तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे कमरे में इस तरह घुसने की और मेरा नेकलेस तुम्हारे हाथ में क्या कर रहा हैं ? प्रिया चिल्लाकर अपनी ननद रागिनी से बोली !!
रागिनी बोली भाभी , मैं तो बस आपको मुंह दिखाई की रस्म के लिए बुलाने आई थी , मां ने कहा हैं नीचे सब मेहमान आ चुके हैं तो आप भी जल्दी आ जाईए और आपका यह नेकलेस बाहर नीचे पड़ा था जो मैंने नीचे से अभी उठाया !!
प्रिया बोली हां हां ठीक हैं , लाओ दो और मुझे जरा नीचे आने में समय लगेगा क्योंकि मुझे वैसे भी यह सब चोचले पसंद नहीं !!
प्रिया और राकेश की शादी को अभी पंद्रह दिन ही हुए थे !! राकेश प्रिया के पापा सुरेन्द्र जी के सरकारी हॉस्पिटल में नौकरी करता था , वहीं उन्हें वह अपनी बेटी प्रिया के लिए पसंद आ गया और उन्होने राकेश से प्रिया की शादी की बात चला दी !!
राकेश भी प्रिया से शादी करने तैयार हो गया तब राकेश की मां पार्वती जी ने राकेश को समझाया था कि प्रिया एक बड़े घर की मार्डन ख्यालों की लड़की हैं , क्या वह हमारे मिड़ल क्लास घर में अपनी जिंदगी गुजार पाएगी ??
तब राकेश ने कहा था मां वह मार्डन जरूर हैं मगर उसका व्यवहार अच्छा हैं !! बेटे की बात मानकर पार्वती जी ने भी शादी के लिए हां कह दी !! जैसे ही प्रिया और राकेश की सगाई हुई , प्रिया ने सगाई में ही अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए !!
शादी की शांपिंग के लिए जब पार्वती जी ने प्रिया को अपने साथ चलने कहा तो प्रिया बोली आंटी जी मेरी पसंद बहुत भारी हैं और आप लोग मुझे बीस तीस हजार रुपए का लहंगा पसंद करवाएंगे मगर मुझे तो लाख रुपए तक लहंगा लेना हैं
इसलिए बेहतर होगा मैं अपनी सहेली को ले जाकर अपने लिए लहंगा ले आऊं !! तब पार्वती जी और रागिनी को बहुत बुरा लगा , अब यह हर बारी का हो गया था , प्रिया हर बार अपने पैसों का घमंड अपनी सास और ननद को दिखाती और हर बात पर उनका अपमान करती रहती !!
राकेश और प्रिया की शादी के तुरंत बाद प्रिया के पापा ने उन दोनों के हनीमुन जाने की टिकटस निकाल दी और दो दिन पहले पुरे पंद्रह दिन बाद वे लोग हनीमुन से लौटे थे इसलिए पार्वती जी ने मुंह दिखाई की रस्म आज रखी थी मगर प्रिया को इन सब रिति रिवाजों से कोई मतलब ना था इसलिए वह नीचे जल्दी नहीं जाना चाहती थी !!
एक रोज रागिनी अपनी सहेली के घर पढ़ने गई थी और पार्वती जी कीर्तन में गई थी , प्रिया सो रही थी इसलिए वे लोग बिना बताए चले गए थे , उनके आने के बाद प्रिया ने जबरदस्त हंगामा शुरू कर दिया और बोली मांजी आप मुझे थोड़े समय बाद फोन करके बता सकती थी और रागिनी तुम्हें तो बस पढ़ाई के नाम पर गुलचररे उड़ाने आते हैं !!
आज तो प्रिया ने बोलने की सारी हदें पार कर दी थी !! जब पार्वती जी ने राकेश से बहु को समझाने की बात कही तो राकेश भी प्रिया की ही भाषा बोलने लगा और बोला मां सही तो कह रही हैं प्रिया रागिनी पढ़ाई का नाम लेकर बाहर क्या करती हैं यह हम थोड़ी जानते हैं और आप भी भजन कीर्तन कम कर घर पर ही ध्यान दिजिए !!
बेटे के मुंह से भी ऐसे कड़वे शब्द सुनकर पार्वती जी और रागिनी की आंखों से आंसू छलक पड़े तब पार्वती जी ने रागिनी को अपने से दूर हॉस्टल में रहकर पढ़ने के लिए भेजने का द्रुढ़ निश्चय किया क्योंकि अब रोज घर में प्रिया किसी ना किसी बात को लेकर किच किच करती रहती !!
रागिनी को बाहर भेजने का फैसला सुनकर प्रिया बोली मांजी हम लोगों से रागिनी की पढ़ाई या हॉस्टल में रहने की फीस का खर्चा भरने की उम्मीद मत किजिएगा !!
