धोखा: दोषी कौन? – संगीता अग्रवाल 

” अमन आज आप “द कैफे गये थे आपने बताया नही और वो लड़की कौन थी आपके साथ !” ऑफिस से घर लौटे पति से सपना बोली।

” तुम …तुम्हे कैसे पता मैं कैफे गया था ?” अमन ने चौंकते हुए सवाल किया ।

” वो असल मे मैं आज मीठी ( सपना और अमन की छह महीने की बेटी ) को इंजेक्शन लगवाने गई थी वहाँ मेरी सहेली मिल गई फिर वापसी मे हम थोड़ी देर कैफे मे चले गये थे क्योकि वो अस्पताल के पास ही पड़ता है पर तुम वहाँ क्या करने गये थे तुम्हारे ऑफिस से तो वो बहुत दूर है ?” सपना बेटी को गोद मे लिए हुए बोली।

” वो वो मेरी क्लाइंट थी उसने उसी कैफ़े मे मिलने को कहा था तो मैं क्या करता !” अमन गुस्से मे बोला।

” अरे तो भड़क क्यों रहे हो मैने तो पूछा तुमसे !” सपना बोली।

 

बात आई गई हो गई कुछ दिन बाद सपना बाज़ार से सामान लेने जा रही थी वहाँ उसकी सहेली मिली उसने अमन के अफेयर के बारे मे बताया क्योकि उसकी सहेली का पति भी अमन के ऑफिस मे था सुनने के बाद एक बार तो सपना को यकीन नही हुआ इसलिए उसने पहले अमन से पूछने की ही सोची।

” सुनो आपके ऑफिस की रिया क्या बहुत सुंदर है ?” शाम को अमन के आने पर सपना ने पूछा ।

” हां पर तुम क्यों पूछ रही हो ये ?” अमन सपना के सवाल पर अचकचा कर बोला ।

” इतनी सुंदर की उसके आगे आपको अपना घर अपनी बीवी अपना बच्चा भी नज़र नही आये ?” सपना एक दम से गंभीर होकर बोली क्योकि वो अमन के हाव भाव से समझ गई थी कुछ तो गड़बड़ है ।

” क्या बकवास कर रही हो तुम ?” अमन उखड़ता हुआ बोला।

” वही जो आप कर रहे हो मैं तो केवल बोल रही हूँ !” सपना बेटी को पालने मे लिटाते हुए बोली।




” ओह्ह तो तुम्हे सब पता लग गया …पर इसमे मेरा क्या दोष है तुमने खुद को देखा है पहले तुम कितने अच्छे से खुद को मेंटेन रखती थी और अब कुछ भी पहन लेती हो । शाम को घर आओ तो बच्चे मे उलझी रहती हो बिखरे बाल अस्त व्यस्त कपड़े ऐसे मे कोई आदमी बाहर ना जाये तो क्या करे !” अमन बेहयाई से बोला।

” बच्चा क्या मेरा है उसकी परवरिश करना , तुम्हारे पिता को देखना घर के सब काम देखना इन सबमे खुद को मेंटेन करने का समय कहा मिलता है ! पर इसका मतलब ये तो नही कि तुम ये सब करते फिरो …छी !” सपना रोते हुए बोली।

 

” बच्चा खाली तुमने पैदा नही किया और एक माँ बनने के बाद हर औरत पति को दरकिनार कर देती है ठीक है तुम बच्चे को संभालती हो पर खुद का ध्यान भी तो रख सकती हो बर्तन सफाई को नौकरानी है फिर काम क्या बचता है जो तुम समय नही निकाल पाती !” अमन बोला ।

” बर्तन सफाई के अलावा भी बहुत काम होते है घर मे जबकि तुम मेरी कोई हेल्प नही करते हां मानती हूँ मीठी होने के बाद् मे  थोड़ी मोटी हो गई हूँ , खुद को मेंटेन नही रख पाती क्योकि थक जाती हूँ तुम्हारे साथ बाहर नही जाती क्योकि बच्ची को किसके पास छोड़ू पर इसका मतलब ये नही तुम बाहर अफेयर चलाओ …बच्चे ना होने पर भी औरत दोषी और बच्चे हो जाये तब भी औरत दोषी ऐसा क्यों क्या घर सिर्फ मेरा है क्या बच्चा सिर्फ मेरा है !” सपना गुस्से मे चिल्लाई ।

” मानता हूँ बच्चा मेरा भी है घर पिता सब मेरे है पर मुझे पत्नी का साथ भी चाहिए मैं भी चाहता हू मेरी पत्नी मेरे साथ बाहर घूमे , मुझे समय दे पर नही तुमने तो मुझे बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर दिया है और रिया से मेरा कोई जिसमानी ताल्लुक नही बस उसके साथ घूम कर उससे मन की बात करके मुझे खुशी मिलती है तुम्हारे पास तो मेरे साथ एक कप चाय पीने की भी फुर्सत नही है !” अमन बोला ।




