जीवनसाथी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” आप दोनो का शुभ विवाह सम्पन्न हुआ अब आप पति पत्नी है , अपने सभी बड़ो से आशीर्वाद लीजिये !” विवाह सम्पन्न कराते हुए पंडित जी वर वधू पर पुष्प वर्षा करते हुए बोले । पर नित्या जो अभी अभी राज की पत्नी बनी थी वो तो जैसे वहाँ होकर भी वहाँ नही थी । 

” नित्या जी उठिये विवाह सम्पन्न हो गया !” राज उसे ख्यालो मे गुम देख उससे बोला।

” हम्म्म क्या कहा आपने ?” एकदम नित्या मानो नींद से जागी। तभी नित्या की मम्मी सुलोचना आगे आई और उसे उठाया और सबका आशीर्वाद लेने को कहा। नित्या एक रोबोट की तरह वो सब कर रही थी जो उसे कहा जा रहा था । 

वो नित्या जो कभी जिंदगी को भरपूर जीती थी आज मानो बस जिंदगी काट रही थी । अपनी पहली शादी की असफलता ने उसे तोड़ कर रख दिया था जी हाँ ये नित्या का दूसरा विवाह है । आज से तीन साल पहले वो अपनी पसंद के लड़के सौरभ से विवाह कर चुकी है जो विवाह कभी शुभ नही हुआ ।  उसके माता पिता ने उस विवाह की बेमन से स्वीकृति दी थी । ऐसा नही कि नित्या के माता पिता प्रेम विवाह के खिलाफ थे पर उनका मानना था कि प्रेम विवाह मे भी कम से कम लड़के या लड़की को जांचा परखा जाना चाहिए किन्तु उनके अपनी बेटी के सामने झुकना पड़ा और एक सड़क छाप लड़के सौरभ को अपना दामाद बनाना पड़ा । जिसने शादी ही इसलिए की थी कि नित्या सेठ विक्रमदास की बेटी है जिनका दिल्ली मे काफी बड़ा व्यापार है । कुछ समय तक सब ठीक ही रहा तो सेठ विक्रमदास को लगा शायद वो ही सौरभ को गलत समझ रहे थे वो सच मे उनकी बेटी से प्यार करता है ।।

पर एक दिन दरवाजे की घंटी बजी और ….

” मम्मी ..पापा कहाँ है आप !” घरेलू सहायिका द्वारा दरवाजा खोलते ही नित्या अंदर आई और चिल्लाई। 

” बेटा तुम इस वक्त यहाँ ?” माँ सुलोचना ने पूछा।

” हाँ मम्मी वो क्या है ना कि सौरभ को अपना व्यवसाय शुरु करना है तो हमें कुछ पैसों की जरूरत है आप प्लीज पापा से कहकर हमारी मदद करवा दीजिये !” नित्या माँ के गले लगती हुई बोली।

” कौन सा व्यवसाय शुरु कर रहा है वो  ?” तभी वहाँ विक्रमदास आये और पूछा। 

“ये तो पता नही पापा पर उसने बोला है वो जल्द पैसे लौटा देगा !” नित्या बोली। 

” अरे आप क्यो सवाल जवाब कर रहे है दे दीजिये ना जितना पैसा नित्या बोल रही है आखिर ये सब इसी का तो है !” सुलोचना पति से बोली ।

ना चाहते हुए भी विक्रमदास ने दस लाख रूपए नित्या को दे दिये और वो खुशी खुशी चली गई । पर यहीं विक्रमदास से गलती हो गई । अब तो आये दिन सौरभ नित्या से पैसे लाने को बोलता शुरु मे नित्या लाई भी कभी दस लाख , कभी दो लाख , कभी एक लाख पर कब तक । 

” सौरभ तुम कौन सा बिज़नेस कर रहे हो जिसमे बस पैसा लगता ही जा रहा है  । मुझे तो अब पापा से पैसे मांगते भी शर्म आती है हम उनके पैसे वापिस तो दे नही पा रहे उलटे बार बार मांग रहे है !” नित्या ने इस बार सौरभ से बोल ही दिया।

” अरे तो वो पैसे तुम्हारे ही तो है और तुम्हारे पैसे मेरे !” हँसते हुए सौरभ बोला ।आज नित्या को सौरभ की हंसी बड़ी अजीब लगी ।

