घर की मुर्गी दाल बराबर :  विधि जैन : Moral Stories in Hindi

कई रिश्ते आए और कई रिश्ते चले गए पता नहीं किसकी नजर लग गई थी इस घर में मेरी बेटी का रिश्ता तय ही नहीं हो रहा है 28 साल की हो गई है पढ़ी-लिखी है दिखने में सुंदर सुशील घर घर कार्य में पूर्णता दक्ष अब कितने दिन तक इसको घर में बिठाएंगे सरला की दो बेटियां बड़ी बेटी की शादी अच्छे घर में हुई।

 लेकिन छोटी बेटी दिखने में सुंदर सुशील हल्की सी सांवली पढ़ने में बहुत होशियार थी ।

लेकिन कोई भी कॉम्पिटेटिव एक्जाम क्लियर नहीं कर पा रही थी।

 ऐसा लग रहा था किसी की बुरी नजर लग गई हो ।

सरला की रातों की नींद उड़ गई थी पति को हार्ट अटैक आया था।

 ज्यादा वह काम नहीं कर पाते थे दो बेटियां एक नंदा और दूसरी सुनंदा

नंदा की शादी बहुत बड़े घर में हुई थी।

 संपन्न परिवार में उसके दो बच्चे हो गए थे इस कारण से वह काम मैं की बिजी रहती थी ।

सुनंदा की शादी होने ही वाली थी लेकिन किसी न किसी कारण से बात आगे पहुंचने तक रुक जाती थी।

 घर में जितने भी रिश्तेदार आते हुए पूछते कि सुनंदा अब क्या कर रही है।

 यह डायलॉग सुन सुनकर वह अवसाद ग्रस्त हो गई थी।

बहुत दिनों के बाद एक शादी का कार्ड आया पड़ोस में रहने वाली बिमला आंटी के यहां से सुनंदा कार्ड देखकर झूम उठी।

 कि हम सभी को बिमला आंटी के यहां जाना है विमला और सरला पक्की दोस्त थी ।

दोनों हर एक बात शेयर करती थी

सुनंदा ने बिमला आंटी के साथ शादी की पूरी तैयारी कराई।

 पैकिंग से लेकर रसोई में हाथ बताया।

 छोटे-मोटे काम के लिए विमला सुनंदा को आवाज देकर बुला लेती थी ।

कि बेटा चलो मेरे हेल्प कर दो  सुनंदा भी बहुत खुश हो जाती थी।

 विमल सुनंदा को बहुत प्यार करती थी शादी में आए हुए मेहमान को भी सुनंदा ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया ।

विमला की बहन का बेटा बहुत सालों बाद इंडिया वापस आया हुआ था ।

वह भी शादी में आया हुआ था सुनंदा और रितेश की अच्छी जान पहचान हो गई।

 शादी में दोनों ने मिलकर खूब मस्ती की विमला की बेटे की शादी बहुत धूमधाम से हुई। रितेश का अब जाने का वक्त आ गया था रितेश ने सुनंदा से कहा कि मुझे आगे भी याद रखोगे… ।

कि भूल जाओगे सुनंदा ने कोई आंसर नहीं दिया 

लेकिन रितेश ने सुनंदा का नंबर विमला मौसी से ले लिया था ।

विमला ने भी उन दोनों को बातचीत करते हुए देख लिया था ।

एक दिन बिमला सरला के पास बैठने आई वह कहा की क्यों सरला तुमने मेरी बहन की बेटे रितेश को तो देखा ही है ।

सुनंदा के साथ जोड़ी कैसी रहेगी सरला ने कहा सुनो मैं इतनी दूर अपनी बेटी को नहीं भेज पाऊंगी।

 तभी विमला ने कहा क्यों नहीं भेज पाओगी दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं ।

सरला ने अपने पति से बात की और दोनों का रिश्ता पक्का हो गया इतने सालों से जो सुनंदा को लोग देखने आ रहे थे।

 और रिश्ता पक्का नहीं हो पा रहा था और अचानक की रितेश के साथ सुनंदा का रिश्ता पक्का हो गया।

