मन की गांठ – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

चिन्मयी जैसे ही लंच खत्म कर ऑफिस डेस्क पर पहुंची, बॉस ने उसे बुलवाया और उसकी टीम बदल दी। जिस प्रोजेक्ट पर वह लंबे समय से काम कर रही थी, उस से निकाल उसे फील्ड वर्क और सिर्फ रिपोर्ट्स कंपाइल करने का काम दे दिया गया, वह कुछ पूछती उस से पहले ही बॉस ऑर्डर्स टाइप करा उसे थमा चुके थे।

उसे अजीब तो लगा, पर कुछ समझ न आने की स्थिति में उसे चुप रहना ही ठीक लगा। धीरे धीरे वह नए काम में एडजस्ट हो रही थी।पर चिन्मयी कुछ दिनों से अपनी सहकर्मी और सहेली लावण्या के व्यवहार में भी बदलाव महसूस कर रही थी।कभी उसके कपड़ों पर कटाक्ष, तो कभी काम करने के तरीके पर तो कभी अन्य सहकर्मियों से उसकी बातचीत पर।

और आज तो हद ही हो गई, जब वह लंच करके डेस्क पर आई तो एक सीनियर महिला सहकर्मी सरला जी ने उसे बताया कि लावण्या बता रही थी कि चिन्मयी और सहज के बीच कुछ चल रहा है, और सारे ऑफिस के लोग इस बारे में गॉसिप कर रहे हैं तो तुम ज़रा संभल कर रहना, ये कॉरपोरेट है, एक बार जो इमेज बन गई तो तुम्हारे प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ दोनों के लिए बेहतर नहीं रहेगा। एक बार के लिए तो चिन्मयी हैरान ही रह गई, उसकी इतनी अच्छी सहेली, जिसे वो बड़ी बहन की तरह मानती थी, वो उसके बारे में अफवाहें फैला रही है।

ऑफिस खत्म होते ही, निकलते समय उसने लावण्या से बात करना ठीक समझा, घुमा फिरा कर न कह उसने सीधा पूछा, “लावण्या क्या प्रॉब्लम है, तुम ये क्या बातें फैला रही हो मेरे और सहज के बारे में?” लावण्या मुस्कुराकर,”मैं क्या फैला रही हूँ।” चिन्मयी गुस्से में, “बकवास मत करो, मुझे सब पता चल गया है।” लावण्या,”आराम से यार। बातें तो सभी के बारे में होती हैं, तू इतना सीरियसली क्यों ले रही है।” यह कहकर चल दी।

दोनों की बातचीत बंद हो गई पर पर चिन्मयी के मन की गांठ थी कि सुलझ ही नहीं रही थी कि आखिर क्या वजह रही कि लावण्या ने ऐसा किया जबकि दोनों की दोस्ती काफी समय से थी, मिजाज़ भी मिलते थे।

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अचानक सप्ताह बाद,एक नया ऑफिस ऑर्डर आता है कि लावण्या उस प्रोजेक्ट पर काम करेगी जिसपर चिन्मयी काम कर रही थी।

अब चिन्मयी को सब साफ साफ समझ आ रहा था, उसे उस टीम से निकाला जाना, उसके बारे में अफवाहें फैलना। ये सब असल में लावण्या की ही ऑफिस पॉलिटिक्स थी, चूंकि चिन्मयी ने बाद में ज्वॉइन किया था तो ये लावण्या के बर्दाश्त के बाहर था कि वो उस प्रोजेक्ट को लीड करे इसीलिए उसने ये सब किया।

चिन्मयी सोच रही थी कि किस तरह से हम महिलाओं की असुरक्षा की भावना, प्रतिद्वंदिता और ईर्ष्या में बदल कर पुराने रिश्तों और दोस्ती में व्यवहार की सहजता और प्रेम खत्म कर देती है।

अब लावण्या आगे से बोलती भी, कभी मूवी के लिए तो कभी शॉपिंग के लिए पर चिन्मयी मना ही कर देती और अपने काम से काम रखती।इस बात से न सिर्फ उसके मन में बल्कि उनके रिश्ते में भी हमेशा के लिए कभी न खुलने वाली गांठ पड़ गई।

और आज अचानक लावण्या उसकी डेस्क पर आई और बोली, यार मुझे माफ़ कर देना, उस समय पता नहीं मुझे क्या हुआ था, मैंने तो बस मजाक में मिसेज सरला को बोला था।उनने तुझे आकर कह दिया और हमारी अच्छी खासी दोस्ती टूट गई, ये सब तो यही चाहते थे। चिन्मयी मुस्कुरा कर बोली, “मैं उस बात को कभी का भूल चुकी हूं, अब तुम काम बताओ।”

यह सुन, लावण्या एकदम सकपका गई और बोली “नहीं कोई काम नहीं था !यार ,बस मैं तो यही कह रही थी कि तू उस प्रोजेक्ट पर काम करना चाहे तो टीम में आ सकती है।” चिन्मयी,”नहीं यार! मैं अपने इसी काम से बहुत खुश हूँ।”

चिन्मयी को बॉस पहले ही बुला कर कह चुके थे कि सहज जो टीम का पुराना मेंबर है, वह जॉब स्विच कर रहा है तो कोई ऐसा बंदा चाहिए जो प्रोजेक्ट के बारे में पहले से जानता हो और चिन्मयी कह चुकी थी कि वह प्रोजेक्ट पर तभी काम करेगी जब उसे लीड पोजीशन मिलेगी।

शाम को बॉस का नया फरमान आ गया था कि चिन्मयी प्रोजेक्ट को लीड करेगी और लावण्या उसे अस्सिट करेगी। चिन्मयी भी तैयार थी एक नए सबब के साथ कि कार्यस्थल के रिश्तों की गांठ को मन की गांठ न बनने दो जो आपको आगे बढ़ने से रोक दें।

 

ऋतु यादव 

रेवाड़ी (हरियाणा)

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