” मैं अब और पैसे नही मांग कर ला सकती !” नित्या ने दो टूक बोल दिया।

” ऐसे कैसे नही लाओगी , तुम्हे क्या यहाँ फ्री की रोटी तोड़ने को लाया हूँ !” अचानक सौरभ उठा और नित्या का हाथ मरोड़ता हुआ बोला।

” सौरभ मेरे दर्द हो रहा है !” आँखों मे आँसू ला नित्या बोली। उसे सौरभ से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नही थी । 

” अगर पैसे ना लाई तो इससे भी ज्यादा दर्द दूंगा समझी ।” सौरभ उसका हाथ छोड़ता हुआ बोला।

” मैं पैसे नही लाऊंगी !” दृढ शब्दों मे नित्या बोली बस फिर क्या था सौरभ ने उसे बालों से पकड़ उसके थप्पड़ मारे और फिर जोर से धक्का दिया । वो दीवार से जाके टकराई और माथे से खून बहने लगे उसके थोड़ी देर बाद वो बेहोश हो गई। सौरभ आनन फानन उसे हॉस्पिटल ले गया और वहाँ नित्या के पापा का फोन नंबर लिखवा फरार हो गया। 

नित्या को काफी गहरी चोट आई थी  अपनी बेटी की ऐसी दुर्दशा देख विक्रमदास के सिर पर खून स्वार हो गया । उन्होंने सौरभ के खिलाफ कम्प्लेन लिखवाई । नित्या ने होश मे आने के बाद सब सच सच बता दिया और सौरभ को जेल हो गई । विक्रमदास ने नित्या का तलाक करवा दिया । नित्या भी अब ऐसे शख्स से कोई वास्ता नही रखना चाहती थी जिसे उससे नही उसके पिता के पैसे से प्यार हो। 

कुछ महीनो मे नित्या के जख्म भर गये बस अब मन पर लगे जख्म भरने बाकी थे । 

” बेटा मैं चाहता हूँ तुम अब अपनी जिंदगी मे आगे बढ़ो !” एक दिन विक्रमदास बेटी से बोले।

” ??” नित्या उन्हे सवालिया नज़रों से देखने लगी।

” बेटा हम चाहते है तुम शादी कर लो !” सुलोचना जी उसके पास आती हुई बोली।

” मम्मी क्या शादी इतनी जरूरी होती है , क्या मैं सारी उम्र बिन शादी नही रह सकती एक बार शादी जैसी गलती कर चुकी हूँ मैं पर दुबारा मुझमे हिम्मत नही  ?” दुखी नित्या बोली। 

” बेटा हम आज है कल नही होंगे तब क्या होगा ये सोच हमें रातों को नींद नही आती । फिर ऐसा तो नही कि एक रिश्ता गलत जुड़ गया तो हमेशा ऐसा होगा । अबकी बार तेरे पापा देखभाल कर सब करेंगे !” सुलोचना उसे समझाते हुए बोली । मजबूरी मे नित्या ने शादी के लिए मौन स्वीकृति दे दी क्योकि पहले ही वो अपनी पसंद से शादी कर अपने माता पिता को बहुत दुख दे चुकी थी। 

कुछ दिनों मे ही विक्रमदास जी ने नित्या के लिए राज को पसंद कर लिया जो उनके परिवारिक मित्र की बहन का बेटा था । उसकी ये पहली शादी थी पर जब उनके मित्र ने स्वयम से नित्या को राज के लिए मांगा तो वो इंकार ना कर सके । हाँ उन्होंने छानबीन अच्छे से की थी राज और उसके परिवार के बारे मे । निहायत सुलझा हुआ परिवार था और राज भी बहुत समझदार लड़का था उसे नित्या के अतीत से भी कोई दिक्क़त नही थी । 

उन दोनो के शुभ विवाह के लिए आज ही का दिन तय हुआ था ।

सुलोचना जी द्वारा उठाने पर नित्या थके कदमों से उठी और सबका आशीर्वाद लिया । भले उसने मजबूरी मे शादी को हाँ कर दी थी पर उसके मन मे अतीत के घाव और डर अभी भी था। 

