आत्मसम्मान को जिंदा रखना है – नीतिका गुप्ता

 टाई खो दीं तुमने मेरी , मैंने परसों रात को सोफे पर रखी थी लेकिन तुम से कुछ नहीं होता टाई उठाकर नहीं रखी जाती है जगह पर ,एक काम ठीक से नहीं होता तुमसे,  घर के काम भी नहीं संभाले जाते चीजें भी ठीक से नहीं रखी जाती बस सारा दिन पड़े पड़े सोते रहो खाते रहो” धारा का पति अनुज उसे कह रहा था ।

धारा और अनुज की शादी को 10 साल हो चुके हैं और उनका एक बेटा भी है।

शादी के बाद धारा नौकरी करती थी और सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था परंतु बेटा होने के बाद इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए अकेली थी इसलिए उसने नौकरी छोड़ दी और शायद यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी।

  बेटा होने के बाद कुछ साल तो सब ठीक-ठाक ही था या यूं कहें की धारा बेटे में इतना व्यस्त थी कि अपने आसपास के किसी चीज से उससे फर्क नहीं पड़ता था।

बेटा बड़ा होने के साथ जिम्मेदारियां भी बड़ी अब उसको स्कूल लाने ले जाने उसका टिफिन बनाने उसको पढ़ाने और एक्स्ट्रा एक्टिविटीज के लिए ले जाना। सारा काम धारा के ऊपर था जिसकी वजह से सुबह-सुबह जल्दबाजी में कुछ गलती हो जाती थी।

आए दिन अनुज कभी ऑफिस जाने से पहले तो कभी ऑफिस से फोन करके उस पर चीखता चिल्लाता रहता था धारा का आत्मविश्वास खत्म हो गया था वह हर पल डरती रहती थी कि न जाने कब किस बात के लिए उसे दोषी ठहरा दिया जाए।

आज सुबह यही हुआ अनुज के कपड़े जूते सब कुछ एक जगह पर इकट्ठा करने के बाद जब वह मैचिंग टाई देख रही थी तो उसे दो टाई कम दिखी, उसने अनुज से कहा ,




“अनुज आप दो टाई घर लेकर नहीं आए हो कार में ही रह गई होंगी आप प्लीज ब्लू टाई कार से लेकर पहन लेना।”

  अनुज ने आव देखा ना ताव और धारा को खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया और जब उसने विरोध किया तो उसके मुंह पर एक थप्पड़ जड़ दिया ।

अनुज टाई के डब्बे की सारी टाई बेड पर फेंक कर गुस्से में बड़बड़ाते हुए चले गए और धारा वहीं जमीन पर धम्म से गिर गई उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी और उसका बेटा सहमा हुआ दरवाजे पर खड़ा था।

जब धारा ने अपने बेटे को देखा तो अपने आंसू पोंछकर मुस्कुरा कर उसे अपने पास बुलाया।

बेटा उसकी गोद में आकर बैठ गया और बोला , मामा पापा के पास इतनी सारी टाई हैं ,आप पर गुस्सा क्यों कर रहे थे वह आपको इतना क्यों डांटते हैं ? धारा के पास कोई जवाब नहीं था वह बस बेटे को गले से लगाकर सिसक पड़ी।

कुछ ही पलों बाद उसकी फोन की घंटी बजी स्क्रीन पर उसके पति की फोटो आ रही थी बेटा चिल्लाया ! मम्मा पापा सॉरी बोलने के लिए फोन कर रहे हैं‌। धारा जानती थी कि टाई गाड़ी में मिल चुकी है और उसको यही बताने के लिए फोन किया जा रहा है।

लेकिन आज उसने फोन नहीं उठाया और ना ही उस झूठी माफी को स्वीकार किया क्योंकि कोई भी माफी के आत्मसम्मान चोट को ठीक नहींही कर सकती थी।

आज धारा एक फैसला कर चुकी थी कि जमाना कितना आगे बढ़ गया है और मैं पीछे नहीं रह सकती

उसने अपना बायोडाटा सारे डाक्यूमेंट्स ठीक किए और निकल पड़ी अपने आत्मसम्मान की खोज में।

स्वरचित (मौलिक रचना)

नीतिका गुप्ता

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!