रीना और राजीव रामदयाल जी की संतान थे।उनकी पत्नी शीला का निधन हो गया तो उन्होंने अपने दोनों बच्चों को फूल की तरह पाला। रामदयाल जी की कपड़ों की बहुत बड़ी फैक्ट्री थी।राजीव ने बीकॉम किया और पिता का कारोबार संभाल लिया।रीना का भी बीए पूरा होते ही उसके लिए लड़का देखा जाने लगा।रीना के लिए अनिल का रिश्ता आया जिनकी बिस्किट बनाने की फैक्ट्री थी।
घर में सास ससुर और अनिल ही थे।सबने कहा राज करेगी और रामदयाल जी भी समय से अपनी जिम्मेदारी से निजात पाना चाहते थे।रीना की शादी के एक साल बाद राजीव की शादी भी कर दी रागिनी बहु बन कर आईं।घर की जिम्मेदारी रागिनी को सौंप कर और फैक्टरी की राजीव को सौंप। रामदयाल जी रिटायर हो गए
घर की सता हाथ आते ही रागिनी के हाव भाव बदलने लगे पर फिर भी वो रामदयाल के खाने पीने का ध्यान रखती और एक रात नींद में ही वो इस दुनिया को अलविदा कह गए।अगले दिन सुबह रीना आई तेरहवीं होने तक वो यही रही सब रिश्तेदारों ने कहा बटवारा कर लो।राजीव बोला हा तुझे कुछ चाहिए तो बता।
रीना बोली मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं सब आपको सौंपती हूं।सिर्फ मुझे मां बाबूजी की कुछ निशानी दे दीजिए।राजीव ने फिर भी 5 लाख रुपए एक रामदयाल की चैन और अंगूठी बहन को दे दी।रागिनी को अच्छा तो नहीं लगा पर दुनियादारी में चुप रही।समय अपनी गति से बढ़ा राजीव ने एक की दो फैक्ट्री बना ली उसके दो बेटे हुए राजन और राहुल।
उधर रीना के पति का कारोबार डूब गया उन पर करोड़ों का कर्ज हो गया कर्ज उतारने के लिए उन्होंने अपनी कोठी ,गहने, जमीन जायदाद सब बेच दिया।फैक्ट्री भी बेचनी पड़ी तब बाजार और कर्मचारियों के पैसे दिए गए। ये सब अनिल के पिता श्यामलाल सहन नहीं कर पाए और दुनिया से कूच कर गए।पीछे मां,बेटा बहु और दो बच्चे छोड़ गए।
बड़ी मुश्किल जो कभी अपने कर्मचारियों के रहने के लिए क्वार्टर बनवाए थे आज खुद उस क्वाटर में शरण ली क्योंकि किराया देने के भी पैसे ना थे। रीना ने अनिल से कहा मै भाई से बात करती हूं क्या पता वो ही कोई मदद कर दे।अनिल मना कर रहा था पर बच्चे भूखे पेट और बिना कामकाज के कैसे घर चले यह सोच रीना ने घर फोन लगाया फोन नौकर ने उठाया बोला सब लोग 2 दिन बाहर गए हैं।
रीना बोली कोई नहीं मै घर ही चली जाऊंगी। रीना जब घर पहुंची तो वहां भागवत हो रही थीं। उसे लगा घर में इतना बड़ा कार्यक्रम हो रहा है और मुझे ही नहीं पता भाई सबको खाना परोस रहा था।बच्चे भूखे थे वो भी एक जगह बच्चो के साथ पंगत में बैठ गई जब भाई भाभी खाना परोस रहे थे वहां आए तो बोले अरे तू यहां बैठी है आज आ गई है
तो खा ले दुबारा यहां मत आना।गरीबी सब करवाती है अपने बच्चों की भूख की वजह से वो यहां बैठी थीं।शाम हुई वो भाई के घर पहुंची रागिनी बाहर खड़ी थी बोलीं क्यों आई हो ।रीना ने कहा भाई से कुछ काम था।रागिनी बोली तुम्हारा भाई तुमसे नहीं मिलना चाहता ।तभी राजीव आ गया रीना ने रोते रोते उसे सब बताया बोली भाई मुझे तुम्हारे सहारे की जरूरत है।
राजीव बोला मेरे पास कुछ नहीं है जाओ यहां से और दुबारा यहां मत आना मेरी समाज में इज्जत है।रात हो गई थी वो जाने लगी तो राजीव बोला दिन निकलते ही चली जाना ।वो वही अपने बच्चों के साथ बैठी रही अंदर भाई भाभी और बच्चे खाना खा रहे थे।किसी ने रीना और बच्चों को पूछा भी नहीं फिर भी बच्चों की खातिर वो वहां गई सबने उन्हें देख कर मुंह बना लिया बच्चे भी अजीब सी शक्ल बना रहे थे।
