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 घर-घर – गुरविंदर टूटेजा 

मध्यमवर्गी परिवार है रामानुज जी का वो रिटायर हो गए हैं पेन्शन आती है..पत्नी राधिका गृहणी हैं…दो बेटे-बहुएँ व पोते-पोती भरा पूरा परिवार हैं..!!!!

  सबकों साथ में खुश देखकर बहुत खुश होतें है….राधिका को पता है कि सब अच्छा है पर दोनो बेटो की कमाई का फर्क का असर तो है पर थोड़ा तो सब घर में होता है वो सारी बातें अपने पति को नहीं बताती…!!!!

बड़ी बहू निधी को अपने पति की कमाई पर अंहकार है व राज भी पूरा बीबी की बातों में हैं…दो बेटियाँ हैं जुड़वा व बेटा छोटा है…!!!!

छोटी बहू रिंकी बहुत समझदार है पति मोहित को गुस्सा आ जाये तो वो बात व उसे संभाल लेती है…उनका बेटा बड़ा व बेटी छोटी हैं…सब बच्चों में दो-चार साल का अंतर हैं…!!!!

  गर्मी की छुट्टियाँ हैं बच्चों को भरी दोपहर में घर पर खेलने की हिदायत दी है…सब अपने कमरों में आराम कर रहें हैं बच्चें घर-घर खेल रहे थे तभी रिंकी पानी पीने आई तो उसे बच्चों का शोर सुनाई दिया तो वो वहाँ आ गयी …उसने कहा क्या हो गया…????

  सबसे छोटा अबीर बोला…चाची देखो ये शिवाँश भैया जब देखो तब पापा बन जातें हैं और मुझे बच्चा बना देतें हैं…मैं छोटा हूँ तो बच्चा ही बनता रहूँ क्या..आज तो मैं ही पापा बनूँगा…आप बोलें ना..!!!!

 रिंकी ने बोला…बच्चों आज अबीर ही पापा बनेगा समझें…सबने चुपचाप मुँह बनातें हुए हाँ कर दिया…!!!!

  रिंकी वही खड़ी होकर उनका खेल देखने लग गयी…अबीर बने पापा ने बोलना शुरू किया…अरे रूही तुम समझ नहीं रही हो क्या हो गया अगर मेरे भाई की कमाई कम है हम मिलकर अच्छे से मैनेज कर लेते है..!!!!

  अरे तू ये क्या बोल रहा है…मम्मी बनी रूही ने कहा अब मैं क्या बोलूँ…??

अबीर बोला…अरे तू बोल ना कि हम कब तक अकेले ही पूरे घर का खर्चा उठाएँगे आप पापा-मम्मी से बात कर लो हम अलग हो जाएँगे…!!!!




  सब बच्चों ने अबीर को चिल्ला दिया और रिंकी ने भी बोला कि अब दूसरा गेम खेलों सब…पर मन में उथल-पुथल मची थी कि भाभी के मन में अगर कोई बात हैं तो खुलकर बात करनी चाहिए..मैं बात तो जरूर करूँगी…बच्चों के सामने ऐसी बात नहीं करनी चाहिए…!!!!

  दूसरे दिन जब सब अपने-अपने कमरों में चले गए तो रिंकी ने धीरे से दरवाजा खटकाया…तो निधी ने कहा आओ ना रिंकी अंदर आ जाओ…!!!!

 मैंने सोचा आपसे थोड़ी बात कर लूँ आप सोई तो नहीं थी ना..??

नहीं नहीं बोलो ना…क्या बात करनी हैं…??

भाभी कल दिन में जब मैं पानी पीने उठी तो बच्चे लड़ रहें थे…मैंने पूछा तो अबीर तो पापा बनना था पहले तो मुझे हँसी आयी मैंने बोला तो उसने पापा बनकर जो बातें बोली वो सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा…उसने आपकी व भैया की बातें बोली जो आपने मोहित की कमाई व अलग होने के बारे में की थी…!!!!!

सुनकर निधी का चेहरा उतर गया तो रिंकी ने कहा भाभी…हमें भी समझता हैं कि हम घर में कम दे पातें हैं हमारे साथ गलत भी होता है जो हमको समझता भी है पर जहाँ दो बरतन होतें हैं वो खड़कतें भी हैं…!!!!

 भाभी परिवार में एकता रखनें के लिए दो बातें हमे ध्यान रखनी चाहिए….एक तो कोई भी बात बच्चों के सामने ना हो नहीं तो उनका बचपन कही खो जायेगा वो वक्त से पहले बड़ें हो जायेंगे…दूसरी कि मैं चाहती तो अबीर को फुसलाकर और भी बातें पूछ सकती थी पर मैं इस बात के सख्त खिलाफ हूँ जो भी बात हो वो हम बड़ों तक ही सीमित रहें तो अच्छा है…अगर मेरी कोई बात आपको बुरी लगी हो तो मुझे माफ कर देना….!!!! 




   निधी की आँखों में आँसू आ गये…उसने कहा रिंकी तुमने बिल्कुल सही कहा हम बोलतें समय ये ध्यान नहीं रखते कि बच्चें उस बात को सुनकर कैसे रिएक्ट करतें हैं…मैं अब जो बात होगा वो तुमसे ही कर लूँगी हम राज व मोहित को भी बीच में नहीं लायेगें…तुम मुझे माफ कर दो..!!!!

रिंकी ने निधी को गले लगा लिया और बोली…घर-घर के खेल ने बहुत कुछ सीखा दिया व खुलकर बात करने से रिश्तें भी सुधर गए…!!!!

सही है रिंकी पर मुझे कल से एक काम करना पड़ेगा …!!!!

क्या भाभी….??

बच्चों का घर-घर खेल साथ में बैठकर देखेगे….दोनो जोर से हँस दी…!!!!!

#परिवार 

मौलिक व स्वरचित©®

गुरविंदर टूटेजा 

उज्जैन (म.प्र.)

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