मुझे अंकल के साथ नही जाना – ममता गुप्ता

अरे !! परी कभी अपने बढ़ते हुए वजन को भी ध्यान से देख लिया कर ।। एकदम कद्दू की तरह फूलती जा रही है , तेरी वजह से मेरी सारी सहेलियां ताने देती है , नाम तो ” परी ” रख दिया लेकिन यह परी उड़ तो नही पाती होगी ।। स्मिता ने गुस्सा करते हुए अपनी बेटी परी से कहा ।।

परी एक बहुत प्यारी बच्ची है , स्मिता औऱ रोहन उसके माता पिता है ।। परी की उम्र 9 साल की है , लेकिन उम्र के हिसाब से उसका शरीर भारी हो गया ।। आजकल के बच्चे सुनते औऱ मानते भी कहा है , उन्हें तो बस खाने में फास्ट फूड चाहिए , घर के बने हेल्दी खाने के नाम से नाक को सिकुड़ना बस यही आता है , परी के शरीर का बढ़ते भारीपन से स्मिता परेशान है ।।

आखिर कैसे कम करें , परी का मोटापा ??

स्मिता ने अपने पति रोहन से कहा – सुनो !! तुम सुबह परी को मॉर्निंग वॉक पर ले जाया करो औऱ दौड़ लगवाया करो ताकि इसका मोटापा कुछ कम हो ।।

रोहन – अरे !! यार तुम्हे तो पता ही है , मैं देर रात तक ऑफिस का काम करता हू तो सुबह जल्दी नही उठ सकता क्योंकि मुझे सुबह उठकर ऑफिस जाना होता है , औऱ इस मॉर्निंग वॉक के चक्कर मे नींद पूरी नही हो पाएगी ।। ऐसा करो तुम ही सुबह जल्दी उठकर ले जाया करो मॉर्निंग वॉक ।।

रोहन ने हाथ जोड़ते हुए कहा ।।

हा ! हा ! मुझे तो जाना ही है लेकिन तुम्हे पता है मुझे भी कितना काम होता है , सुबह 4 बजे की जागती हूँ तभी से काम मे लगी रहती हूं , चलो कुछ समय निकालकर इसे मै ही मॉर्निंग वॉक पर ले जाया करूँगी ।। स्मिता ने कहा ।।

रोहन – सुनो !! अविनाश रोजाना सुबह जल्दी मॉर्निंग वॉक के लिए जाता है , क्यों ना परी को हम उसके साथ ही भेज दिया करेंगे मॉर्निंग वॉक के लिए ।।




स्मिता – क्या परी को अविनाश के साथ मॉर्निंग वॉक पर भेजना सही रहेगा ?

रोहन – अरे !! यार तुम भी केसी बात करती हो । तुम भी अविनाश को अच्छी तरह जानती हो औऱ उसके स्वभाव से तुम अच्छी तरह वाकिफ हो ।। अविनाश मेरा सबसे अच्छा दोस्त है  औऱ विश्वास पात्र भी अपने भाई से बढ़कर मानता है मुझे … और बच्चो के साथ उसे खेलना भी पसन्द है ।। तुम व्यर्थ की चिंता कर रही हो , कल मैं उससे कहा दूंगा जब सुबह मॉर्निंग वॉक के निकले तो साथ मे परी को भी ले जाए ।।

स्मिता – यह ठीक रहेगा ! आप अविनाश भैया से बोल देना की वो परी को साथ ले जाए ताकि परी का वजन थोड़ा कम हो ।।

परी अपनी मम्मी के जगाने पर सुबह जल्दी उठने लगी…औऱ अविनाश के साथ मॉर्निंग वॉक जाने लगी।। परी को अच्छा लगने लगा लेकिन ये क्या