रीना बोली वो भाभी बच्चों को भूख लगी थी।रागिनी बोली तुम कितनी बतमीज़ हो खाना मांगने आ गई बिल्कुल भिखारी जैसी हो सब टेबल से उठ गए और जो बचा खुचा था वो रीना और उसके बच्चों ने खाया।रीना रो रही थीं बोली अब यहां कभी नहीं आऊंगी।
रीना घर आ गई अनिल और रीना कोशिश कर रहे थे।रीना ने एक दो घरों में खाना बनाने का काम शुरू कर दिया।अनिल भी जो काम मिलता उसको करता।रीना ने घर में पापड़ बनाने शुरू किए सुबह अनिल वो पापड़ बेचने जाता और शाम को दोनो मिलकर समोसे का ठेला लगाते।धीरे धीरे उनके समोसे प्रसिद्ध होने लगे साथ उन्होंने जलेबी भी बेचनी शुरू कर दी।
कहते हैं ना ईश्वर एक दरवाजा बंद करता है तो दूसरा खोलता है। रीना की मैडम के यहां किटी पार्टी थी वहां उस की सहेलियां आई उन्हें रीना के हाथ का खाना पसंद आया और रीना को एक दो जगह से खाना बनाने का ऑर्डर मिल गया।उनकी मेहनत रंग लाई और अच्छा पैसा मिलने से उन्होंने एक किराए की दुकान ले ली उसमें समोसे,जलेबी और खाने का सामान बेचने लगे।
फिर रीना को स्कूल की कैंटीन का भी काम मिल गया।दोनो पति पत्नी ने मेहनत से शहर में 2 होटल खोल लिए और उनकी चेन दूसरे शहरों में भी खुलने लगी अब पहले जैसे दिन लौट आए पर अब अनिल और रीना को समझ आ गया था कि इज्जत पैसे की होती है इंसान की नहीं इसलिए उन्होंने खुद भी बचत पर ध्यान देना शुरू किया और बच्चों को यही समझाया।
इसी सब के बीच राजीव का फोन आया रीना कल तुम्हे हमारे घर आना है दावत में तुम नहीं आई तो मैं बुरा मान जाऊगा।रीना बोली मै जरूर आऊंगी।रीना ने अनिल को बताया बोला तुम्हारी मर्जी रीना बोली एक बार जाना तो बनता है।अगले दिन सुबह रीना ने सबसे महंगी साड़ी पहनी गहने पहने भाई के घर ले जाने के लिए उपहार लिए और गई।घर पहुंची तो भाई भाभी दरवाजे पर खड़े थे सबने उसका स्वागत किया।
राजीव बोला जीजाजी और बच्चों को नहीं लाई।रीना बोली बच्चे स्कूल गए और अनिल दूसरे शहर गए हैं होटल के काम से राजीव ने सबसे रीना को मिलवाया और बोला ये मेरी बहन है इनके होटल की चैन दूसरे शहरों में भी है सबने रीना के होटल की बड़ी तारीफ की।सब खाना खाने बैठे रागिनी ने सबसे पहले रीना को बिठाया।
रीना बोली हम अंदर बैठकर खाएगे सबने कहा ठीक है मेहमानों के जाने के बाद सब घर वाले खाना खाने बैठे।रीना ने सारे गहने टेबल पर निकाल कर रखे बोली गर्मी लग रही है हल्की साड़ी पहन लेती हुं।कपड़े बदल वो बाहर आई और साड़ी भी डाइनिंग टेबल पर रख दी और सारे खाने में से थोड़ा थोड़ा खाना कपड़ों और गहनों पर रखा।
राजीव बोला ये क्या कर रही हो।रीना बोली जिनकी इज्जत है उन्हें खाना खिला रही हूँ।उस दिन मै फटे हाल थी तो मुझे खाना खिलाने में किसी से भी मिलवाने में तुम्हे शर्म आ रही थी और आज मै इतने गहनों और कपड़ों से लदी हुई थी तो मेरा इतना सम्मान था कि मेरे बिना कोई खाने के लिए तैयार नहीं था भाई में तुम्हे दूसरों के सामने शर्मिंदा नहीं करना चाहती थीं इसलिए मैने सबके जाने का इंतजार किया।
क्योंकि इज्जत पैसे की है इंसान की नहीं।आज पैसा है तो सब अपने है नहीं तो सगे भी पराए है।राजीव रो पड़ा बहन मुझे माफ कर दो मैं बहुत बुरा हूं।
मेरी आंखों पर पैसे की पट्टी बंधी थी मुझे माफ कर दो।रागिनी ने भी रीना से माफी मांगी।रीना बोली आप मेरे बड़े भाई हैं मैने आप को माफ किया पर अब मै यहां नहीं रुकूंगी। रीना वहां से चली गई। रागिनी और राजीव सर झुकाए खड़े थे और वो गहने कपड़े उन्हें मुंह चिड़ा रहे थे।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी
#इज्जत इंसान की नही, पैसे की होती है ।