
जाकी रही भावना जैसी – Blog Post by Nirja Krishna
- Betiyan Team
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- on May 05, 2022
दिल्ली में भाई के घर पर एक कार्यक्रम चल रहा था। तीनों बहनें अपने अपने शहरों में बैठी मोबाइल पर वीडियो के जरिए उसका आनन्द ले रही थीं। खाने की मेज पर विभिन्न प्रकार के पकवानों को देख कर मीता बोल पड़ी,”अरे वाह! ये फूली फूली खस्ता कचौडियां और मस्त आलू की सब्जी! भई मज़ा आ गया।”
तभी भतीजे की बहू तनिमा ने दिल के तार छेड़ दिए,”क्यों बुआ जी, आपको ये नरम मुलायम फूले फूले ढोकले नहीं दिखाई दिए?”
मीता ने भी पलटवार किया,”बहू, कायदे से रहना सीख ले। बड़ों को यूँ जलाना अच्छी बात नहीं है।”
अभी इसी तरह रस्साकशी चल ही रही थी कि दूर मुंबई में बैठी दूसरी बहन मीरा बोल पड़ी,”अरे भाभी, आपके फूलों के गुलदस्ते तो बड़े ही खूबसूरत लग रहे हैं। इतनी वैरायटी के रंगबिरंगे फूल देख कर तो मन बाग बाग हो रहा है।”
अपनी इतनी प्रशंसा सुन कर तीन तीन ननदों की प्यारी भाभी झूम गईं और बोलीं,”अरे जीजी, सब अपने बगीचे के ही है। आप तो जानती ही हैं…मुझे इन फूलों का कितना शौक है।”
सब उनके समर्थन में सिर हिला हिला कर उनका अभिवादन कर ही रहे थे कि भाईसाहब को अपनी तीसरी बहन की याद आ गई जो सिंगापुर में रहती थी। वो बेचैन होकर बोल पड़े,”अरे मोना को आज के इस प्रोग्राम का लिंक नहीं भेजा था क्या? वो दिख भी नहीं रही । उसकी बोली भी नहीं सुनाई दे रही।”
तभी स्क्रीन पर मोना हँसती हुई दिखाई दी। वो धीरे से बोली,” मैं तो अपने प्यारे भैया भाभी और भतीजों को ही देखने में व्यस्त थी। आज आप सब कितने खुश और प्यारे लग रहे हैं। आप सबके चेहरों से निगाहें ही नहीं हट रही हैं। जिन आँखों में आप सब बसे हैं,उन आँखों में इन फूलों, इन कचौड़ियों के लिए कोई स्थान नहीं है।”
सब हैरानी से तालियाँ बजाने लगे।
नीरजा कृष्णा
पटना