मानसिक तलाक –  सपना शर्मा काव्या

जी हां हमारा मानसिक तलाक हो चुका है। मेरी और नवीन की शादी को 20 साल हो गए है और शादी इस स्थिति में है की न तो हम साथ है और न दूर है मानसिक तलाक वो होता जो हमारे बीच ही नहीं पता नहीं दुनिया के कितने शादी शुदा जोड़ो के बीच अक्सर हो जाता है। जिसमे दोनो पति पत्नी एक साथ  एक कमरे और एक घर में रहेंगे जरूर लेकिन  उनको एक दूसरे से कोई मतलब नहीं होगा वो दुखी सुखी हो बीमार हो या कोई भी अवसर हो उन को एक दूसरे से कोई मतलब नहीं होता वो जुड़े सिर्फ सामाजिक तौर पे मेरे दो बच्चे है आकाश और पूजा  दोनो बच्चो की स्थिति कुछ ऐसी है न तो वो छोटे  है और न ही जवान है 

अब तलाक लिया भी लिया जाए कैसे आदमी का तो फिर भी ठीक है लेकिन एक औरत उसके ऊपर तो 10 बंदिशे है।  मैने अपनी मां को कहा तो उन्होंने भी बोल दिया इस उम्र में क्या तलाक लेगी बच्चे छोटे होते तो कुछ सोचा भी जा सकता था। अब अपने बच्चो का देखो तुम्हारी तो कट गई (अब कट गई या काट गया) मैने मन में सोचा बच्चो को समझाना चाहा तो उनका कहना ये कहना था यार तुम लोगो का तो रोज का ड्रामा हो गया है।

बस ऐसे ही जिंदगी चल रही थी। महीनो महीनो हमे बात किए हुए हो जाते है। अगर बात करना भी चाहो तो बात बहस से शुरू हो कर झगड़े पर खत्म होती है। इसका रास्ता ये निकाला की अगर कोई जरूरी बात करनी हुई तो बच्चो से कहलवा दिया जाए नवीन को हमेशा इस बात का घमंड रहा की वो कमा रहा है। तो बस जो करे वो ठीक है। नवीन के कुछ करने से अगर मेरी भावनाओं को चोट पहुंचती है तो उसके जूते से,उसको कोई फर्क नहीं पड़ता। जहा इस उम्र में पति की जरूरत होती है। 

वहा हमारा मानसिक तलाक हो रखा है। वो सुबह वाली चाय,वो गुनगुनी धूप में बैठे हुए मुगफली खाना। अब तो वो उम्र के उस दौर पर पहुंच गए है जिसमे एक दूसरे के खराटे सुने बिना नीद नहीं आती। एक दूसरे की पसंद याद हो या ना हो लेकिन एक दूसरो की दवाइयों के नाम याद हो जाते है।  अब मैं भी क्या करू जब इतना करने के बाद भी ये सुनने को मिले की तुमने किया ही क्या है ?मेरे और मेरे घर के लिए!! कैसे समझाऊं की पता नही कितनी बार अपनी इच्छाओ का गला घोटा है मैंने!! कमाया तो कुछ नहीं लेकिन पूरी जिंदगी बचाया तो है! 



माना रूपये पैसे नहीं दिए लेकिन अपनी पूरी जिंदगी दे दी इस घर को क्यों भुल जाते ही की बहुत कुछ  दिया है। मुझे भी बुरा लगता जब मेरा पति दूसरो के सामने मुझे मोटी बुद्धि या फूहड़ कहता है।  और कहता है की जब मैं पास से गुजरती हूं तो मेरे अंदर से मसालों और सीलन जैसी बदबू आती है।

मुझे भी बुरा लगता जब मेरा पति दूसरो की पत्नियों की तारीफ करते है। रोज रोज की लड़ाई झगड़ो से अच्छा था की चुप ही रहा जाए। तो मैं भी चुप हो गई और छोड़ दिया सब कुछ ऊपर वाले के हाथों में।

नवीन 45 की उम्र में भी बहुत अच्छे दिखते है। मै उनके सामने एवरेज ही थी।  कुछ दिनों से नवीन का मूड बहुत अच्छा था बड़े खुश खुश रहते अपना बहुत ध्यान रखते बच्चो से भी मजाक करते बस प्रोब्लम थी तो मैं सब खुश थे तो थोड़ी राहत थी। नहीं मालूम था की ये तूफान से आने से पहले की शांति थी।

एक रात फोन के व्हाट्सएप नोटिफेक्शन से मेरी आंख खुल गई। आंख खुली तो लगा चलो पानी पी लिया जाए  उठ के टेबल से अपन चश्मा उठाया तो दुबारा msg आ गया देखा तो किसी न्यू अकाउंट नाम से नंबर सेव था और  msg था hi मैने देखा लेकिन इतना ध्यान नहीं दिया एक दिन में सोसाइटी की लेडिज प्रोग्राम में गई वहा पड़ोस में रहने वाली सीमा भाभी ने बोला अरे कविता भाभी आप की कोई भतीजी या भांजी इस शहर में रहती है क्या ? 

