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मेरी कहानी – चंद्रमणि चौबे

सौम्या एक बहुत ही भली लड़की थी , पढ़ी लिखी सुंदर, सुशील, हर कला में निपुण

उनके पापा ज़िला प्रशासन पदाधिकारी थे

एक दिन की बात है वो सारी फैमिली एक रिश्तेदार के शादी में गए हुए थे

वहा शादी में आलोक की मां सौम्या को पसंद कर ली

आलोक से शादी की बात करने लगी

आलोक भी सौम्या को पसंद करते थे

पल भर की मुलाकात दोनो का प्यार में बदल गया

दोनो एक दूसरे को करीब से जानने लगे , बातें करने लगे

सौम्या ने आलोक को बताया कि मैं शादी करने के बाद भी अपना कैरियर  बनना चाहूंगी ,आप सभी का ख्याल भी रखूंगी,,

आलोक भी सौम्या को बहुत वादे किए की मैं बहुत खुश रखूंगा

तुम्हारे आंखों में आसूं कभी नहीं आने दूंगा




    दोनो बहुत खुश थे,

सबकी रजामंदी से आलोक सौम्या की शादी हो गई

शादी के बाद हर दुल्हन का कुछ उम्मीद, ख़्वाब रहते हैं अपने नए जीवन के आगमन से वैसे ही सौम्या भी सपना लिए अपने ससुराल आई।

 ससुराल आने के बाद पूजा पाठ , कन्या का स्वागत है कार्य पूरे विधि विधान से सम्पन्न हुआ

सारे रिश्तेदार अपने घर गए।

सौम्या,आलोक हनीमून मनाने मनाली चले गए

दोनो का सफ़र काफ़ी खुबसूरत रहा,,

         सौम्या के पसंद का हरेक सामान आलोक ने लिया, सौम्या ने अपने और घर के लिए भी सामान खरीदी

ससुराल आई ,,आलोक मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था वो मुंबई चला गया।

इधर ,, आलोक की मां और बहन सौम्या से सारा काम करवाने लगी ,ताना बाना देती और आलोक से हर बात उल्टा बताती




सौम्या रोती , दुखित रहती पर आलोक से कुछ ना कहती,,

एक दिन की बात है सौम्या आलोक से बताना चाही पर आलोक टाल दिया नही सुना

ये तनाव पूर्ण सफ़र कुछ दिन तक चला

सौम्या आलोक साथ आने को कहा वो बोला की नही घर पर अभी रहो मां का सेवा करो बीच बीच में आते रहेंगे

सौम्या कितना झेलती सोची की सारा हाल बता दूं आलोक समझ जाएगा

पर नही उल्टा हुआ आलोक सौम्या पर ही सारा आरोप लगाया

और बोला की तुम जब से  घर आई हो सबका जीना हराम कर दिया है

सौम्या बोली की क्या आपको मुझ पर तनिक भी विश्वास नहीं की ऐसा मैं कर नही सकती हूं

सौम्या की कोई बात से आलोक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा वो अपनी मां बहन को ही सही समझा

बेचारी कितना दुःख सहती




वो आलोक से दूर रहकर अपना जीवन नए तरीके से जीना शुरू किया एक प्राइवेट स्कूल ज्वाइन किया आगे अपनी पढ़ाई जारी रखीं जीवन में बहुत मेहनत कर वो यूपीएससी निकाल कर एक उच्च पदाधिकारी के पद पर अपनी पहचान बनाई

और उधर ससुराल के लोग बहुत चाहते की सौम्या मेरे साथ रहे सब अब सौम्या की तारीफ करने लगे

लेकिन सौम्या मुड़ कर देखी नही पीछे आगे पढ़ती गई।

@ चंद्रमणि चौबे

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