 रितेश ने अपनी कुछ शर्ते रखी सुनंदा ने ना चाह कर भी उन शर्तों को मान लिया।

 रितेश ने कहा कि मैं इंडिया कभी वापस नहीं आऊंगा तुम्हें मेरे साथ ही रहना पड़ेगा।

 सुनंदा नहीं चाहती थी कि वह इंडिया छोड़े लेकिन उसने हां मी

 भर दी।

 और दोनों की शादी हो गई शर्तों में रितेश ने यह भी कहा था।

कि मैं तुम्हें कभी जाॅब नहीं करने दूंगा । शादी के बाद रितेश सुनंदा अमेरिका चले गए ।

वहां पर सुनंदा को नागरिकता मिल गई लगभग डेढ़ साल बाद एक बेटे को जन्म दिया सुनंदा दिनभर बेटे की देखभाल और घर का पूरा काम करके सुनंदा अपने मस्त रहती थी ।

एक दिन अचानक रितेश के पास फोन आया सुनंदा की मम्मी का की उसके पापा की बहुत तबीयत खराब है।

 और सुनंदा को जल्दी से इंडिया भेज दे रितेश ने कहा कि नहीं मम्मी इतनी जल्दी नहीं हो सकता मेरा छोटा बेटा है।

 और सुनंदा घर के सारे काम करती है कम से कम तो एक महीने बाद ही मैं उसे भेज पाऊंगा ।

यहां से कोई फ्लाइट भी ऐसी नहीं है कि जिसमें उसे भेज दूं कुछ देर बाद सुनंदा के पास फोन आया बेटा पापा की बहुत तबीयत खराब है ।

और तुझे बहुत याद कर रहे हैं और वह तुमसे मिलने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं।

 सुनंदा ने कहा कि मां कैसे में आ जाऊं मुझे तो कुछ भी नहीं पता है सारा कुछ रितेश ही करते हैं ।

मैं तो सिर्फ घर के काम और बच्चे को संभालने का काम करती हूं शॉपिंग से लेकर हर कुछ में उन्हीं के साथ करती हूं।

 और आप इंडिया आने की बात कर रही हो मैं कैसे अकेले आ जाऊंगी आपको तो अभी तक नहीं पता है।

 कि मैं कितना भी काम कर लूं लेकिन घर की मुर्गी दाल बराबर ही होती है।

 रितेश तो मुझे बाहर अकेले निकलने ही नहीं देते हैं ना ही कोई सामान में अकेले ला सकती हूं ।

सिर्फ मैं घर में खाना पकाने का काम कर रही हूं शादी के पहले जितनी बड़ी-बड़ी बातें हो रही थी।

 अब मुझे तो अनपढ़ गंवार ही समझा जाता है यहां पर मैंने बहुत कोशिश कर लिए लेकिन फिर भी मुझे कभी सफलता नहीं मिलती है।

 सुनंदा की मम्मी ने कहा कि हां बेटा तुम दुखी मत हो मैं पापा को संभाल लूंगी तुम अपने घर गृहस्थी देखो सुनंदा ने फोन रखा।

 और उसके आंसू टप टप होने लगे और वह सोचने लगी कि जब मेरे लिए रिश्ते नहीं आ रहे थे और आ रहे थे।

 तो पक्के नहीं हो रहे थे तब घर वाले परेशान थे आज मैं जब घर नहीं पहुंच पा रही हूं तब भी घर वाले परेशान है एक बेटी की जिंदगी एक लड़की की जिंदगी एक बहू की जिंदगी कर्तव्य और फर्ज निभाने में ही निकल जाती है। सम्मान की सूखी रोटी खाने के लिए एक लड़की कैसे मजबूर हो जाती है यह समझ नहीं समझ सकता और ना इससे दूसरों से कहा जा सकता है सम्मान की सूखी रोटी के लिए अंत तक लड़ाई बस लड़ी जा सकती है।

 शादी के बाद मायका सिर्फ मायका ही रह जाता है यादें बस यादें ही रह जाती है।

विधि जैन

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