गुड मॉर्निंग अरुण भाई क्या बात है आज इतनी सुबह सुबह उठ गए नींद नहीं आई लगता है रात भर .. दरवाजा खोलते ही शोभित जी यूं टपक पड़े मानो रात भर से मेरे दरवाजे पर घात लगाए खड़े थे।
कल शाम से तुम कहीं नजर ही नहीं आए मैने कई बार तुम्हारे घर की तरफ झांका लेकिन सन्नाटा था क्या बात है सब ठीक तो है ना बेमौसम की बरसात की तरह शोभित जी का बरसना मेरी समझ से परे हो रहा था।
गुड मॉर्निंग शोभित जी वो मैं थोड़ा जा रहा था…. आइए अंदर आ जाइए अरुण ने अनिच्छा से उन्हें अंदर आने कहा और वह तो जैसे अंदर आने का मौका ही खोज रहे थे ।
फटाक से मुझे दरवाजे से परे ठेलते हुए वह अंदर आ गए और आरामकुरसी पर आराम से पसर गए।
और सुनाइए अरुण भाई सब ठीक ठाक है शोभित जी के असामयिक इतने मिश्री घुले शब्दों को सुनकर और उनकी घर के अंदर कुछ खोजती सी नजरों से अरुण ताड़ गया दाल में कुछ तो काला है।
सब ठीक है भाई आप सुनाइए कल से लेकर अभी तक मेरे प्रति इतने फिक्र मंद क्यों हो रहे हैं आप अरुण ने व्यंग्य पूर्ण स्वर में कहा।
कुछ नहीं अरुण जी कल शाम घर पर चर्चा में श्रीमती जी ने बताया कि बच्चों के बोर्ड के रिजल्ट आ गए हैं।आपका बेटा तुषार मेरे बेटे पिंटू के ही साथ तो पढ़ता है ना वही पूछ रहा था ..कनखीयो से मुझे देखते हुए वे रुके।
क्या पूछ रहा था पिंटू ..शोभित जी मैने अनजान बनते हुए कहा।
अरे अरुण जी आपके बेटे का रिजल्ट जानना चाहता था वह शोभित जी मुद्दे पर आ गए।
वह जानना चाहता था …आप नहीं मैने मजा लिया।
हे हे हे हे क्या अरुण भाई सुबह सुबह हंसी सूझ रही है आपको ।हां भाई तुषार का क्या रिजल्ट रहा।अच्छा ही आया होगा मेरे बेटे की तुलना मे तो वह ज्यादा ही पढ़ाई करता था शोभित जी ने खनकते हुए स्वर में पूछा।
आपके बेटे का क्या रिजल्ट आया है शोभित जी अरुण ने संक्षिप्त प्रति प्रश्न कर दिया।
अरुण जी की गोल मोल बातों से अब तो शोभित जी को यकीन हो गया था कि तुषार सही में फेल हो गया है।उनकी श्रीमती जी ही ये खबर लेकर आई थीं।पक्की खबर रखती है वह भी।उन्हें अपनी श्रीमती जी के जासूसी ज्ञान पर बेहद गर्व महसूस हुआ।उसी ने बताया था कि तुषार या तो फैल हो गया है या सप्लीमेंट्री आई है उसकी।तभी तो अरुण जी के घर में सन्नाटा है ।किसी के बोलने हंसने की आवाज तक नहीं आ रही है।तुषार भी दिखाई नहीं दिया।
शोभीतजी का दिल तो बल्लियों उछलने लगा।
वह और अरुण जी एक ही ऑफिस में कार्य करते हैं। अरुण जी का पूरे ऑफिस में बहुत सम्मान होता है।बॉस तो हर सलाह उन्हीं से लेते हैं। शोभित जी को कोई नहीं पूछता था।पिछले महीने अरुण जी का प्रमोशन कर दिया गया जबकि शोभित जी उसी पद पर रहे।
अरुण जी के मन में शोभित जी के प्रति कोई कड़वाहट या ईर्ष्या भाव नहीं था लेकिन शोभित जी के दिल में ईर्ष्या की अग्नि सुलगती रहती थी।
