किराए की कोख – अनुपमा

इमली नई नई शहर आई है , राजू अपने पति और दो बेटों के साथ , गांव मैं कुछ नही बचा था ,खुद की कोई जमीन थी नही , दूसरों के यहां मजूरी करने के बाद अंत मैं 2 रुपए भी नही बचते थे , बच्चे बड़े हो रहे थे तो काम की तलाश मैं शहर आ गए , पर शहर मैं भी वही हाल था अकेला राजू उतना नहीं कमा पाता था की इमली अपने बच्चों को स्कूल भी भेज पाए । सुबह सुबह वो सड़क पर सभी बच्चों को स्कूल जाते देखती तो बड़ी हूक सी उठती उसके दिल में की काश उसके बच्चे भी स्कूल जा पाते ।

पड़ोस की औरतें पास ही बनी कॉलोनी मैं घर का काम करने जाया करती थी , राजू से पूछ कर उसने भी अपनी पड़ोसन से उसके लिए भी काम की बात करने को कहा ।

कुछ दिन बाद ही पड़ोसन उसे एक घर मैं ले गई थी , बहुत बड़ा घर था , पति पत्नी अकेले ही रहते थे , पत्नी की तबियत कम ठीक रहती थी इसलिए साहब दिन भर की नौकरानी चाहते थे । इमली तैयार हो गई और वहां काम करने लगी , इमली ने अपनी कार्य कुशलता से जल्दी ही घर का सारा काम समझ कर सीख लिया था । वो मेमसाब और साहब का पसंद का खूब ध्यान रखती , मेमसाब ने उसे खाना बनाना भी सीखा दिया था , इमली होशियार थी तो जल्दी सीख भी जाती थी और मेडम को उसे सिखाना भी अच्छा लगता था ।



साहब और मेमसाहब अच्छे स्वभाव के थे बस खुश नही रहते थे क्योंकि मेमसाब को कोई बच्चा नहीं था इस अवसाद की वजह से मेमसाब को पैनिक अटैक आते थे और वो बीमार रहती थी ।

लेकिन जब वो सही रहती तब वो और इमली ढेर सारी बातें करते थे ,मेमसाब ने इमली को अब थोड़ा थोड़ा पढ़ना भी सीखा दिया था ।

एक दिन इमली ने मेमसाब से हिम्मत करके पूछा मेमसाब क्यों नही है आपके बच्चे ,कितनी सुंदर और अच्छी तो दिखती हो आप क्या कमी है आपमें , मेमसाब ने उसे बताया की उनका गर्भाशय बच्चे को रोक नहीं पाता है बहुत कमजोर है , वो मां बन सकती है अगर कोई औरत उनके बच्चे को अपनी कोख मैं पाल ले तो ।

इमली को बड़ा आश्चर्य हुआ ऐसा कैसा हो सकता है , हाय राम कितना गन्दा काम है ये तो ।

मेमसाब ने उसे समझाया नही नही ये वैसे नही होता जैसे तुम सोच रही हो , इसके लिए आपको किसी और के साथ सोना नहीं पड़ता है बल्कि डॉक्टर के यहां जाना होता है और वो इंजेक्शन से ऐसा संभव करते है ।

मेमसाब ने उसे कहा इमली तुम स्वस्थ हो अच्छी हो अगर तुम चाहो तो मैं मां बन सकती हूं ,मैं बहुत दिन से कहना चाह रही थी तुमसे पर मेरी हिम्मत नही हुई , आज तुमने पूछा तो मैंने भी हिम्मत करके पूछ लिया । तुम्हे परेशान होने की बिलकुल जरुरत नही है , तुम मेरे साथ डॉक्टर के यहां चलना वो तुम्हे सब समझा देगी और फिर तुम राजी हो तभी हां करना ।



इमली को ऐसे किसी मांग की अपेक्षा न थी वो एकदम से बोली नहीं मेमसाब राजू कभी नही मानेगा ,ओर हमें साथ भी नही रखेगा, नही नही मैं ये कैसे कर सकती हूं ।