नित्या विदा हो राज के घर आ गई । ज्यादा बड़ा तो नही था घर पर सुरुचिपूर्ण सजा हुआ था। राज की माँ ने बड़े प्यार से नित्या का ग्रहप्रवेश कराया । उसके बाद मंदिर मे माथा टिका कुछ रस्मे की गई । नित्या एक रोबोट की तरह सब आदेश का पालन करती जा रही थी । 

रात को उसे एक सजे सजाये कमरे मे बैठा दिया गया । वो अनमनी सी बैठी थी । 

” क्या बात है नित्या जी कहीं खोई है आप ?” अचानक उसे राज की आवाज़ सुनाई दी।

“क..क..कुछ नही बस ऐसे ही !” नित्या डरती हुई बोली।

” अरे आप आराम से बैठिये यहाँ ..क्या हुआ जबसे शादी की रस्मे शुरु हुई है मैं देख रहा हूँ आप कही गुम सी है ..?” राज बेड पर बैठ उसका हाथ पकड़ बैठाते हुए बोला।

” नही ऐसी कोई बात नही !” सिर झुका नित्या बोली ।

” देखिये नित्या जी आप मेरी पत्नी है आपका सुख दुख मेरा है । आपके अतीत के बारे मे जानता हूँ मैं और आपके भीतर के डर को भी समझता हूँ । मेरा आपसे वादा है आपको जो अतीत मे तकलीफ हुई वो वर्तमान या भविष्य मे नही होगी । खुद से यही वादा किया है मैने तभी आपका हाथ थामा है ।” राज बोला। नित्या ने सिर उठा राज की तरफ देखा उसे राज की आँखों मे सच्चाई नज़र आई । 

” मुझे माफ़ कीजियेगा मैं सच मे पूरी तरह अतीत से बाहर नही आई हूँ । ये शादी भले मैने मम्मी पापा के कहने पर की है पर इसे निभाने की पूरी कोशिश करूंगी !” नित्या ने ये बोल फिर से सिर झुका लिया।

” मैं भी आपसे वादा करता हूँ जब तक आपके मन के अंदर का डर नही निकलता आपका एक अच्छा वाला दोस्त बनकर रहूंगा…बशर्ते !!” राज इतना बोल रुक गया ।

” बशर्ते ??” 

” बशर्ते आप ये सिर झुका कर जीना छोड़ दे ! आपने कोई गुनाह नही किया जो आप सिर झुका कर जिये जिसने गुनाह किया उसे उसकी सजा मिल गई अब आप खुल कर जियो आपका ये दोस्त , आपका पति आपके साथ है !” राज अदा से मुस्कुराता हुआ वोला तो नित्या के होठो पर हंसी आ गई। उसके बाद दोनो बहुत देर तक बात करते रहे फिर सो गए

नित्या राज की दोस्ती पा खुश रहने लगी थी । राज उसका पूरा ख्याल रखता था । उसके परिवार वाले भी नित्या को बहुत प्यार करते थे।

धीरे धीरे राज द्वारा मिले प्यार , सम्मान से नित्या के दिल के जख्म भरने लगे । राज ने जो उससे वादा किया वो निभाया था उसने उसपर ना कोई हक दिखाया ना कुछ बल्कि उसने घर वालों तक को पता नही लगने दिया उन दोनो के रिश्ते का सच क्या है । 

” नित्या जी आप कहीं जा रही है !” एक दिन ऑफिस से लौटने पर नित्या को लाल साड़ी मैं तैयार देख राज ने पूछा।

” नही तो !” नित्या ने शर्माते हुए धीरे से कहा।

” तो ये सब ?” हैरान राज बोला।

” ये सब इसलिए !” नित्या ने राज का चेहरा पीछे घुमाया।

” नित्याजी !” 

” राज जी मैं हमारे रिश्ते को दोस्ती से आगे ले जाने को तैयार हूँ !” शर्माते हुए नित्या बोली।

” पर नित्या जी !” 

” राज जी आप जैसा जीवनसाथी किस्मत से मिलता है । मुझे विश्वास हो गया मेरे अतीत का काला अन्धेरा मेरे वर्तमान या भविष्य मे नही है इसमे तो सिर्फ आपकी दोस्ती और प्यार की रौशनी है !” ये बोल नित्या राज के गले लग गई राज ने भी उसे अपनी बांहों मे समेंट लिया ।

संगीता अग्रवाल

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