आज उन्हें यह सुनहरा अवसर मिला था अरुण जी को नीचा दिखाने का।उनके बेटे का रिजल्ट भी ज्यादा अच्छा नहीं आया था लेकिन तुषार के फेल होने का समाचार सुनने के बाद से उन्हें अपना बेटा बहुत होनहार प्रतीत हो रहा था।अब जाकर उनके कलेजे को ठंडक मिली है रात भर खुशी के मारे सो नहीं पाए कि कब सबेरा हो और वह अरुण जी के घर जाकर तुषार का रिजल्ट पूछ उन्हें शर्मिंदा करें।
अरुण जी क्या बात है तुषार का रिजल्ट ठीक तो आया है ना आप बता क्यों नहीं रहे हैं अधीर होते हुए शोभित जी फिर बोल पड़े।
थोड़ी देर में पता लग जाएगा शोभित जी अरुण जी ने जानबूझ कर बहुत मंद स्वर में कहा ।
अब तो शोभित जी के दिल में आनंद का सागर हिलोरे लेने लगा था।उन्हें शत प्रतिशत यकीन हो गया था अरुण जी का बेटा फेल हो गया है।मुंह दिखाने लायक नहीं रह गए हैं बिचारे।किस मुंह से बेटे के फैल होने का रिजल्ट बताएंगे।हिम्मत नहीं हो रही होगी।
अरुण जी मुझसे कैसा संकोच अपने दिल की बात कहने में।मै तो आपके भाई की तरह ही हूं आपके सुख दुख का सच्चा साथी आज तो शोभित जी के मन का बैर भाव तिरोहित हो गया था मीठे फूल झड़ रहे थे।ऑफिस में सबके सामने तुषार का रिजल्ट और अरुण की शर्मिंदगी से नीची नजरें करना उनकी सुखद कल्पनाओं की जमीन हरी भरी कर रहा था।
अरुण आज आप मेरे साथ मेरी गाड़ी में ऑफिस में चलिएगा आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही है गाड़ी चलाने में दिक्कत होगी .. सहृदयता का दरिया बह चला था आज।
दूसरों के खराब समाचार अक्सर मनुष्य को सुखद अनुभूति देते हैं।मेरा भला या बुरा जो भी हो लेकिन दूसरों का बुरा हो यही आंतरिक चिंतन सतत जाती रहता है।किसी की उन्नति से जलन और अवनति से आनंद स्वाभाविक मानवीय प्रतिक्रिया सी है।
शोभित जी का मन भी आज अरुण जी के बेटे के फेल होने की खबर से कड़वाहटरहित हो एकदम हल्का हो गया था।
शोभित जी चाय पियेंगे क्या अरुण जी ने पूछा तो शोभित जी उठ कर खड़े हो गए।
अरे अरे भाई चाय तो पीना है लेकिन एक ही शर्त है कि आज मै अपने हाथों से बना कर पिलाऊंगा आपको …शोभित जी स्नेह भीगे स्वर में बोल पड़े।
लेकिन चाय का सामान किचेन में ढूंढने में दिक्कत होगी आपको अरुण ने टोका।
नहीं नहीं भाई कैसी बात कर रहे हैं आप भी।भला अपने घर में भी कोई दिक्कत होगी मुझे.. कहते हंसते वह किचेन की तरफ बढ़ गए थे।
तभी डोर बेल की आवाज आई।
शोभित जी एक कप चाय बढ़ा लीजिएगा प्लीज अरुण की आवाज से शोभित किचेन से बाहर आ गए।
क्या बात है भाई?? ज्यादा टेंशन मत करो ।दो कप चाय से चिंता कम नहीं हो जाएगी यही बोलते हुए उन्होंने अरुण की तरफ देखा जो दरवाजा खोलने जा रहा था..!!
