लड़का – लड़की दोस्त नहीं हो सकते – रिंकी श्रीवास्तव

नमिता  घर का सामान लाने के लिए बाजार गयी थी,घर लौटी तो शाम के सात बज गये थे|

घर मे घुसी तो देखा उसके पति राकेश आफिस से आ गये थे ,उसने कहा अरे आज आप जल्दी आ गये ,रोज तो आप नौ बजे तक आते हैं |

राकेश ने कोई जवाब नही दिया  |

अच्छा चाय बना दूँ  आपके लिए ,नमिता ने उससे पूछा|

नही ,रहने दो कोई जरुरत नही है ! राकेश ने गुस्से में जवाब दिया और चुपचाप अपने कमरे मे आ गया|

 नमिता की शादी को दो साल हुए है ,ससुराल में सास ससुर ,राकेश ,नमिता और एक छोटी ननद रुचि है जो अभी स्नातक की पढ़ाई कर रही है|

शादी से पहले नमिता एक आफिस मे काम करती थी ,पर शादी के बाद उसने नौकरी छोड़ दी थी क्योकि राकेश और ससुराल वालो को पसंद नही था कि उनके घर की बहू बाहर जाकर नौकरी करे, नमिता ने भी  खुशी से उनकी बात मान ली थी और अपनी गृहस्थी मे रम गयी थी|

ससुराल मे उसकी सास की ही चलती थी ,सब काम उनसे पूछकर ही करना होता था वो भी नमिता को ही क्योकि सास के अनुसार ननद तो छोटी थी और जब घर मे बहू है तो बेटी को काम करने की क्या जरुरत है| खैर नमिता को इन सब बातो से कोई परेशानी नही थी,वो सारे घर के काम खुशी खुशी करती थी|

 पर आज !

आज क्या हुआ राकेश जल्दी घर आ गये,और इतने गुस्से मे क्यो है ,नमिता सोचने लगी |

खैर इस बारे मे राकेश से बाद मे बात करूँगी पहले घर के काम निपटा लूँ ,सोचकर वो रसोई मे चली गयी|

सब काम निपटा जब वो कमरे मे पहुंची तो देखा राकेश उसके मोबाइल मे कुछ देख रहे थे,उसको आते देखकर मोबाइल रख दिया और मुंह घुमाकर लेट गये|



नमिता ने पूछा तो भी कुछ नही कहकर लेटे रहे |

नमिता समझ ही नही पा रही थी कि आखिर बात क्या है !

ऐसे ही तीन चार दिन बीत गये ,राकेश के व्यवहार मे बदलाव आ रहा था,वो उससे ज्यादा बात न करते बस मतलब भर ही बात हो रही थी दोनो मे ,नमिता कोई भी बात करना चाहती तो बस हाँ हूं मे जवाब दे देते|

एक दिन नमिता जब तैयार होकर बाजार जाने लगी तो सास ने रोका कि कोई जरुरत न है तुझे बाजार जाने की,रुचि ले आवेगी सब सामान!

हाँ भाभी ,मुझे लिस्ट दीजिए मै ले आॐगी सब सामान और वैसे भी सामान के बहाने आप क्या करने जाती है बाहर हम सबको पता चल गया है ,रुचि ने मुंह बनाते हुए कहा|

पता चल गया है !क्या पता चल गया है आप लोगो को,और ऐसा मैने क्या कर दिया है कि मेरे घर से बाहर जाने पर पाबन्दी लगा रहे है आप लोग ,नमिता आश्चर्य से बोली|

रहने दे ,रूचि ने हमे सब बता दिया है उसने देखा था तुझे उस दिन बाजार मे कि कैसे तू कौनो आदमी के साथ बतियावत चली आ रही राहो, तुमका तनको शरम नही आयी कि ससुराल का कौनो परिचित देख लेते तो हमार का इज्जत रह जात!उ तो तबहिने हम राकेश का फोन कर बता दीहेन राहे तबही ऊ जल्दी आ गया राहे|

ओह तो राकेश की नाराजगी की वजह ये थी इसीलिए वो उस दिन गुस्से मे थे और मेरा फोन भी चेक कर रहे थे मुझसे छुपकर,

नमिता सोचने लगी|

पर माँ जी वो मेरा दोस्त है कालेज मे मेरे साथ पढ़ता था ,उस दिन अचानक वो बाजार मे मिल गया तो बस ऐसे ही थोडी बातचीत हुई थी ,नमिता ने सास से कहा|

तभी रुचि बीच मे बोल पड़ी “बस रहने दीजिए भाभी,वो आपका दोस्त अचानक  ही नही मिला था आपने ही उसे फोनकर बुलाया होगा|आखिर बात तो आपकी होती ही रहती है फोन पर और व्हाटसअप पर वो तो आपकी फ्रेंड लिस्ट में भी है “

पर माँ जी,नमिता ने कुछ बोलना चाहा पर उससे पहले ही सास बोल पडीं देख बहुरिया यू सब ठीक नही माना कि ऊ तोहार दोस्त है पर ई समाज का का इका मुंह कोई कैसन बंद करी ई समाज तो आज भी स्त्री पुरूष की दोस्ती का एक हे नजर से देखत है चाहे अमीर हो या गरीब ,अगर आदमी औरत मा तनको नजदीकी देखत है तो समाज ऊंगली उठावे लगत है बाकी तुम खुदहि समझदार हो कहकर सास चली गयी|

और नमिता सोचने लगी कैसी है हमारे समाज की सोच |

क्या ये कभी बदलेगी,क्या एक स्त्री पुरुष अच्छे दोस्त नही हो सकते |

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#दोस्ती_यारी

स्वलिखित

रिंकी श्रीवास्तव

 

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