रागिनी बोली भाभी , आप इसकी चिंता मत करिए मुझे नब्बे प्रतिशत स्कॉलरशिप मिली हैं इसलिए मेरा खर्चा वहां माफ कर दिया गया हैं !!
पार्वती जी प्रिया के कड़वे शब्द सुनकर बोली प्रिया इतना घमंड अच्छा नहीं हैं , वक्त बदलते देर नहीं लगती !!
रागिनी दूसरे शहर पढ़ने चली जाती हैं और यहां प्रिया और राकेश अपनी मनमर्जी से अपनी जिंदगी जाने लगते हैं !! प्रिया की छोटी बहन रिंकू की शादी में प्रिया एक महिना मायके में ही रूक जाती हैं और खुब पैसे उड़ाती हैं !!
राकेश और प्रिया अब आए दिन बाहर घूमने जाते और बाहर से ही खाकर आते , जिस वजह से राकेश हॉस्पिटल में अपनी सैलेरी के अलावा उपर से भी पैसे उठाने लगा था और बहुत से कामों में गददारी भी करता !!
जब यह बात प्रिया के पापा सुरेन्द्रजी को पता चली तो उन्होने प्रिया को घर बुलाकर यह सब बताया उसपर प्रिया बोली हां तो पापा आपका जो कुछ भी हैं हम बेटियों का ही तो हैं !!
सुरेन्द्र जी बोले बेटा , तुम्हारी बहन रिंकु का पति खुद बहुत बडा बिजनसमैन हैं और वह हमारे उपर आधारित नहीं हैं !! मैंने राकेश को इमानदार समझकर तुम्हारा हाथ उसके हाथ में दिया था मगर शायद तुम्हारे इतने खर्चों के कारण राकेश भी अब गददारी करने लगा हैं , अगर वह ऐसा ही करता रहा तो मुझे उसे नौकरी से निकालना होगा !!
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प्रिया बोली पापा आप यह मत भूलिए कि मैं भी जमीन जायदाद के लिए आप पर केस कर सकती हुं !!
राकेश और प्रिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आए जिस वजह से सुरेंद्र जी ने राकेश को नौकरी से निकाल दिया और प्रिया को धमकी दी कि वे चाहे तो राकेश पर गददारी करने का केस कर सकते हैं मगर दामाद के उपर केस करना उन्हें शोभा नहीं देता इसलिए छोड रहे हैं !!
यहां राकेश और प्रिया एक दूसरे से झगड़ने लगते हैं और जो कुछ भी हुआ उसका इल्जाम एक दूसरे पर लगाने लगते हैं , वहां दूसरी ओर रागिनी अपनी परिक्षा में पास हो जाती हैं और उसे पुलिस अधिकारी की नौकरी मिल जाती हैं !!
यह सुनकर प्रिया और राकेश प्लान करते हैं कि अब उन्हें रागिनी को अपने पक्ष में लेना हैं क्योंकि वह उनके आगे काम आ सकती हैं !! प्रिया आज दो सालों बाद अपनी सास से मीठी बातें करती हैं और रागिनी के आने के उपलक्ष्य में ढेरों पकवान बनाती हैं और उसके आने का स्वागत करती हैं !!
पार्वती जी भी आज बहु के मीठे शब्दों से खुश होती हैं , जैसे ही रागिनी आती हैं प्रिया उसका फुल मालाओं से स्वागत करती हैं , घर में बने ढेरो पकवानों को देख रागिनी को वह दिन याद आ जाता हैं जब प्रिया ने उन्हें एक बार सब्जी रोटी तक के लिए सुना दिया था !!
रागिनी बोलती हैं मां चलो , मैं तुम्हे लेने आई हुं !!
प्रिया बोली रागिनी , तुम हम सभी को कहीं घूमाने ले जा रही हो क्या ??
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चलो हम भी चलते हैं कहकर वह बाहर रागिनी की गाडी के पास आकर खड़ी हो जाती हैं !!
रागिनी बोली भाभी पुलिस अधिकारी की गाड़ी में बैठने की आपकी औकात नहीं हैं !!
राकेश बोला यह कैसी बातें कर रही हो रागिनी ?? क्या हमने तुम्हें यही संस्कार दिए हैं ??
रागिनी बोली मैं तो बस आप दोनों की भाषा ही बोल रही हूं भैया !!
पार्वती जी बोली मैंने कहा था ना बहू वक्त बदलते देर नहीं लगती !!
रागिनी अपनी मां को गाड़ी में बिठाकर अपने नए घर लेकर चली जाती है और राकेश और प्रिया एक दूसरे का मुंह ताकते रह जाते हैं !!
लेखिका : स्वाती जैन