कॉलोनी के पार्क मे सुबह आसपास के काफी लोग आया करते थे । ज्यादातर बड़े बूढ़े वहाँ थोड़ा घूम कर बतियाने लगते , जवान दौड़ लगाते या व्यायाम करते और बच्चे साइकिल चलाते या कुछ ना कुछ खेल खेलते ।
ऐसे ही एक सुबह बड़े बूढ़े आपस मे बतिया रहे थे । उनमे कुछ 70-80 साल के भी थे और कुछ ऐसे थे जो रिटायरमेंट के नजदीक थे।
” शर्मा जी छोटी बिटिया के लिए कोई रिश्ता बताइये ना जिससे हम निफराम हो गंगा नहा कर आ जाये !” मिस्टर वर्मा एक दूसरे व्यक्ति से बोले।
” हाँ भाई रिटायरमेंट नजदीक है उससे पहले ये काम हो जाये तो अच्छा है !” दूसरे व्यक्ति जो वर्मा जी के साथ ही काम करते थे और उनकी ही उम्र के थे बोले।
” कैसा लड़का चाहिए तुम्हे अपनी बिटिया के लिए ?” शर्मा जी ने पूछा।
” शर्मा जी बिटिया बैंक मे नौकरी करती है , छोटी है इसलिए बहुत नाज़ो से पाला है हमने उसे तो लड़का ऐसा हो जो अच्छा कमाता हो , पत्नी को बराबर का सम्मान देता हो वो क्या है ना हमारी बिटिया को सुनना पसंद नही । अब भई पढ़ी लिखी कमाऊं लड़कियां कहाँ सुनती है आजकल !” वर्मा जी आखिरी लाइन बोलते हुए ठहाका लगा पड़े ।
” देखिये वर्मा जी एक लड़का है तो मेरी नज़र मे , दो भाई – बहन है वो , पिता का अच्छा बिज़नेस है और बेटा इंजीनियर है । बहुत संस्कारी परिवार है । लड़के की दादी भी जीवित है सब एक साथ बहुत प्यार से रहते है । आप कहें तो बात चलाऊं ?” शर्मा जी बोले ।
” ना ना शर्मा जी हमारी बिटिया इतने सारे लोगो के बीच कैसे रहेगी । मुझे उसकी शादी करनी है ससुराल वालों की सेवा करने को नौकरानी थोड़ी भेजनी है ! आप तो कोई ऐसा लड़का देखिये जो यहाँ शहर मे अकेला रहता हो माँ बाप के साथ नही ।” वर्मा जी बोले।
” पर वर्मा जी ससुराल साथ हो तो बहुत फायदे होते है अकेले बच्चे कहाँ इतने समझदार होते है जो सही गलत देख सके । कल को दोनो के बीच कुछ हो भी जाये तो परिवार का सहारा रहता है ना क्योकि बड़े बूढ़े सब संभाल लेते है !” शर्मा जी बोले।
” सब संभालने को हम है ना आप बस कोई ऐसा ही रिश्ता बताइये वो क्या है ना हमारी बेटी नाज़ो पली है वो सबकी जिम्मेदारी नही उठा पायेगी !” वर्मा जी हँसते हुए बोले ।
” बच्चो को नाज़ो पालिये पर उन्हे रिश्ते सहेजना भी सिखाइये वरना परिवार रह कहाँ जाएंगे । जब पिता की ऐसी सोच है तो बेटी को कोई क्या ही कहे । वैसे बेटा तुम्हारा भी एक बेटा है ना वो कौन से शहर मे नौकरी करता है ?” उनकी बात सुन एक अस्सी साल के बुजुर्ग बोले।
” अरे अंकल वो तो यही नौकरी करता है । अब हमने बेटे को पढ़ाया लिखाया इस काबिल बनाया तो दूसरे शहर कैसे भेज देते । उसका और बहू का फर्ज है ना हमारी सेवा करना ।” वर्मा जी उनकी बात सुन एक दम से बोले।
” ओह तो लगता है तुम्हारी बहू के मायके वालों ने उसे नाज़ो से नही पाला होगा तभी तुम्हारे घर मे शादी कर दी । अगर नाज़ो से पाला होता तो वो भी यही सोचते हमारी बेटी क्यो ससुराल वालों की सेवा करे । आजकल परिवार बचाने है तो ऐसी लड़की को बहू बनाना होगा जिसे उसके घर वालों ने नाज़ो से ना पाला हो !” वो बुजुर्ग ये बोल वहाँ से चलते बने और वर्मा जी उनकी बात का मतलब समझ टका सा मुंह लेकर रह गये क्योकि उन्होंने कम शब्दों मे गहरी बात कही थी ।
धन्यवाद
संगीता अग्रवाल
#मुहावरा – टका सा मुंह लेकर रह जाना