मातृदिवस : के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

वैष्णवी अपने कमरे की बालकनी में बैठी हुई डूबते हुए सूरज को देख रही थी । वह रोज उगते सूरज और डूबते सूरज दोनों को देखती है । उसे हर रोज इस उगते और डूबते सूरज को देखने में एक अलौकिक आनंद मिलता है । लोग कहते हैं कि सूरज का उगने और डूबने को क्या देखना है हर रोज एक जैसे ही दिखाई देता है । उन्हें नहीं पता है कि मुझे हर दिन इसमें एक नयापन दिखाई देता है। 

उस दिन मातृदिवस था यानी कि मदर्स डे था ।हमेशा शांत रहने वाला हमारा आश्रम में आज शोर सुनाई दे रहा था । जिनके बच्चे हैं पोता पोती हैं वो सब उनसे मिलने आ रहे थे जिनके कोई नहीं हैं उनके लिए स्कूल और कॉलेज के बच्चे अपनी इच्छा से उन लोगों के साथ मातृदिवस मनाने के लिए आए थे । वैष्णवी का बेटा आया हुआ था अभी थोड़ी देर पहले ही बॉय बोलकर चला गया था ।

जब शाम को फिर से शांति का माहौल हो गया और सब लोग अपने अपने कमरों में चले गए तब वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकल कर आई और सीढ़ियों पर बैठ कर सोचने लगी कि यहाँ आश्रम में जितने भी लोग हैं वो सब एकाकीपन को दूर करने आए हैं या बाहर धोखा और स्वार्थी लोगों से दूर रहने के लिए यहाँ आए हैं ।

सबके बच्चे दूसरे देशों में बस गए हैं । उसी समय देखा सामने से सुशीला आ रही है उसने दूर से ही प्रश्न किया कि तुम्हारा बेटा चला गया है । मैंने हाँ में सर हिलाया तो कहने लगी आजकल के बच्चों को माता-पिता से दो मिनट बातें करने की फुरसत ही नहीं है ।

मैंने कहा कि ऐसा नहीं है सुशीला वे अपने जीवन में व्यस्त हैं फिर भी हमसे मिलने आ रहे हैं इसका मतलब यह है कि उन्हें हमसे प्यार है ।

सुशीला ने मुँह घुमाकर कहा कि तुमसे बातें करना मुश्किल है । अपने बच्चों को कुछ कहती ही नहीं हो ।

वैष्णवी का भी एक ही बेटा विनय है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद एम एस करने के लिए अमेरिका चला गया था । उसने पढ़ाई के बाद नौकरी करते हुए ही वहाँ पर एक घर ख़रीदा मेरे पूछने पर कहा कि माँ यहाँ घर खरीदना आसान है किराए पर लेने की अपेक्षा जब वहाँ आऊँगा तब घर बेच दूँगा ।

वहीं पर नौकरी वाली सुषमा से उसने शादी की इच्छा ज़ाहिर की हमने ही उसकी शादी कराई । पिता के गुजरने के बाद उसने कई बार कहा था माँ यहाँ आ जाओ ना । मैंने भी उतनी ही बार उससे कहा कि मैं वहाँ उस वातावरण में अपने आपको नहीं ढाल सकती हूँ बेटा इसलिए मुझे यहीं पर रहने दो । माँ की बात का मान रखते हुए वह कम से कम साल में दो बार तो उससे मिलने आ ही जाता है ।

एक साल जब वह आया तो मैंने कहा बेटा मुझे वृद्धाश्रम में जाकर रहना है मेरी बात मान तू और कोई प्रश्न मत करना । उसने कहा कि माँ आप यहाँ घर में रह सकतीं हैं । आप चाहें तो मैं और एक दो नौकर रख देता हूँ ।

मैंने उसे समझाया बेटा पिछले हफ़्ते अपने घर के पीछे जो वृद्ध दंपति रहते थे उन्हें उनके ही पहचान वालों ने पैसों के लिए मार डाला है । वृद्धों का अकेला रहना भी दूभर हो गया है । तुम चाहो तो घर बेच दो पर मुझे यहाँ नहीं रहना है ।

विनय माँ की मनःस्थिति को समझ गया और शहर के आसपास के वृद्धाश्रम को देखकर आया और यहाँ उसे इस आश्रम में जॉइन करके चला गया ।

जब घर बेचने की बात आई तो यह कहकर नहीं बेचा कि यहाँ उसका बचपन बीता है पापा का बचपन बीता है । अपने बच्चों को यहाँ हर साल लेकर आऊँगा और उन्हें भी इस घर में रहने का अवसर दूँगा ।

हर साल की भांति इस वर्ष भी वह मदर्स डे को यहाँ आया उसके साथ सुबह से शाम तक समय बिताने के बाद अभी कुछ देर पहले ही गया है उसकी सुबह की फ्लाइट है वापस जाने के लिए ।

इस बार उसने वैष्णवी के बचपन की यादों को ताज़ा कर दिया था । हम दोनों खाना खा कर जब बैठे हुए थे तो बता रहा था माँ हम आपको जितने भी उपहार क्यों न दे देते पर आपने नानी को बचपन में जो उपहार दिया है उसके मुक़ाबले कुछ भी नहीं है । नानी हमेशा मुझे बताती थी और उस दिन को याद कर उसकी आँखों में जो चमक होती थी वह आज भी मेरे लिए अनमोल है ।