दरवाजा खुला और सामने अरुण की पत्नी मधु और पुत्र तुषार खड़े थे।
अरे शोभित भाई साहब नमस्ते आप सुबह सुबह यहां मधु ने उन्हें देखते हुए अचरज से कहा।
नमस्ते अंकल तुषार ने कहा।
तुषार शोभित अंकल तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे अरुण ने विस्मित खड़े शोभित की ओर देखते हुए कहा।
मेरा क्यों पापा तुषार चकित था।
तुम्हारे रिजल्ट का बेटा जो मुझे भी नहीं पता था ।कल रिजल्ट आया है।तब से शोभित अंकल मुझसे ज्यादा फिक्रमंद हो रहे है।आख़िर तुम उनके बेटे के साथ पढ़ते हो बेटे की ही तरह हो बताओ अपना रिजल्ट जो भी आया हो अरुण ने कहा।
अरे जो भी क्या आपका बेटा हमेशा की तरह बढ़िया रिजल्ट लेकर आया है ।स्कूल में टॉप किया है इसने मधु ने साथ लाया मिठाई का डिब्बा खोल कर सबसे पहले शोभित जी की तरफ बढ़ाते चहकते हुए बताया।
शोभित जी की तो बोलती बंद हो गई थी जैसे। ठगे से खड़े थे।
अरे शोभित जी मिठाई खाइए।फिर आराम से चाय पियेंगे भाई देखो तुषार अपनी मम्मी के साथ पिछले दो दिनों से दादी के घर गयाहुआ था।इसीलिए घर में सन्नाटा था।मुझे तो जानतें हो ऑफिस में ही ज्यादा समय लग जाता है।देर से आता था और सोने चला जाता था।घर पर कोई था ही नहीं.. लो भाई अब तो रिजल्ट भी पता चल गया तुमको #अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक…सुबह से रिजल्ट रिजल्ट पूछ पूछ कर मुझे भी चिंता में डाल दिया था…अरुण की हंसी इस समय शोभित के दिल पर आरी चला रही थी।
एक ही पल में जैसे वह आसमान में घूमते हुए नीचे धरती पर झटके के साथ गिर पड़े थे जोर से गिरे थे उठने में थोड़ा समय तो लगेगा ही।
….नमस्ते भाभी जी बधाई हो आप लोगों को अब मैं घर जाता हूं बहुत देर हो गई यहां पत्नी चिंता कर रही होगी .. अटकते हुए कह शोभित जी दरवाजे की तरफ बढ़ चले..!
मैं अभी तुम्हारी पत्नी को भी यहीं बुलवा लेता हूं अब तो तुषार आ गया है तुम्हारे घर जाकर सबको बुला लाएगा ।फिर अभी तो तुम्हारे हाथों की चाय पीना भी बाकी है मधु के लिए भी बना लो..अरुण कहता ही रह गया शोभित दरवाजे पर पहुंच गए।
नहीं नहीं मिठाई के बाद अब चाय पीने की इच्छा खत्म हो गई शोभित ने कहा और सपाटे से बाहर निकल गए थे।
मेरी पत्नी का सामान्य ज्ञान अभी भी बेहद कमजोर है कल से खामखां मैं आनंदित होता रहा ।अब घर जाकर खबर लेता हूं उसकी।तुषार का रिजल्ट बताकर पूछूंगा लो …हमेशा की तरह तुम्हारी खबर झूठी निकली और उसका रिजल्ट बढ़िया आया# अब तो पड़ गई होगी ना तुम्हारे कलेजे को ठंडक!
पीछे से आई अरुण जी की आवाज कि “…अरे शोभित जी आज मैं आपकी गाड़ी में आपके साथ ऑफिस चलूंगा ध्यान रखियेगा ….ने पुनः उन्हें जलन कुढ़न और अवसाद से ग्रस्त कर दिया था।
लेखिका : लतिका श्रीवास्तव
#अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक#वाक्य आधारित कहानी