किसे माफ़ी मांगनी चाहिए..? – रोनिता कुंडू

सुनिए जी..! वरुण आजकल बड़ा उदास सा रहता है… ना किसी दोस्त से मिलता है… और ना ही कोई मौज मस्ती करता है…

रमा ने अपने पति मुकुल से कहा..

मुकुल: वह कुछ नहीं.. एग्जाम्स आ रहे हैं उसके, शायद पढ़ाई में मन लगा रहा होगा… वैसे अच्छा ही तो है, मौज मस्ती के लिए काफी समय मिलेगा… पर जो अब अच्छे नंबर नहीं आएंगे, तो आगे पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी…

रमा: नहीं जी..! मुझे लगता है बात कुछ और है… हमें पता करना चाहिए..

मुकुल: यह तुम औरतों की अपनी ही साइकोलॉजी चलती है… बच्चे पढ़े तो वह शांत क्यों है..? ना पढ़े तो आवारा बनता जा रहा है.. पहले एक बात तय कर लो…

रमा: नहीं जी..! ऐसा नहीं है… मां की नजरें वह देख लेती है, जो और कोई देखने में सक्षम नहीं होता… वरुण के 10th के एग्जाम को लेकर, हम जाने-अनजाने उसे कितना कुछ कहते हैं.. कहीं इसलिए तो वह ऐसा बर्ताव नहीं कर रहा है ना..?

मुकुल: बच्चे हम भी थे कभी… क्या हमारे माता-पिता ने हमें कभी नहीं टोका पढ़ाई के लिए..? तो क्या हमने घर छोड़ दिया या फिर खुद को घर में कैद कर लिया..? नहीं ना..? तुम यह सब सोचकर, जो भी वरुण नहीं सोच रहा होगा, वह सोचवाने पर मजबूर कर दोगी… वरुण पढ़ाई में मन लगा रहा है तो, उसे परेशान मत करो… अगर वह कुछ दिन मस्ती नहीं करना चाहता तो, छोड़ दो उसे अकेला…

रमा और कुछ नहीं कहती, पर उसकी बेचैनी खत्म नहीं होती.. वह एक मां जो थी, उसके बच्चे को उससे बेहतर और कौन जान सकता है..? वह यह तो समझ रही थी कि वरुण में बदलाव आया है, पर यह क्यों था..? यह उसे समझ नहीं आ रहा था… फिर उसने वरुण से बात करने की सोची….

रमा: बेटा..! तेरी पसंद की खीर बनाई थी… तो सोचा तुझे तो पढ़ाई करने के चक्कर में अपने कमरे से निकलने की फुर्सत नहीं… मैं यह खीर यहीं ले आती हूं…




वरुण एक हल्की सी मुस्कान के साथ, वह खीर ले लेता है और बड़े ही बेमन से उसे खाने लगता है…

रमा: क्या हुआ बेटा…? खीर अच्छी नहीं बनी क्या…?

वरुण: नहीं मां..! अच्छी है…

रमा: बेटा…! फिर क्या बात है..? वह तो बता ना…?

वरुण: कौन सी बात मां…?

रमा: देख बेटा…! जब मैं कोई भी खाना बनाती हूं, उसमें नमक कम है या ज्यादा जब मुझे पता चलता है… मैं उसे अपने हिसाब से ठीक करने की कोशिश करती हूं… नमक अगर कम हो तो, हम ऊपर से और नमक डाल सकते हैं… पर अगर नमक ज्यादा हो जाए तो खाना जहर बन जाता है…

वरुण: मां..! पर आप यह सब मुझे क्यों बता रही हो…?

रमा: वह इसलिए, ताकि तुम समय रहते मुझे अपनी जिंदगी में नमक की मात्रा बता दो… ताकि मैं उसे अपने हिसाब से ठीक कर पाऊं… कहीं ज्यादा नमक हो गया तो, जिंदगी जहर बन जाएगी…

इस पर वरुण खुद को और रोक नहीं पाता और रोने लगता है…

रमा उसे चुप करा कर उसकी परेशानी का कारण पूछती है…




वरुण: मां..! पापा.. हमेशा कहते हैं कि अगर मेरे अच्छे नंबर ना आए तो मेरा जीवन खराब हो जाएगा… मेरे दोस्त के भी पापा ऐसा ही कहते हैं… हमारे नंबर खराब आने से आप लोगों की बेज्जती भी होगी… इसलिए हमने इससे बचने के लिए कुछ सोचा है…

रमा चौकते हुए: क्या सोचा है…?

वरुण: माफ़ी मांगने का शायद हक तो नहीं है… पर फिर भी आप लोगों से माफी मांगना चाहता हूं… मैं अब और यह प्रेशर नहीं ले पा रहा हूं… मेरी वजह से आप लोगों का नाम खराब हो, मैं यह भी नहीं चाहता… इसलिए हमने…?

रमा: हमने क्या..?

वरुण चुपचाप अपनी नजरें झुका लेता है… रमा भी खामोश थी, क्योंकि शायद उसे वरुण का जवाब पता था… पर क्या आज वरुण को माफी मांगनी चाहिए थी…? या उसके माता-पिता को उससे…?

दोस्तों…! आज इस कहानी के ज़रिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाना चाहती हूं… हमने भी परीक्षाएं दी है और हमारे माता-पिता भी हमे पढ़ाई को लेकर टोकते थे… पर क्या हमने ऐसे बड़े कदम उठाने की कभी सोची..? फिर क्यों आज की पीढ़ी छोटी-छोटी बातों पर इतना बड़ा कदम उठा लेते हैं..? मानती हूं… आजकल हर जगह प्रतियोगिताएं है और हम अपने बच्चों को इस प्रतियोगिता में जीतते हुए देखना चाहते हैं.. पर क्या सिर्फ इसलिए उसे इतना मानसिक दबाव देना ठीक है..? हां शासन जरूरी है, पर वह डिप्रेशन ना बनने पाए, इसका ख्याल भी हमें ही रखना होगा… वरना बच्चे अपना बचपन तो खो ही देंगे, साथ में अपनी जिंदगी भी…धन्यवाद
#माफ़ी
स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित
रोनिता कुंडू

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