परी दो चार दिन तो ठीक रही फिर सुस्त सी रहने लगी।।औऱ मॉर्निंग वॉक पर जाने  के नाम से कतराने लगी ।। यह देखकर स्मिता को थोड़ी चिंता हुई लेकिन फिर सोचने लगी कि बच्ची तो सुबह जल्दी उठने के वजह से थक जाती है इसलिए ही सुस्त सुस्त रहती हैं ।। आज जाने का मन नही होगा,।।रहने देती ।। स्मिता परी के पास जाकर बैठी

स्मिता ने परी को जैसे ही गले लगाने लगी… तो परी डर गई … औऱ कुछ अजीब सा व्यवहार करने लगी जैसे वो कहना चाहती थी कि मुझे मत छूना ।।

ऐसा व्यवहार देख औऱ स्मिता के हाथों को बार बार हटाते देख … परी से वो प्यार से बोली … क्या हुआ मेरी प्यारी गुड़िया को … कही चोट लगी है क्या ? बोलना ना मेरा बच्चा ।।




यह कहते हुए स्मिता भी रोने लग गयी ।। इतने में रोहन भी ऑफिस से आ गया , स्मिता की आंखों में आंसू देखकर बोला क्या हुआ ?

देखो ना रोहन परी कल से बहुत ही गुमसुम सी है, औऱ अजीब सा व्यवहार कर रही हैं।

रोहन औऱ स्मिता ने दोनो ने परी से कहा ठीक है तुम्हे मॉर्निंग वॉक पर जाना अच्छा नही लगता तो कल से वो बन्द।  अब तो खुश हो जा मेरा बच्चा।

औऱ बता क्यों गुमसुम है … स्मिता ने उसे अपनी गोद मे लिटाते हुए पूछा ।।

परी – माँ वो अंकल अच्छे नही है । मुझे अंकल के साथ मॉर्निंग वॉक पर नही जाना।।

स्मिता ( चौंकते हुए ) – क्यों ? ऐसा क्या किया उन्होंने ?




परी – माँ!! वो मुझे यहां वहां बदन पर गलत तरीके से छूते है , मुझे अच्छा नही लगता । उन्होंने मुझे कल अपने अपने गोद में बैठा कर गालों पर चूमने  के लिए भी कहा था । जब मैंने ना कहा , तो मुझे थप्पड़ तक मार दिया ।माँ वो अंकल बहुत ही गंदे है, परी ने रोते हुए कहा।।

स्मिता ( पछताते हुए ) – मेरी ही गलती थी बेटा जो मैंने तुम्हें जल्लाद के हाथों सौप दिया , लेकिन अब उस कमीने की खैर नही । जितना भरोसा तुम्हारे पापा को अपने दोस्त पर था आज पता चला इस दुनिया मे कोई किसी का नही । न जाने कितने ही लोग सिर्फ हवस के पुजारी बने बैठे है,

*यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है , इस कहानी में ये कतई नही कहा गया है कि सारे मर्द गलत है … पर इसमे काफी हद्द तक आज की एक कड़वी सच्चाई छुपी है ।। कभी कभी माता पिता अपने कामों में इतने व्यस्त हो जाते है कि अपने बच्चों के लिए समय नही निकाल पाते , और स्वयं की जिम्मेदारी किसी और के हाथों सौप देते है जिसका खामियाजा शायद उन्हें काफी बड़ी कीमत से चुकाना पड़ता है ।* हमे अपने बच्चों को गुड़ टच औऱ बेड टच के बारे में समझाना चाहिए औऱ उन्हें अपनी आत्मरक्षा के गुर भी सीखाने चाहिये।। बच्चा मोटा हो या पतला,गोरा हो या काला कभी दूसरे के बच्चों से तुलना नही करनी चाहिए बस अपने बच्चों से प्यार करे औऱ उनके सुरक्षा कवच बनकर साथ चले।।

दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी बताना जरूर,आपकी प्रतिक्रियाओ का इंतजार हमेशा रहता है औऱ रहेगा।🙏🙏

धन्यवाद

ममता गुप्ता

 

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