मीठी यादें – कमलेश राणा

कल आकाश का हैप्पी बर्थडे था कई दिन से पार्टी की तैयारियां जोर शोर से चल रही थी सारे दोस्त आस लगाए बैठे थे इस दिन के लिए। उनको आकाश की बर्थ डे की खुशी हो न हो पर पार्टी और मौज मस्ती के मौके की खुशी जरूर थी रात 12 बजे से ही बधाई के फोन आने शुरु हो गये थे जो पार्टी की याद भी दिला रहे थे साथ में। 

घर में मम्मी दादी चाची हमेशा की तरह उन दिनों को दुहरा रही थी जब वह माँ के पेट में था फिर किस तरह उसने चलना बोलना सीखा यानि संक्षेप में पिछले 22 सालों की खुशनुमा यादों का पिटारा खोल कर बैठ गई थी वो। 

उसे भी यह सब सुन सुन कर बहुत आनंद आ रहा था। जब से माँ और दादी ने मोबाइल चलाना सीखा था हर याद को सेव करने की आदत हो गई थी उनकी और अब तो सारी की सारी एलबम ही उन्होंने फोटो खींच खींच कर मोबाइल में सेव कर ली थी। 

सुबह सुबह बर्थ डे विश करने के बाद उन्होंने मुझे बचपन के फोटो दिखाये जिन्हें देखकर बड़ा अच्छा लगा मुझे किसी फोटो में लकड़ी के घोड़े पर सवार था मैं तो कहीं ढेर सारे गुब्बारे लेकर पापा की गोद में.. एक फोटो में मोटा मोटा काजल और माथे पर काला टीका लगा हुआ था उसे दिखाते हुए माँ ने बड़े प्यार से बताया.. तुम बहुत प्यारे गोल मटोल से थे न तो बहुत जल्दी नज़र लग जाती थी तुम्हें इसलिए यह काला टीका लगाती थी मैं तुम्हें। 

एक फोटो में दादी मेरी मालिश कर रही थी तो एक में हाथ में रबर का खिलौना लिए नैप्पी पहने मैं मस्त होकर खेल रहा था सच में समय कितनी जल्दी निकल जाता है वे पुरानी तस्वीरें बयां कर रही थी। 




बहुत सारे दोस्तों और रिश्तेदारों ने व्हाट्स एप पर स्टेटस या फेस बुक पर स्टोरी लगाकर विश किया था साथ में सुंदर फोटो और किसी किसी ने गाने लगाकर मेरे दिन को स्पेशल बना दिया था। 

बड़े खुश होते हुए मैंने कॉलेज में कदम रखा ही था कि देखा कुछ दोस्त झुंड बनाये हुए मोबाइल पर कुछ देख रहे थे मुझे देखते ही एक ने गाना शुरु कर दिया.. 

जंगल जंगल बात चली है

पता चला है

चड्डी पहन के फूल खिला है

फूल खिला है

हा हा हा हा अरे चड्डी नहीं नैप्पी पहन के फूल खिला है। 

अरे मुझे भी भी तो दिखाओ न क्या देख देख कर खुश हो रहे हो तुम लोग.. 

लो देखो तुम्हें ही देख कर खुश हो रहे हैं। 

असल में दादी ने मेरे बचपन के फोटो डाल दिये थे फेस बुक पर जिन्हें लेकर वे मेरा मज़ाक बना रहे थे। 




लड़कियों का ग्रुप भी मेरी तरफ देखकर मुँह दबाकर हंस रहा था.. तभी हम कहें इतना मजबूत शरीर कैसे है… अरे भाई डाबर लाल तेल का कमाल है न। 

यह जुमला मालिश वाली फोटो की तारीफ में था.. अले अले एछे मत बोलो हम लोने लग जायेंगे… हा हा हा। 

उसे माँ और दादी द्वारा बचपन के फोटो सार्वजनिक किये जाने पर बहुत गुस्सा आ रहा था। घर जाते ही वह खीज उठा.. क्या जरूरत थी ऐसे फोटो फेसबुक पर डालने की.. अब मैं बच्चा नहीं रहा.. सबने मेरी कीमती यादों का मज़ाक बना डाला। 

ये मीठी यादें आपको और मुझे गुदगुदाती हैं दूसरे इनके पीछे छिपे आपके दुलार और आपकी भावनाओं को नहीं समझ सकते हैं तो फिर सबको दिखाने का क्या मतलब है मुझे तो आपने दिखा ही दी थी न। 

अब माँ और दादी को भी महसूस हो रहा था कि उनसे गलती हुई है इस तरह के फोटो नहीं डालने थे उन्हें.. युवा होते बच्चे कई बार ऐसी स्थिति में अजीब सी शर्मिंदगी महसूस करते हैं। 

दोस्तों हम लोग भी कई बार ऐसा करते भी हैं और दूसरों के देखते भी हैं पर ये हमारे निजी पल होते हैं जिन्हें सार्वजनिक करना उचित नहीं है अच्छे फोटो अवश्य डालिए जिन्हें देखकर दिल खुश हो। 

#5वां_ जन्मोत्सव

पांचवी कहानी

स्वरचित एवं अप्रकाशित

कमलेश राणा

ग्वालियर

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