मैंने बोला नहीं भाभी क्या हुआ?

वो नवीन भाईसाहब को अक्सर एक सुंदर सी लड़की के साथ देखा है कभी मॉल तो कभी सड़क पे परसों तो एक पार्क में थे ऐसा लग रहा था कि किसी बात को ले कर बहस हो रही हो। मैने कोई जवाब नहीं दिया। बस फिर मेरा वहा मन नहीं लगा और मैं बहाना बना के चुप चाप वहा से आ गई।  




कुछ दिन निकले मैने बच्चो और नवीन से बात करनी चाही तो किसी ने सुना भी नही की मै कहना क्या चाहती हूं। मेरी बेटी जो शायद मेरे दर्द को समझ रही थी। उसने कहा मां आप तो जानती ही हो की पापा ने ना आपकी सुननी है न हमारी इस लिए जो हो रहा है होने दो। बस आप परेशान मत हो आपकी तबियत खराब हो जाती है। 

मैने भी खुद को समझा लिया एक दिन दिन में नवीन एक लड़की को घर ले कर आए और बोले देखो कविता लाग लपेट नहीं करूंगा ये नीता है और ये मेरे बच्चे की मां बने वाली है। और मै इसे शादी करना चाहता हूं वैसे भी हमारे बीच बच्चो के अलावा कुछ है नहीं तुम मुझे तलाक देकर आजाद करो ताकि में नीता से शादी कर सकू दूसरी बात तुम्हे जो चाहिए वो तुम्हे मिल जायेगा और बच्चो की मर्जी है वो जहा रहना चाहे रह सकते है क्योंकि तलाक मेरा तुमसे होगा बच्चो से नहीं । 

मै सुन्न हो चुकी थी कभी कभी नीता तो कभी नवीन को देख रही थी। मैने कहा मुझे थोड़ा टाइम दो। और आप खुद बच्चो के सामने तलाक की बात करोगे। नवीन ने हां में सिर हिलाया और नीता को वहा से ले गया और छोड़ गया एक सोच का गुबार ।

दो दिन बाद संडे में दरवाजे के बैल बजती है सामने नीता थी। जिसको नवीन ने ही बुलाया था। नीता अंदर आई तो नवीन ने पूजा और आकाश को बुलाया और कहा देखो बच्चो ये नीता है। और ये तुम्हारी नई मां है । मै और नीता एक दूसरे  से प्यार करते है। 

तुम लोग भी जानते हो की तुम्हारी मां और मेरे रिश्ते में कुछ नहीं है। नीता बिकुल चुप थी जबकि नवीन जल्दबाजी में लग रहे थे मैने बच्चो से कहा बताओ क्या करू इस उम्र में कहा जाऊ। नवीन plz कविता ये मेलो ड्रामा बंद करो तुम भी जानती हो हम दोनो एक दूसरे के साथ खुश नहीं है। और बोला तो है जो तुम चाहोगी वो मिल जायेगा तुम्हे।

आकाश और मां का क्या वो क्या करेगी मां कही नहीं जाएगी यहां से अगर आपको इस लड़की से शादी करनी है तो आप जाओ। पूजा भाई सही बोल रहे है और पापा हम मां के साथ है मैने कहा क्या  ही दोगे तुम मुझे !! क्या मुझे दे सकते हो नवीन मेरी जिंदगी के वो कीमती साल जो तुम्हे मैने दिए है।  और रही बात पैसों की तो वो हम खुद देख लेंगे और तलाक तो मै दूंगी तुम्हे लेकिन तुम्हारी वजह से नहीं नीता की वजह से क्यों की वो भी एक लड़की है जैसे मेरी पूजा है। तुमने तो कर दिया जो करना था अब भुगतती नीता मै नहीं चाहती की तुम्हारी गलती की सजा नीता को मिले और कविता तलाक के पेपर पे साइन कर देती है। नवीन का चेहरा उतर जाता है और वो नीता को लेकर चल जाता है आखिर आज कविता को भी मुक्ति मिल ही गई मानसिक तलाक से……..

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