मां बिन मायका क्यों सूना लगे•••• – अमिता कुचया

शालिनी मां के गुजरने के बाद मायके आती है, तब एकदम चौंकते हुए भाभी मंजरी बोलती है- अरे दीदी आप अचानक आ गई!!!

तब शालिनी ने कहा –   भाभी मैं क्या यहां बिना बताए नहीं आ सकती हूं, मेरा भी घर है

फिर शालिनी ने कहा -भाभी मुझे मां की बहुत याद आ रही थी।

भाभी कहने लगी- अरे  दीदी यहां याद करो या अपने घर में ,अब मम्मी तो है नहीं,मेरा मतलब एक न एक दिन सबको जाना  ही होता है।वो चली गई। खैर

देखो भाभी मां के बिना ये घर कितना सूना हो गया है पहले मैं यहां आती तो कितना अच्छा लगता था।

तब मंजरी भाभी कहती हैं- नहीं तो मुझे नहीं लगता। कि घर सूना हो गया है।जाने‌वाले को तो नहीं रोक सकते, एक न एक दिन सबको इस दुनिया से जाना होता है,बस केवल यादें ही रह जाती है

अच्छे कर्म करो तो सबके दिल में बसे रहते हैं।यदि बुरा व्यवहार रहे तो कड़वी यादें ही रह जाती है वो कोई याद करना नहीं चाहता।

आप बैठो मैं पानी लाती हूं

अब  शालिनी चारों ओर देखकर रोने लगती है। वह बहुत दुखी होती है।मां की फोटो के आगे रोकर कहने लगती – “मां मुझे तुम्हारी यहां बहुत कमी लग रही है। तुम्हारे रहने पर यही घर मुझे अपना लगता था।आज यहां आई हूं।तो मुझे तुम्हारे बिना पराया घर लग रहा है

ऐसा क्यों मां???

मां के रहने तक ही मायका होता है!!!




तभी भाभी पानी लेकर आती हैं। और अरे दीदी आप तो रो रही हो ।ये अपने कर्मों का फल ही होता है। इसलिए आपको पराया घर लग रहा है।

आप मेरे दिल तक पहुंच ही  नहीं पाए।

ये क्या कह रही हो भाभी?

तब मंजरी भाभी कहती हैं -भूल गई आप कैसे आप मुझे परेशान करती थीं।

मम्मी जी और आपने मेरा जीना मुश्किल कर दिया था।

अगर कोई साड़ी आपको  मेरी वाली पहननी हो तब मेरे मना करने पर आप कैसे  मम्मी से मेरी शिकायत करती थी। उन्हें बोलकर मैं नहीं दे रही हूं। और बिना मेरी मर्जी के ले लेती थी। और क्या- क्या याद दिलाऊं ??

मेरी तबियत भी ठीक न हो, तब पर भी मुझसे काम कराया जाता था। और तो और मुझसे आप दोनों  ने मेरी आजादी छीन ली थी। यहां तक कि मायके भी जाना हो तो मम्मी की बिना मर्जी जा नहीं सकती थी।

दीदी आपने और मम्मी ने जो दर्द दिया है ,वो मेरे लिए नासूर के समान है । उन्हें चाहकर भी नहीं भूल सकती।

भाभी ये सब कुछ क्या कह रही हो ।आपको इतना दर्द तकलीफ थी मुझसे और मम्मी से




हां- हां दीदी ये दर्द एक न एक दिन तो छलकना ही था

वैसे आप यहां कब तक रहोगी?

मैं अनचाहे रिश्ते को मैं दिल से नहीं निभा सकती।

तब शालिनी को अपनी कही बातें याद आने लगी

वो समझ गई।कि यहां मेरी कोई जगह नहीं है।वो भाभी वैसे तो दो तीन के लिए आई थी, अब आपका ऐसा व्यवहार रहेगा तो शाम को मैं चली जाऊंगी।

देखो दीदी आप आई तो रुक जाओ।पर ये याद रखना मां से ही मायका नहीं बल्कि भाई भाभी से भी मायका होता है। यदि आपसी मेलजोल  सही चले तो मायका जीवन भर साथ रहता है।एक दूसरे के सुख दुख में हम साथ होते हैं। और सदा एक दूसरे से  हम संबंध ऐसे बनाए कि वो कभी न टूटे। यदि आप मीन मेख देखोगी तो न दिल में जगह रहेगी।न ही मायके में




इस तरह की कड़वी बातें सुनकर शालिनी ने कहा भाभी जो बीत गया  सो बीत गया वो कल था कड़वी बातें भूलकर हम नयी शुरुआत आज करते हैं ,आने वाले कल के लिए मुझे मायका चाहिए। ताकि मैं आपके दिल में जगह बना सकूं। मुझे माफ़ कर दो भाभी मैं अब ऐसा दुर्व्यवहार कभी न करुंगी। मेरी शिकायत करने की आदत आपको दुखी कर देती। मुझे एक सबक मिल ‌गया कि आदतें अच्छी हो तो रिश्ते कभी नहीं टूटते हैं। मैं अपना काम कराने के लिए  मां से जो शिकायतें करती थी।उसी का परिणाम है ,आपके मन में मेरे प्रति इतनी कड़वाहट हो गई।भाभी मेरी यही कोशिश रहेगी कि आपका दिल कभी मेरी वजह से न दुखे। और मैं आपके दुख का कारण बनूं।

भाभी आप मुझे माफ़ करोगी न?

और फिर शालिनी भाभी के गले लगकर रोने लगी।भाभी मुझे समझ आ गया ।मां से नहीं भाभी भैया हो तो मायका की दहलीज बनी रहती है। जिस बेटी का मायका हो तो उसकी ससुराल में हमेशा अहमियत होती है।उसे हल्के में नहीं लिया जाता है। मुझे माफ़ कर दो। फिर भाभी ने कहा -दीदी ये दरार धीरे धीरे ही भरेगी।आप मुझे सम्मान देंगी तो आपको भी हमसे सम्मान मिलेगा।

दोस्तों- अपनेपन के लिए दिल में जगह बनानी होती है। मायके में हमेशा अधिकार ही नहीं होता है, बल्कि प्यार और सम्मान हो तो रिश्ते गहरे होते हैं। जैसे भाभी और ननद का रिश्ता यदि अपनत्व भरा हो तो भाभी मां की जगह  ले सकती है।

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आपकी अपनी दोस्त 

अमिता कुचया

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