मिन्नू के संस्कार – दीक्षा शर्मा

‘ आप क्यूं उस छोटे बच्चे को मार रहे हैं अंकल!’ मिन्नू चिल्लाकर बोला।

‘ तुझसे क्या, तू कौन होता है बोलने वाला, छ्टांग भर का लड़का!’ उस आदमी ने अपनी भारी आवाज़ में मिन्नू को डराकर कहा।

मिन्नू छोटा था। वह रोने लगा।पर फिर पता नहीं क्या हुआ वह दौड़कर उस नन्हे पिल्ले के पास गया और उसे गोद में उठा लिया।

‘ अब आपने इसे मारा तो मैं पुलिस में जाऊंगा ‘

यह सब हो ही रहा था कि मुहल्ले के सभी लोग वहां आ गए।

मिन्नू ७ वर्ष का प्यारा सा लड़का था।घर में उससे बड़े उसके दो भाई बहन थे।घर में सबका लाडला था मिन्नू पर उसके मम्मी पापा ने लाड़ प्यार में उसे कभी बिगड़ने नहीं दिया।

कहते हैं न बच्चे की नींव बचपन से ही मजबूत करनी चाहिए।अच्छे संस्कार देने चाहिए। मिन्नू के मम्मी पापा ने भी अपने तीनों बच्चों को लाड़ प्यार के साथ – साथ अच्छे संस्कार दिए।बड़े – बूढ़ों का आदर करना तो सिखाया ही,साथ ही साथ जानवरों से प्रेम करना भी सिखाया। मिन्नू की मम्मी रोज़ाना मुहल्ले के जानवरों को रोटी दिया करती थी। मजाल हो कि एक भी दिन उनके दरवाजे से कोई जानवर भूखा जाए।




सर्दियों में कुत्ते जब बच्चे देते थे तो मिन्नू की मम्मी अपने बच्चों के साथ मिलकर उनका घर बनाया करती थी। मिन्नू जब से थोड़ा समझदार हुआ वह यह सब देखता रहा और उसके मन में भी जानवरों के प्रति अटूट प्रेम भर गया।

माता – पिता इंसानों का आदर करना तो सिखा देते हैं पर जानवरों के प्रति संवेदनशील बनना नहीं सिखा पाते क्योंकि वे खुद संवेदनशील नहीं होते।

पर मिन्नू के मम्मी – पापा खुद तो दयावान थे ही ,उनके व्यवहार को देखकर मिन्नू भी वैसा ही हो गया तभी आज मुहल्ले के अंकल को एक छोटे पिल्ले को मारते देख वह लड़ पड़ा।

शोर – शराबा सुनकर मुहल्ले के सभी लोग वहां इक्कठे हो गए।सब पूछने लगे आखिर इतनी बड़ी बात क्या हो गई कि छोटे बच्चे से बड़े अंकल की लड़ाई हो गई।

पूरा माजरा यह था कि वह नन्हा पिल्ला उन अंकल की कार के नीचे सो गया था।अंकल को यह नागवार गुजरा और वह उस नन्ही सी जान को मारने लगे।जब सबको यह बात पता चली तो सभी उन अंकल को भला- बुरा बोलने लगे और मिन्नू की तारीफ करने लगे।

आज मिन्नू के मम्मी पापा बहुत खुश थे कि उन्होंने अपने बच्चे को इतने अच्छे संस्कार दिए।उनका बच्चा एक बेजुबान का दर्द समझता है यह सोचकर उनकी आंखों में आंसू आ गए।

 

 

– दीक्षा शर्मा 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

(मौलिक व स्वरचित)

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