मेमसाब अंदर गई और पचास हजार रुपए उन्होंने इमली के हाथ पर रखे और बोली अगर तुम राजी होगी तो ये रख लेना और बाकी के सारे खर्चे भी तुम्हारे मेरे जिम्मे होंगे , तुम राजू से बात कर लो अगर वो राजी नहीं हुआ तो कोई बात नही , कल मैं तुम्हारे घर आऊंगी ।

इमली ने राजू से कहा तो वो कहने लगा ये अमीर लोग है इनका क्या ठिकाना , ये बस अपना काम निकलवाना जानते है और तुम्हे कुछ हो गया तो , नही नही ऐसा कुछ नही करना हमें , इमली ने कहा भी की ये मालकिन वैसी नहीं है पर राजू तैयार नहीं हुआ , मेमसाब तभी उसके घर पहुंची और सारी बातें उन्होंने सुन ली थी उनकी , मेमसाब ने राजू से भी वही कहा की वो लोग एक बार डॉक्टर से मिल ले अगर फिर भी उनको सही नही लगेगा तो उन्हे ऐसा कुछ भी करने की जरूरत नहीं है । 

राजू और इमली आज डॉक्टर के पास आए थे , डॉक्टर ने जब उन्हें समझाया तो वो समझ तो गए थे पर काफी संशय मैं भी थे ।

तभी मेमसाब बाहर आती है और इमली से कहती है की वो कल से बस्ती छोड़ कर उनके यहां रहने के लिए आ जाए राजू और बच्चों को लेकर साथ ही उसके हाथ मैं एक लाख रुपए भी रख देती है , बच्चों की पढ़ाई और बाकी चीजों के लिए ।



राजू और इमली मैडम की कोठी मैं ही रहने लगते है बाहर बने सर्वेंट क्वार्टर मैं , मैडम वहां इमली के लिए टीवी , एसी ,फ्रिज सभी कुछ रखवा देती है और बच्चों का दाखिला भी अच्छे स्कूल मैं करा दिया जाता है ।

इमली का सातवां महीना लग चुका है , जैसे जैसे समय बीत रहा है इमली का बच्चे से लगाव बढ़ता जा रहा है , उसे समझ नही आता की वो क्या करे किससे कहे , राजू ने मैडम से मिले पैसे से किराने की दुकान खोल ली है और आसपास कॉलोनी होने की वजह से उसकी दुकान अच्छी चल निकली है तो राजू तो बहुत खुश रहता है ।

इमली के दिन रात इसी कशमकश मैं बीतते है की कैसे वो इस बच्चे को अपने से अलग कर पाएगी ।

वो दिन भी आता है जब इमली को बच्चा होना है , वो दर्द मैं है , आधी बेहोशी मैं भी उसे सिर्फ यही चिंता खाए जा रही है की वो इस बच्चे की ममता को कैसे छुपा पाएगी , ऑपरेशन थियेटर मैं इमली बच्चे को जन्म दे रही है ,मैडम उसके साथ ही है उन्होंने उसका हाथ थाम रखा है , बाहर राजू और साहब भी है । इमली को ऑपरेशन थियेटर के बाद उसके रूम मैं शिफ्ट कर दिया जाता है। 

इमली होश मैं आती है तो अपने पास राजू को देखती है , उसकी आंखें बच्चे को ढूंढती है पर उसे बच्चा कहीं नहीं दिखाई दे रहा है वो सवालिया नजरों से राजू को देखती है ।

राजी इमली को लेकर घर आ जाता है और उसे लेकर सीधे घर मैं आता है ना की सर्वेंट क्वार्टर मैं ।

इमली की मेमसाब और साहब अपने बच्चे को लेकर हमेशा हमेशा के लिए विदेश जा कर बस गए है और ये घर वो राजू और इमली के लिए छोड़ गए है जहां वो अपने दोनो बेटों और राजू के साथ आराम से रह सकती है ।

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