लाइन में अपनी बारी का इंतजार करते हुए विराट को काफी देर हो गई थी, और अब वह काफी बोर हो रहा था ,गुरुवार होने के कारण हमेशा से भीड़ भी बहुत ज्यादा थी। इधर उधर देखते देखते वह सामने की तरफ जा रही ,लाइन में नीचे की तरफ देखने लगता है, ऊपर उसे कोई नजर नहीं आ रहा था ,लेकिन सभी के पैर नजर आ रहे थे ,और वह उन्हें बड़ी गौर से देख रहा था ,अचानक से बहुत खूबसूरत से पैरों में काला धागा बंधा नजर आता है ,और अचानक विराट को महसूस होता है, कि उस काले धागे में उसके दिल के धागे कहीं ना कहीं जाकर उलझ गए। और वह उसी मिलने के लिए बेचैन हो जाता है।
मंदिर के दर्शन करके वह पूरी शिर्डी में जिस भी महिला या लड़की को देखता था, उसके पैरों की तरफ जरूर गौर करता था, ऐसा लग रहा था ,कि वह उस काले धागे वाले पैरों को आज ढूंढ कर ही रहेगा।
लेकिन उसे दोबारा वह पैर कहीं नजर नहीं आये, और वह वापस आ जाता है, पुणे में जॉब होने के कारण विराट कहीं ना कहीं मन में उस काले धागे वाली को ढूंढने के लिए शिरडी जाने लगा था या शिरडी जाने के लिए उसे अब यह बहाना मिल गया था ।
लेकिन उसके दिमाग से काले धागे वाला पैर नहीं निकल पा रहा था ,हमेशा उसे ऐसा लगता है, कि उस काले धागे वाले पैर पर दिल आ गया हो ,काफी समय तक वह उन्हीं में खोया रहता है। जब अपनी जॉब की छुट्टियों में अपने घर वापस आता है, तो उसकी माता पिता विराट से शादी की बात करते है, उसको कहीं ना कहीं ऐसा विश्वास था, कि कभी ना कभी वह काले धागे वाली मुझे जरूर मिलेगी ,और वह कहने लगता है ,कि पहले मां मै अपनी दोनों बहनों का विवाह करना चाहता हूं ,उसके बाद मैं शादी करूंगा ,आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने के कारण मां पिता को भी उसका यह फैसला मंजूर होता है, और कुछ समय बाद उसकी एक बहन की शादी हो जाती है।
इस कहानी को भी पढ़ें:
विराट के पिता अपनी छोटी बेटी के लिए एक लड़का देखते हैं ,वह आर्थिक स्थिति में बहुत अच्छा नहीं था ,लेकिन परिवार बहुत अच्छा था ,और लड़की की जॉब बहुत अच्छी थी, विराट पिता के कहने से उनके साथ लड़की वालों का घर देखने जाता है, लेकिन वह बिल्कुल भी शादी करने के लिए तैयार नहीं था,
क्योंकि उसे लग रहा था ,कि वह अपनी बहन के लिए और बेहतर लड़का ढूंढ सकता है ,लड़की वालों की स्थिति बहुत सामान्य थी ,आम घरों की तरह बहुत छोटा घर सामने के कमरे की तरफ एक पर्दा लगा हुआ था ,एक छोटा सा आंगन था , छोटे छोटे कमरे और किचन था ,
उसे यह सब देख कर बड़ा अजीब लग रहा था ,और वह सोचता है ,कि मेरी बहन यहां रहेगी ,लेकिन अचानक उसकी नजर सामने पर्दे के नीचे से दिख रहे पैरों पर जाती है ,जहां उसे एक काले धागे वाला पैर नजर आता है ,और वह एकदम से उठकर वहां पहुंच जाता है ,और पर्दा उठा कर देखता है ,तो वहां कुछ नहीं था, और अपनी इस हरकत पर वह खुद ही शर्मिंदा हो जाता है,
लड़के के पिता कहते हैं, हो सकता है ,बिल्ली होगी आप परेशान ना हो, यहां दिन भर ऐसे ही खुले में बिल्लियां घूमा करती हैं, लेकिन उसका मन अब उस काली धागे वाले पैर की तरफ खिंचा चला जाता है, और वह व्याकुल हो जाता है ,उस काले धागे वाले पैर को देखने के लिए लेकिन उसे वहां कुछ नजर नहीं आता । और वह अपने घर आ जाता है ,
लड़का से मिलने पर उसे संतुष्टि होती है, कि लड़का बहुत अच्छा है, वैसे भी उसी तो बैंगलोर रहना था ,विराट के माता पिता उसकी मर्जी जानकर और अपनी बेटी की हां होने पर शादी के लिए हां कर देते हैं, कई बार विराट किसी न किसी बहाने से उनके घर गया, लेकिन उसे कभी वह दोबारा काले धागे वाला प्यार नजर नहीं आया जबकि,उसे पूरा विश्वास था ,कि यह काले धागे वाला पैर जरूर वहीं पर है ,जिसे उसने मंदिर में देखा था।
