नाम डुबो दिया – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “अरे कहाँ है गिरधारी, क्या कर रहा है? ” बिहारी बाबू घर में घुसते हुए जोर से बोले |

       “मैं तो घर में ही ं हूँ भैया | प्रणाम करता हूँ|आइये बैठिए |” गिरधारी बाबू  अपने कमरे से बाहर आते हुए बोले |

          ” खुश रहो , पर ये तो बताओ मैं ये सब क्या सुन रहा हूँ  ? तुम्हारे बेटे ने तो अपने खानदान  का नाम डुबो दिया |”बिहारी बाबू गुस्से में थे |

      “भैया, आप बैठें और शांति से बताये ं कि शुभम ने ऐसा कौन सा काम कर दिया, जिससे खानदान  का नाम डुब गया |” गिरधारी ने उनका गुस्सा शांत करने के लिए  पूछा | 

         “पूरे गाँव में चर्चा हो रही है कि शुभम  ने अपनी पत्नी को इतना पढाया, बढावा दिया कि वह प्रतियोगिता परीक्षा पास कर गई और शुभम से भी बड़ी अफसर बन गई |बोलो यह सच है या नहीं? ” बिहारी बाबू बैठते हुए बोले |

           “हाँ भैया, बात तो सही है |बहू ने प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली है |अब वह अफसर बन गई है , पर भैया यह तो खुशी की बात है| इसमें गुस्से वाली या नाम डुबाने वाली क्या बात है? मैं तो खुद आपके यहाँ मिठाई लेकर आने वाला था |”गिरधारी बाबू ने कहा |

         ” पर बहू ने ये सब किया कैसे,पढाई कैसे की?क्या इसके लिए तुमसे पूछा था?तुमने अनुमति दी थी?” बिहारी बाबू एक साथ कई प्रश्न पूछ बैठे |                                     “भैया, जब बहू शुभम के साथ शहर जा रही थी, तब उसने अपनी पढाई के बारे में पूछा था |मैंने उसका मन रखने के लिए हां कह दिया था, पर मैंने नहीं सोचा था कि वह सचमुच में इतना पढ़ जायेगी और अफसर बन जायेगी | अब मेहनत की, बन ही गई तो  गलत क्या हुआ |” बिहारी बाबू ने समझाया|               “अरे हमारा शुभम इंस्पेक्टर है और बहू अफसर बन गई |बहू का ओहदा शुभम से बड़ा हो गया |हमारे घर में आजतक किसी बेटे की पत्नी बेटे से किसी लिहाज में उपर नहीं रही है |  पति पत्नी से कम  पढा- लिखा हो, उससे छोटे ओहदे पर हो तो पति की क्या इज्जत रह जायेगी ? मेरी दोनों बहूओं को ही देख लो  |मेरे बेटे से कम पढी- लिखी है, नौकरी नहीं करती, इसीलिए तो घर गृहस्थी का सारा काम करती है|सबों की बात मानती है, इज्जत करती है |” बिहारी बाबू ने बोला |

               “पर ये सब तो शुभम की पत्नी  अर्चना भी करती है |घर का काम करती है |बडो़ की इज्जत करती है |सबों की बात मानती है | मेरी बहू बहुत अच्छी है |” शुभम की माँ बोली |

           “करती होगी, पर अब नहीं करेगी |पत्नी पति से कम हो तभी अच्छी रहती है |तुमने तो सुना ही होगा कि पत्नी, पति से बड़े पद पर हो तो , पति को कुछ नहीं समझती, कोई बात नहीं मानती, इज्जत नहीं करती, मनमानी करती है |लडाई- झगड़ा, केस मुकदमा करती है | अब यही सब हमारे घर में भी होगा |जब पति की ही इज्जत नही करेगी, तो हमारी क्या करेगी ? क्या जरूरत थी शुभम को ये सब करने की | उसने तो पत्नी को अपने से बडा़ बनाकर सारे खानदान का नाम डुबा दिया |”बिहारी बाबू  अभी भी गुस्से में थे |

         “ऐसा कुछ नहीं होगा चाचाजी और  हमारे कारण खानदान का नाम कभी नहीं डुबेगा |” अर्चना अंदर आते हुए बोली |

          “हाँ चाचाजी, हमने आपकी बातें सुनी है | आप निश्चिन्त रहे, ऐसा कुछ नहीं होगा |” शुभम भी बोल पडा़ |

           “तुम दोनों, अचानक |” गिरधारी बाबू  बोले |

          “हम दोनों आपसब को प्रणाम करने और आपलोगो का आशीर्वाद लेने आये हैं|”शुभम और अर्चना दोनों ने सभी के पैर छुए |

         “देखिए भैया, मैं कहती थी न कि मेरी बहू बहुत अच्छी है |” शुभम की माँ खुश होकर बोली |

           “मै आप सभी लोगों को विश्वास दिलाती हूँ कि मै सदा इस परिवार का और आपसब का मान -सम्मान बनाये रखूंगी और कभी भी कोई ऐसा काम नहीं करूँगी जिससे पापा जी को मुझे पढने की अनुमति देने और शुभम को मुझे पढाने के लिए पछताना पडे़ | शिक्षित होने और बडे़ पद पर होने का मतलब संस्कारहीन और मर्यादाहीन होना नहीं है |शिक्षा तो मनुष्य को विनम्र बनाती है |मैं घर की मान-मर्यादा, संस्कार का सदा ध्यान  रखूगीं|”अर्चना ने हाथ जोड़कर कहा -“मैं तो कहूँगी चाचाजी आप भी अपनी दोनों बहुओं को आगे बढने का मौका दें |”

           “अब तो आप मानेंगे न भैया, शुभम ने बहू को पढाकर, अफसर बनाकर, खानदान का नाम डुबाया नहीं है |” गिरधारी बाबू ने हंसकर कहा |

          थोड़ी देर चुप रहने के बाद बिहारी बाबू गंभीर स्वर में बोले -” तुम ठीक कह रहे हो गिरधारी |मुझे भी समझ आ रहा है और अब सब ठीक लग रहा है |मैं भी अपनी बहुओं के बारे में सोचूंगा  |” 

         “इसी बात पर सब मुंह मीठा किजिए|”

शुभम की माँ  प्लेट में मिठाई  ले आई |

        सभी हंसते हुए मिठाई खाने लगे |

  #नाम डुबोना

स्वलिखित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

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