” ठीक है तुम्हे रिया का साथ पसंद है मैं मीठी को लेकर जा रही यहाँ से तुम अपना घर खुद संभालो !” सपना अपने आंसू पोंछती हुई बोली।

 

” नही सपना ये घर तुम्हारा भी है फिर तुम क्यों जाओगी यहां से हम एक दूसरे को दोष दे रहे भी कमी दोनो मे है दोनो दोषी है ये सच है …मैने तुम्हे धोखा दिया मैं मानता हूँ पर उसकी वजह भी तो तुमने दी मुझे यार !” अमन बोला।

” वजह मैने दी …?? तुमने क्यों नही समझा तुम्हारी पत्नी ने एक नई जान को जन्म दिया है वो शरीर से कमजोर है तो उसकी मदद करो क्यों नही तुमने सोचा पत्नी थक जाती है इसलिए तुम्हे समय नही दे पाती तो उसकी थोड़ी सी जिम्मेदारी बांट कर अपने लिए वक्त निकलवाओ उससे । क्यों नही तुमने पत्नी के बच्ची के साथ व्यस्त रहने पर चाय बना ली जिससे पत्नी के साथ बैठ चाय पी सको । दुसरो मे दोष ढूंढना आसान है अमन पर अपने दोष देखो तब पता लगे सच का आइना …!” सपना अपना और मीठी का सामान लगाती हुई बोली।

” नही सपना मैं मानता हूँ मुझसे गलती हुई है पर मैं तुम दोनो के बिना नही रह सकता प्लीज मुझे माफ़ कर दो मैं रिया से रिश्ता तोड़ लूंगा , तुम्हारी पूरी मदद करूंगा जिससे तुम मेरी पहले वाली सपना बन सको प्लीज मुझे माफ़ कर दो !” अमन हाथ जोड़ कर बोला ।




सपना को एहसास था कही ना कही हम दोनो दोषी है इसलिए उसने अपनी बच्ची की खातिर अमन को एक मोका देने की सोची । अमन भी जानता था रिया उसके साथ घूम फिर सकती पर जो सपना कर सकती है वो नही कर सकती इसलिए उसने सपना के प्रति ईमानदार होने का निश्चय किया …।

 

अगले दिन अमन ने सपना को जल्दी उठाया और बेटी को प्रैम मे डाल पार्क ले गया वहाँ उसने बेटी को संभाला और सपना ने योगा किया । घर आकर उसने बेटी को संभाला इतने सपना ने खाने नाश्ते की तैयारी की ससुर को नाश्ता दिया फिर दोनो ने साथ नाश्ता किया वर्ना रोज अमन फोन मे लगा रहता था और सपना कभी बेटी को देखती कभी रसोई के काम इस चक्कर मे सारा समय निकल जाता। दिन मे सपना ने बेटी को थोड़ी देर ससुर के पास छोड़ा जिससे जल्दी काम निपटा सके शाम के खाने की तैयारी भी उसने जल्दी कर दी जिससे अमन को समय दे सके वरना रोज वो अमन के आने तक मीठी के साथ लगी रहती उसे एक मिनट भी अकेला जो नही छोड़ती थी आज उसने मीठी को वाकर मे बिठा अपने पास रसोई मे ही रख लिया और उससे बाते करते काम करती रही। अमन के आने से पहले वो अच्छे से तैयार हो गई । अमन समय से घर आ गया और सपना को देखता रहा कहा उसमे से मसाले और बच्चे के दूध की बदबू आती थी आज परफ्यूम की आ रही थी । वो बेटी के साथ खेलने लगा इतने सपना ने रसोई के बचे काम निपटा लिए ।

सारा दिन खेलने के कारण बेटी थक गई और जल्दी सो गई । उसके बाद अमन और सपना काफी देर तक बात करते रहे। आज अमन और सपना दोनो को ही अच्छा लग रहा था दोनो का साथ हां सपना के मन मे अभी भी अमन को ले थोड़ी शंका है जिसे अमन भी समझ रहा है क्योकि सपना के घर छोड़ने की बात पर उसे समझ आया वो कितना गलत था । पर उसने खुद से वादा किया है वो सपना के दिल से हर शंका निकाल देगा ।

 

रोज की ऐसी दिनचर्या से जहाँ सपना का शरीर चुस्त होने लगा वही उसके मन से शंका भी निकलती जा रही थी।

दोस्तों यहां दोष किसका ये मुद्दा नही मुद्दा है दोनो ने समय रहते अपनी गलती को माना और उसमे सुधार भी किया जिससे रिश्ता बच गया वरना कुछ लोगों को जब तक एहसास होता तब तक सब खत्म हो चुका होता है। इसलिए पति और पत्नी दोनो को अपने रिश्ते को कभी खोने नही देना चाहिए बच्चे होने के बाद एक पति को पत्नी की व्यस्तता आया उसका हाथ बंटाना चाहिए वही पत्नी को भी पति क्या चाहता ये समझना चाहिए।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!