कभी कभी छोटी सी चाहत पूरी होने में बरसों लग जाते हैं – शीनम सिंह

मां हमारे स्कूल वाले पिक्चर दिखाने लेकर जा रहे हैं, मैं भी उनके साथ जाना चाहती हूं,मुझे पैसे दो ना! बहुत मन हैं बड़े पर्दे पर फिल्म देखने का” मीना अपनी मां से बोली

“कोई जरूरत नहीं हैं कहीं जाना की और ऐसी बातें तेरे पिता जी के सामने मत करना वरना मुझे भी डांट पड़ेगी और तुझे भी…….समझी!!!!ये सब शादी के बाद करना,अपने पति के साथ देखना फिल्में” मां ने गुस्से में कहा

मीना बस अपना मन मार कर रह गई,सिनेमा में बाल फिल्म लगी थी,जिसकी चारों तरफ़ तारीफ़ हो रही,इसीलिए मीना के स्कूल वाले भी सभी विद्यार्थियों को फिल्म दिखाने लेकर जा रहे थे, मीना का भी बहुत मन था लेकिन अब पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो मीना नहीं जा पाई

कॉलेज में आने के बाद भी मीना के दोस्त अक्सर पिक्चर देखने जाने,लेकिन वो कभी नहीं जा पाती,घर वालों की लगाई कुछ बंदिशें थी जिन्हें वो तोड़ना नहीं चाहती थी,इसीलिए दिल की इच्छा दिल में दबा लेती

कॉलेज खत्म होने के बाद मीना की शादी मनोज से हो गई,शादी को कुछ ही दिन हुए थे और मीना का जन्मदिन आया,इस दिन को खास बनाने के लिए मनोज बाबू ने मूवी के 2 टिकट खरीदें और जब वो टिकट मीना को दिखाए तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा,इस दिन का मीना ने बहुत इंतजार किया था

वो मन ही मन बोली,”चलो शादी के बाद ही सही, कम से कम मेरा ये शौक तो पूरा होगा”

लेकिन जैसे ही ये बात उनकी सास को पता लगी तो वो भड़क गई।सासु मां पुराने विचारों की महिला थी,उन्होंने बहू को सिनेमा घर जाने से मना कर दिया और टिकट फाड़ दी, टिकट के साथ ही मीना के अरमान के भी टुकड़े हो गए।एक बार फिर मीना मन मारकर रह गई।

उस दिन मीना को लगा काश!! मां ने शादी से पहले ये सभी चाहते पूरी करने दी होती,तो आज अफसोस नहीं होता




समय अपनी गति से चलती रहा और मीना मां बन गई,अब उसने खुद को घर के तौर तरीके के हिसाब से ढाल लिया,उसकी दुनिया उसके परिवार से शुरू होती और परिवार पर खत्म होती,अब उसकी अपनी कोई चाहत नहीं थी। बस वो अपने परिवार को सुखी व हंसता मुस्कुराता देखना चाहती थी,परिवार की खुशी ही उसकी अपनी खुशी थी,मीना ने अपनी सारी इच्छाओं को भुलाकर खुद को परिवार के लिए समर्पित कर दिया था।

समय के साथ मीना का बेटा रवि बड़ा हो गया,जब मीना के बेटे की नौकरी शहर में लगी, तो पूरा परिवार शहर में जा बसा,यहां का माहौल थोड़ा खुला था और सभी को अपनी इच्छाएं पूरी करने का हक़ भी था,लेकिन मीना के रहन सहन में अभी भी कोई बदलाव नहीं था

एक दिन मीना के बेटे रवि ने बताया कि वो मधु नाम की लड़की को चाहता हैं तो घरवालों ने खुशी खुशी उसकी शादी उससे करवा दी

शादी के कुछ दिन बाद रवि मीना के पास आया और बोला,” मां आज शाम मैं और मधु पिक्चर देखने जा रहे हैं” उसके इतना बोलते ही सासु मां टिकट फाड़ना और घर में हंगामा होना,ये सब दृश्य मीना की आंखों के सामने घूमने लगे और एक टीस सी दिल में उठने लगी,उसका चेहरा उतर गया

मां का उदास चेहरा देख रवि बोला “मां!!! मां!!! क्या हुआ?? आप ठीक हो?? आपको आपत्ति हैं तो हम नहीं जायेंगे”

अपने ख्यालों से बाहर आकर मीना बोली,” क्यों नहीं जाओगे?? बिल्कुल जाओ,यही तो दिन हैं घूमने फिरने के,किसी अच्छी जगह लेकर जाना बहु रानी को”

रवि अपनी बीवी मधु के साथ पिक्चर देख कर लौटा था,तो मीना ने सभी के लिए खाना बनाकर रखा था

जब सब खाना खाने लगे तो पिक्चर की बात चल पड़ी,मधु बोली,” मां बहुत ही अच्छी पिक्चर थी,हम दोनों ने पिक्चर देखते हुए पॉपकॉर्न खाएं और बहुत मस्ती की,सच कहूं तो बड़े परदे पर फिल्म देखना का अपना मज़ा हैं,वैसे अपने कौन कौन सी फिल्म देखी थी पापा जी के साथ??”

