत पछतावा हो रहा था । दुखी मन से वे पार्टी से वापस अपने घर लौट आई ।



शाम को रिया के पास उसकी ननद शिखा का फोन आया और वह बोली ,” प्यारी भाभी ,,, क्या आप मुझे अपना नहीं मानती  हैं ,,,? मां ने आपके साथ जो भी किया आपने उसकी भनक भी मुझे ना लगने दी,,,,। आपके मायके से आए हुए सभी गिफ्ट्स मां ने मेरे यहां पहुंचा दिए ,,,,।” शिखा को बीच में ही टोकते हुए रिया बोली ,,,” दीदी पर यह सब आपको कैसे पता चला,,,, कि मां ने मेरे मायके से आए हुए सारे गिफ्ट्स आपके यहां भेज दिए हैं ? “

अरे भाभी ,,, “मेरी शादी को सात वर्ष बीत चुके हैं,,, मां के बनाए हुए हर पकवान का स्वाद मेरी जुबान पर रचा बसा है । घर के बनाए हुए अचार , पापड़ और लड्डू के अलग स्वाद से ही मैं समझ गई थी कि यह सब आपकी मां ने बना कर भेजा होगा,,,,।

और मैं ये जानती हूं कि मां के हाथ की  खाने की चीजों में जो प्यार होता है,,वो बाजार की वस्तुओं में नही होता ,,,आपकी मां ने कितने प्यार दुलार से सब आपके लिए भेजा था ,,,पर जाने क्यों आपकी सासू मां एक मां होकर भी ये बात न समझी ,,,और आपके यहां का एक एक समान मेरे यहां भेज दिया ।”

” पर दीदी ,,,आपकी सासू मां ने भी तो आपके साथ वही किया , जो मेरी सास ने मेरे साथ किया “, उदास स्वर में रिया अपने शिखा से कहा ।

यह सुनते ही शिखा जोर – जोर से हंसने लगी और बोली,” नहीं नहीं भाभी ,,,ऐसा कुछ नहीं है , यह सब तो मेरे प्लान का एक हिस्सा था जो मैंने मानव के साथ मिल कर बनाया था,,, यह सब सामान तो मैंने जान बूझ कर शिवि के ससुराल पहुंचाया था ,,,, मैं जानती थी यह सब देखकर एक मां के हृदय पर चोट लगेगी और शायद इसी के जरिए मैं अपनी मां को समझा पाऊंगी,,,,। और देखो ना,,, मैं अपने मकसद में कामयाब भी हो गई । 

रिया की उदासी दूर करते हुए शिखा बोली,,, चलो प्यारी भाभी अब ज्यादा दुखी मत हो ,,,अब कम से कम इस बात की तो तसल्ली हुई कि भविष्य में मम्मा आपके साथ ऐसा कभी नहीं करेंगी  ,,,,।

फोन रख कर भी दोनो ननद भाभी के चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी । 

स्वरचित मौलिक

पूजा मनोज अग्रवाल

दिल्ली

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!