विनय की बातों को सुनकर वैष्णवी को अपना बचपन याद आ गया था । अभी अकेले बैठकर वह सोच रही थी कि उस समय जब वह छोटी थी यह मातृ दिवस नहीं मनाया जाता था ।

जब वह स्कूल में थी तब एक दिन सब बच्चियाँ कुछ ना कुछ बना रहीं थीं जैसे कोई ग्रीटिंग कार्ड बना रहा था या कोई रुमाल पर अपनी माँ का नाम लिख रहा था तो कोई उनके लिए नई साड़ी लेकर आया था ।

उसने जब उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि कल मातृदिवस है इसलिए हम सब अपनी माँ को कुछ देना चाहते हैं ।उस दिन उसे मातृदिवस के बारे में जानकारी मिली थी । सब लोग बहुत खुश थे पर मैं खुश नहीं थी क्योंकि मेरी माँ की मुझसे कोई बात नहीं होती थी । जब बहन या भाई को खिलाना हो या कुछ काम कराना हो तब ही माँ उसे पुकारती थी अन्यथा वह कभी उससे बात नहीं करती थी ।

पिता की तनख़्वाह बहुत कम थी हम तीन भाई बहन थे । माँ दिन भर काम करते हुए सबकी ज़रूरतों को पूरा करने में लगी रहती थी । उस दिन वह स्कूल से घर पहुँची तो दरवाज़ा अंदर से बंद था जब ऐसा कभी होता था तो हम पीछे के दरवाज़े से अंदर चले जाते थे ।

उस दिन भी मैं ऐसे ही पीछे के दरवाज़े पर पहुँची तो माँ को अपनी पड़ोस में रहने वाली सहेली से बात करते हुए सुना ।

सुलभा देखना घर में कामवाली बाई के ना रहने के कारण इतना काम हो जाता है कि सुबह चार बजे से रात के बारह कब बज जाते हैं पता ही नहीं चलता है । इस दौरान बड़ी बिटिया वैष्णवी से बात नहीं कर पाती हूँ और ना ही उसे अपने साथ बिठा कर उसकी परेशानियों को पूछ पाती हूँ । छोटे अभी छोटे हैं तो उनसे समय गुज़ारना ही पड़ता है बडी के लिए मुझे बहुत अफ़सोस होता है ।

माँ की  बातों से मुझे लगा कि माँ बिचारी मुझसे प्यार करती है लेकिन उसे जताने का समय नहीं मिल पाता है । मुझे लगने लगा कि मैंने तो उनके लिए कुछ किया ही नहीं है । मैं सोचने लगी कि माँ के लिए क्या कर सकती हूँ ।

मैं सोच रही थी कि अचानक एक आइडिया आया और मैं उसके बाद कुछ काम कर नहीं सकी । मैं रात को सोने गई थी पर मेरी नींद बार बार खुल जाती थी कि कहीं मैं सोती नहीं रह जाऊँ ।

मैं ठीक साढ़े तीन बजे उठ गई जल्दी से उठकर मैंने तबेले को साफ़ किया,  रसोई साफ किया , घर के बाहर भी सफ़ाई कर दी और छोटी सी रंगोली भी बना दिया था ।

गाय जिसे हम लक्ष्मी कहकर पुकारते थे उसे भी शायद उस समय माँ को ना देख मुझे देख आश्चर्य हुआ होगा डर रही थी कि दूध दुहने देगी या नहीं पर लक्ष्मी ने मेरी लाज रख ली मैंने दूध दुहकर रसोई में ढंक कर रख दिया ।

माँ जो भी काम करती थी उसे मैंने माँ के उठने से पहले ही कर दिया और अपने कमरे में जाकर चद्दर ओढ़कर सो गई थी । माँ को उस दिन नींद से उठने में देरी हो गई थी बिचारी अपने आप को कोसती हुई जल्दी से उठकर बाहर आकर देखती है तो पूरा घर साफ सुथरा था आँखें फाड़कर देखते हुए पूरे घर में घूम कर देखा और रसोई में आई तो वहाँ दूध दोहकर रखा हुआ था ।

वह समझ गई कि यह चमत्कार किसने किया है । वह तेज तेज कदमों से चलते हुए वैष्णवी के कमरे में पहुँची और उसके चेहरे पर से चादर हटाकर उसके चेहरे को हाथों में थाम कर चूमने लगी और आँसू बहाने लगी ।

वैष्णवी ने भी उन्हें गले लगा लिया और उनके आँसू पोंछते हुए कहा हेपी मदर्स डे माँ । उसी समय विनय की आवाज़ सुनाई पड़ी माँ देखो मैं फिर से आ गया हूँ ।

वैष्णवी – विनय तुम्हारी फ्लाइट मिस हो गई है क्या ? विनय ने कहा कि नहीं माँ पाँच घंटे लेट है तो सोचा आपके साथ और समय बिता लूँ ।

विनय चाहता तो एयरपोर्ट के पास ही होटल लेकर रह सकता था या फिर अपने दोस्तों के साथ घूमने जा सकता था पर नहीं इतनी दूर माँ के साथ समय बिताने के लिए आकर असली मदर्स डे मनाया है वह बेटे को देखकर भावुक हो गई थी ।

विनय ने कहा कि माँ ऐसे ही एक दिन मैं आपके साथ रहने के लिए भी आ जाऊँगा । मुस्कुराते हुए कहा कि माँ हमारे साथ रहने के लिए तैयार हो जाइए ।

के कामेश्वरी

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