एक बार फिर साईं बाबा के मंदिर जाता है, और वहां वह मन्नत मांग कर आता है, कि मुझे मेरे जीवन साथी के रूप में इस काले धागे वाले पैर को मिला दीजिए ,जहां मेरे दिल के तार जाकर उस काले धागे से उलझ गए हैं, बहन की शादी हो जाती है ,और बहन खुशी-खुशी वहां रहने लगती है। उसकी खुशी को देखकर विराट भी बहुत सुकून महसूस करता है ,
अपनी बहन की बरात में उसने हर महिला के पैरों को चेक किया था । लेकिन वहां भी उसे ऐसा कोई पैर नजर नहीं आया था, तो उसे लगता है ,कि हो सकता है कहीं ना कहीं मैंने शायद धोखा खाया हो देखने में।
इस कहानी को भी पढ़ें:
विराट एक दिन अपनी मां और बहन की बातचीत फोन पर सुनता है ,लेकिन अधूरी बात के कारण उसे पूरी बात समझ में नहीं आती ,और वह वहीं खड़ा हो जाता है ,तब उसकी मां उसे कहती है, इन लोगों ने हमारे साथ कितना बड़ा धोखा किया ,इनकी एक बहु विधवा है ,लेकिन हमें तो कभी उसके बारे में नहीं बताया। और वह अकेले हैदराबाद में रहती है ,और यह लोग तो उस बहू को शादी में भी नहीं लाए ,यह सुनते ही उसके मन में फिर से आशा जाग जाती है ,शायद आप कहीं काले धागे का सुराग मिल जाए।
छोटी बहन जब ससुराल आती है, तो वह उसे घुमा फिराकर काफी बातें पूछता है ,और जब वह अपनी जेठानी के बारे में कहती है जेठानी बहुत खूबसूरत है, पर बेचारी शादी के 18 महीने बाद ही विधवा हो गई, उनके पति शहीद हो गए थे ,इसलिए मम्मी जी उन्हें अपशगुन मानकर अपने घर नहीं रखती हैं और इसलिए उन्होंने भाभी के बारे में कुछ नहीं बताया था, विराट के मुंह से अचानक निकलता है ,क्या वह पैर में काला धागा पहनती है ,विराट की बहन उसको बड़े गौर से देखती है, और कहती है हां –_-
लेकिन आपको कैसे पता कि वह पैर में काला धागा पहनती है।
फिर अचानक उसे ख्याल आता है और कहती है ,कि जिस समय आप लोग वहां घर को देखने गए थे ,पापा मम्मी के साथ तब वह घर पर ही थी, उनसे अंदर तो सारा काम कराया गया था ,लेकिन उन्हें बाहर लाकर मिलवाया नहीं गया था ,तो आपने शायद उन्हें वही देखा होगा । विराट अब अपनी छोटी बहन से कुछ छुपाना नहीं चाहता था ,
उसे लगता था। कि शायद साईं बाबा ने मेरी बहन के जरिए ही मुझे उससे मिलाने के लिए यह रास्ता बनाया है। और वह अपनी बहन को सारी बात बता देता है, विराट की बहन अपने पति को सारी बात बताती है ,और कहती है कि क्यों ना हम भैया को भाभी जी से एक बार मिलवा दे आधुनिक सोच रखने के कारण वह इसके लिए राजी हो जाता है,
लेकिन विराट मिलने से मना कर देता है। और कहता है कि मुझे सिर्फ उससे शादी करना है मुझे उसकी विधवा होने पर कोई एतराज नहीं है ,लेकिन घर में यह सुनते से ही विराट के मम्मी पापा विराट को बहुत समझाते हैं प्यार से, इमोशनल ब्लैकमेल करके, लेकिन वह राजी नहीं होता, और उधर विराट की छोटी बहन और उसके पति अपने घर में जब इस बात की चर्चा करते हैं ,
तो वह लोग भी राजी नहीं होते ,लेकिन विराट की जिद को देखकर दोनों पक्षों को झुकना पड़ता है ,और जब पहली बार विराट नेहा से मिलता है ,और उसके पैर में जब वह काला धागा बंधा देखता है, तो साईं बाबा को धन्यवाद देता हुआ ,अपनी जीवनसंगिनी के रूप में नेहा को अपना लेता है, नेहा जब ससुराल आ जाती है , वह अपने पैर से उस काले धागे को खोलने लगती है,
विराट की बहन जब यह देखती है ,तो वह उसे रोक लेती है, और कहती है, की भाभी यही वह काला धागा है, जिसे देखकर भैया का दिल इस धागे में उलझ गया था ,इस धागे को आप ना निकालिएगा।
इस कहानी को भी पढ़ें:
नेहा मुस्कुरा देती है ,और मन ही मन कहती है ,कि कैप्टन साहब आप भी इस काले धागे को लेकर मेरे दीवाने हुए थे ,और हमेशा आप कहते थे ,कि मैं इस काले धागे के रूप में तुम्हारे साथ रहूंगा । जीवनसाथी को विराट के रूप में पाकर मैं बहुत खुश हूं ,आप भी मेरे करीब हैं इस विराट के रूप में, और वह मुस्कुराते हुए विराट को देखकर काला धागा और अपना पैर आगे उसके आगे बढ़ा देती है ,और विराट मुस्कुराते हुए उसके पैर में काला धागा बांधता है।
रश्मि सक्सैना