” कोई भी नहीं बेटा… मैं आज तक सिनेमा नहीं गई,शादी से पहले मां बाप ने जाने नहीं दिया और शादी के बाद सास ससुर ने घर से बाहर निकलने नहीं दिया,कभी मौका ही नहीं मिला”




मीना जी के इतना बोलते ही एक बार के लिए कमरे में सन्नाटा छा गया

तभी रवि बोला,”मां कल ही आप और बाबू जी पिक्चर देखने जाना,बहुत अच्छी फैमिली मूवी लगी है”

“पर हम अकेले क्या करेंगे??” तुम लोग भी साथ चलो”मनोज बाबू बोले

“नहीं पिता इस बार आप और मां साथ जाना,जो शौक कई बरस पहले अधूरा रह गया था,उसे पूरा करने का समय आ गया है,हम सब अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त रहे कभी मां की इच्छाओं की तरफ़ ध्यान ही नहीं गया और फिर मां की तो एक छोटी सी तमन्ना हैं इसे तो पूरा कर ही सकते हैं”

मनोज बाबू भी थोड़ा शर्मिंदा महसूस कर रहे थे,वो जानते थे मीना को सिनेमा देखना पसंद हैं,एक बार मां ने टिकट फाड़ दिए और उसके बाद कभी उन्होंने सोचा ही नहीं कि मीना को दोबारा मूवी दिखाई जा सकती थी,खेर जो गया उसे बदला नहीं जा सकता,लेकिन इस बार मनोज बाबू अपनी बीवी की इच्छा पूरी करना चाहते थे

पिक्चर के बारे में सोच मीना की आंखों में अजीब सी चमक आ गई,आखिरकार बड़े परदे पर फिल्म देखने का उसका सपना पूरा होने जा रहा था

अगले दिन मीना और मनोज बाबू दोनों पिक्चर देखने गए,

मीना बोली,” देखिए ना कभी कभी एक छोटा सा सपना पूरा होने में बरस लग जाते हैं,कहने को तो ये छोटा सा सपना था,पर अब पूरा हो रहा हैं तो लग रहा हैं बहुत सी खुशियां एक साथ मिल गई हैं “

मीना की बात सुन मनोज बाबू भी मुस्कुरा दिए




इसके बाद दोनों ने पॉपकॉर्न खाते हुए पिक्चर देखी, दोनों को लग रहा था कि वो फिर से उसी दौर में पहुंच गए हैं जब उनकी नई नई शादी हुई थी और मनोज बाबू फिल्म के टिकट लाए थे।

दोस्तों ऐसा सच में होता हैं कभी कभी एक छोटी सी चाहत पूरा होने में बरसो लग जाते हैं और कभी कभी तो जिंदगी निकल जाती हैं लेकिन वो चाहते दिल में दफन रह जाती है,कभी मायके से इज़ाजत नहीं मिलती तो कभी ससुराल से,कभी पति से इज़ाजत नहीं मिलती तो कभी हालत इज़ाजत नहीं देते, पता नहीं ऐसी कितनी ही छोटी छोटी चाहते एक महिला अपने दिल में रखती है

हम शायद उसकी सभी ख्वाहिशें/चाहते तो नहीं पूरी कर सकते पर हां उसकी कुछ छोटी-छोटी ख्वाहिशें जरूर पूरी कर सकते हैं,अपनी मां या सासु मां की छोटी छोटी ख्वाहिशें उनसे बातों बातों में पूछे और उन्हें पूरा कर दे,उनके चहेरे पर ऐसी मुस्कान आयेगी जिसे देख आपका मन और आत्मा तृप्त हो जायेंगे

अगर आप सास हैं तो बहु की कोई दिली तमन्ना पूरी कर दीजिए,ननद हैं तो भाभी के लिए कुछ कीजिए,और भाभी हैं तो ननद के कुछ कीजिए और ऐसे हम खुशियां बांट बांट कर दुनिया को खुशियों से महका देंगे

आप इस बारे में क्या सोचते है मुझे कॉमेंट सेक्शन में जरूर बताएं

शादी के बाद वो कौन सी पहली फिल्म थी जिसे आपने अपने पतिदेव के साथ देखा था और उस वक्त आपको कैसे महसूस हुआ था, अपने विचार मेरे साथ जरूर सांझा करें,पाठकों की अमूल्य प्रतिक्रिया मिलती हैं तो बहुत अच्छा लगता हैं,अपना प्यार यूंही बनाएं रखें

बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी के सहयोग के लिए

जल्द ही एक और रचना के साथ मिलती हूं

#चाहत 

शीनम सिंह 

 

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