जिम्मेदारी – Moral Story In Hindi

   पलक अभी कुछ दस साल की ही थी पर हर समय घबराई, डरी डरी सी रहती थी। सबसे बड़ी बात कि अभी तक रात को सोते समय बिस्तर पर ही उसे लघु शंका का दबाव बनता और ना जाने कब में उसका यूरिन बिस्तर पर ही निकल जाता। गीले होने के एहसास से वह जाग जाती और डर कर रोने लगती।

    यह स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती चली जा रही थी। उसकी मम्मी आरती ने उसे कई बार समझाया। पलक को रात को बार बार उठाकर बाथरूम ले जाती। रात को पीने के लिए कोई भी द्रव्य पदार्थ ना देती।पर स्थिति जस की तस थी।

     पलक की मम्मी तो उसे डाँटती,मारती नहीं थी इस बात पर, परंतु उसके पापा अक्सर चिल्लाते, “पलक तुझे कब तमीज आएगी? इतनी बड़ी लड़की, बिस्तर पर सू सू करती है, पागल गँवार है बिल्कुल।” यह सुनकर पलक और घबरा जाती और रोने लगती।

     पलक की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। पहले उसका मूत्र तीन-चार दिन में निकलता था पर अब तो यह हर दूसरे दिन का काम हो गया। इसकी वजह से पलक की पढ़ाई पर भी असर आने लगा। टीचर जब पलक से इस बारे में कुछ पूछती तो वह इस बारे में कुछ बता नहीं पाती और रोने लग जाती।

       एक दिन टीचर ने पलक की मम्मी को स्कूल बुलवाया और पढ़ाई में पिछड़ने वाली स्थिति बताकर कहा, “मैं समझ नहीं पा रही कि पलक दिन-ब-दिन पढ़ाई में पिछड़ती क्यों जा रही है? क्या कोई समस्या है उसे?” पहले तो मम्मी ने कुछ नहीं बताया पर टीचर के बार-बार पूछने पर मम्मी ने टीचर को पलक की बिस्तर पर मूत्र त्याग वाली स्थिति के बारे में बताया।

     “बस इतनी सी बात!” आपको शायद पता नहीं, पर यह समस्या बहुत सारे बच्चों के साथ आती है। अक्सर जब बच्चे अपनी मानसिक व्यथा किसी से कह नहीं पाते तो ऐसी स्थिति से उन्हें दो चार होना पड़ जाता है। आप घबराइए नहीं, मैं स्कूल की काउंसलर से पलक की काउंसलिंग करा दूँगी”टीचर ने मुस्कुरा कर कहा।


    अगले अगले दिन टीचर पलक को लेकर काउंसलर के पास गई।पहले तो पलक ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया पर फिर काउंसलर के बहुत समझाने पर पलक ने जो बताया वह काफी शर्मनाक था। “पापा अक्सर शराब पीकर घर देर से आते हैं।तब तक मैं और मेरी बहन सो चुके होते हैं। पर पापा- मम्मी के झगड़ों से मेरी नींद खुल जाती है। पापा मम्मी से कहते हैं कि अगर ज्यादा बोलोगी तो मैं तुम्हारी दोनों  बेटियों को छत से नीचे फेंक दूँगा। मुझे बहुत डर लगता है मैडम।” ऐसा कहकर पलक अपने हाथों से अपना चेहरा ढक कर रोने लगी। सारी बात सुनकर पलक की टीचर अचंभित रह गई।

        अगले दिन टीचर ने पलक के पापा मम्मी को स्कूल बुलाकर सारी सच्चाई बताई तो उनका चेहरा शर्म से जमीन में गड़ गया। टीचर ने कहा,” पहली बात तो यह कि शराब पीना आपके और आपके परिवार के लिए बहुत हानिकारक है। उस पर आप अपनी पत्नी से लड़ते झगड़ते हैं और बच्चों को छत से फेंकने की धमकी देते हैं। आपको शर्म नहीं आती?”

        ” मैडम, वो मैं गुस्से में……”पलक के पापा बहुत शर्मिंदा थे।

        “गुस्से में क्या सर? आप जानते हैं कि आपकी बच्ची क्या सह रही है? शुक्र कीजिए कि आपकी पत्नी ने अब तक आप पर कोई एक्शन नहीं  लिया। अगर आप नहीं सुधरे तो तो स्कूल प्रशासन आप पर अमानवीयता का केस करेगा।” टीचर ने कहा।

       “मैं शर्मिंदा हूं मैडम, मैं खुद को बदलने की पूरी कोशिश करूँगा।मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चों की जिंदगी खराब हो। मैं धीरे-धीरे कोशिश करके शराब पीने की आदत बदल दूँगा।” पापा ने प्रॉमिस किया।

तो पाठकों, पलक  के पापा को शराब छोड़ने में समय लगेगा।पलक को भी भय की भावना से बाहर निकलने में समय लगेगा। पर मुझे उम्मीद है कि सब ठीक होगा। पर हमें अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी कि हमारे व्यवहार से कहीं हमारे बच्चों की जिंदगी अंधकारमय तो नहीं हो रही।

मुझे पढ़ने के लिए धन्यवाद

यह कहानी पूर्णतया मौलिक है

ऋतु अग्रवाल

मेरठ

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