फेसबुक का प्यार – संगीता अग्रवाल
- Betiyan Team
- 0
- on Feb 03, 2023
उस दिन दोनों ने एक कैफे में मिलने का फैसला किया काफी दिन से शेखर इसरार कर रहा था और दीपाली इनकार कर दी थी पर आखिरकार मान गई और दोनों का अगले दिन कैफे में मिलने का समय मुकर्रर हुआ।
दीपाली और शेखर की मुलाकात फेसबुक पर हुई थी। दीपाली एक बतीस साल की विधवा थी जिसके पति की तीन साल पहले मौत हो गई थी बच्चा कोई था नहीं। मायके में रहती थी जहां केवल मां थी साथ ।भाई भाभी दूसरे शहर में थे और पिता की मृत्यु हो चुकी थी। दीपाली एक फर्म में सीएस की नौकरी करती थी।
शेखर ने बताया था वो इंजिनियर है प्यार में धोखा खाने के बाद उसने शादी ना करने का फैसला किया था । घर में भाई भाभी हैं पापा मम्मी रहे नहीं।
दीपाली और शेखर पहले दोस्त बने फिर दोस्ती से कुछ आगे दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। अब जब उन दोनों को फोन और चैट से बात करते दो साल हो गए थे तो उन्होंने केफे में मिलने का डिसाइड किया था। दोनों ने एक दूसरे की फोटो देखी थी तो पहचानते थे दोनों। दीपाली जहां दिल्ली में रहती थी वहीं शेखर गाजियाबाद में।
” हैलो दीपाली कैसी हो?” कैफे में शेखर का इंतजार करते हुए दीपाली इस आवाज़ के साथ पलटी।
” हैलो शेखर मैं ठीक और तुम!” दीपाली मुस्कुरा कर बोली।
शेखर ने कॉफी और स्नैक्स का ऑर्डर दिया और दोनों बातें करने लगे।
” आगे क्या इरादा है दीपाली तुम्हारा अब ?” शेखर ने अचानक दीपाली का हाथ अपने हाथ में ले कहा।
” मतलब ?” दीपाली ने अनजान बनते हुए पूछा।
” मतलब हमें एक दूसरे को जानते इतना वक्त हो गया हम दोनों एक दूसरे को पसंद भी करते हैं तो अब आगे शादी का क्या इरादा है!” शेखर ने पूछा।
” शेखर मैं एक विधवा हूं ये तुमने अपने परिवार को बताया?” दीपाली ने पूछा।
” अरे दीपाली इसमें बताने जैसी क्या बात है मेरे भाई भाभी को क्या ऐतराज़ होगा।” शेखर बोला।
” हम्म तो कब आ रहे हैं तुम्हारे भैया भाभी मेरी मां से मिलने!” दीपाली ने फिर पूछा।
” देखो दीपाली अभी तो वो शहर से बाहर गए हैं जैसे ही वो आते हैं पहले मैं तुम्हे उनसे मिलवा देता हूं फिर तुम्हारे घर आ जाएंगे वो!” शेखर प्यार से बोला।
” ठीक है अब जल्दी कॉफी ख़तम करो घर जाना है मुझे!” दीपाली बोली।
” अरे यार इतनी जल्दी क्या है थोड़ी प्यार भरी बातें तो करो आखिरकार पति पत्नी बनने वाले है हम!” शेखर दीपाली का हाथ चूमते बोला।
दीपाली शर्मा के खुद में सिमट गई थोड़ी देर बाद वो चलने को खड़े हुए।
” अरे यार शिट मैं अपना पर्स तो घर भूल आया शायद!” शेखर जेब में हाथ डालते हुए बोला।
” कोई बात नहीं बिल मैं पे कर देती हूं!” दीपाली प्यार से बोली।
” पर तुम क्यों.. कैसे इतनी बड़ी गलती कर बैठा मैं पहली बार हम मिले और ये इंप्रेशन पड़ा मेरा!” शेखर रूआंसा होता बोला।
” कोई बात नहीं शेखर एक ही बात है आखिरकार हम पति पत्नी बनने वाले है।” दीपाली मुस्कुरा कर बोली और बिल पे कर दिया।
दोनों एक दूसरे से फिर मिलने का वादा कर विदा हो गए।
आज शेखर ने दीपाली को मॉल में मिलने बुलाया ये बोल की वो दीपाली को शॉपिंग करवायेगा।
” दीपाली देखो ये ड्रेस बहुत सूट करेगी तुम पर!” एक गाउन पसंद करते हुए शेखर बोला ।
” ठीक है तुम कहते हो तो ले लेते हैं!” दीपाली मुस्कुरा दी।
दोनों ने खूब सारी शॉपिंग की हालाकि दीपाली ने दो ड्रेस ली और शेखर ने चार शर्ट, दो जींस , शूज़ ।
” दीपाली मुझे फोन लेना है चलो लगे हाथ वो भी लेते चलें तुम इतने पैक करवाओ सब मैं अभी आता हूं बिल तभी कटवा दूंगा!” शेखर बोला।
” ठीक है शेखर!” दीपाली ने कहा।
शेखर काफी देर नहीं आया तो अपने कार्ड से पेमेंट कर दीपाली मोबाइल सेंटर की तरफ बढ़ी। वहां शेखर उसे दरवाजे पर ही मिल गया।
” ले लिया फोन !” दीपाली ने पूछा।
” नहीं दीपाली एक्चुली मेरा कार्ड ब्लॉक हो गया बैंक में के वाई सी नहीं करवाया था और कैश मेरे पास है नहीं इतना हमे ड्रेसेस भी अभी वापिस करनी पड़ेंगी!” शेखर शर्मिंदा हो बोला।
” अरे ऐसे कैसे ड्रेस के पैसे मैने कटवा दिए तुम मोबाइल भी ले लो जो तुम्हे पसंद है लो मेरा कार्ड!” दीपाली अपना कार्ड देती हुई बोली।
” नहीं दीपाली ऐसे नहीं चलो तुम यहां से!” शेखर दीपाली का हाथ पकड़ बोला।
” शेखर प्लीज़ हम पति पत्नी बनने वाले हैं तो दोनों का पैसा अलग थोड़ी है!” दीपाली ने कहा और उसे मोबाइल की शाप पर ले आई!
” ठीक है मेरा कार्ड ओपन होते ही सब पैसे दे दूंगा मैं!” शेखर बोला।
” ठीक है बाबा अभी चलो!” दीपाली बोली।
शेखर ने चालीस हजार का फोन पसंद किया। ऐसे ही कई मौके आए जहां दीपाली को ही पेमेंट करनी पड़ी पर दीपाली ने इसको ज्यादा तूल नहीं दिया। ऐसे ही वक्त बीतता रहा। एक दो बार शेखर ने दीपाली के नजदीक आने की भी कोशिश की पर उसने शादी से पहले इन सबसे इंकार कर दिया।
” शेखर अपने भाई भाभी से कब मिलाओगे अब तो आठ महीने हो गए हमे मिलते हुए भी मां भी बोल रही है जल्दी से शादी कर लो!” एक दिन दीपाली फोन पर शेखर से बोली।
” मिलवा दूंगा क्या जल्दी है!” शेखर लापरवाही से बोला।
” नहीं शेखर मुझे एड्रेस दो अपना मैं अभी आ रही हूं तुम्हारे घर!” दीपाली ज़िद्द करती हुई बोली।
” दीपाली समझो मैं नहीं दे सकता एड्रेस मुझे जरूरी काम है बाद मे फोन करता हूँ !” शेखर ने सख्ती से बोला और फोन रख दिया।
दीपाली को अब शेखर की हरकतों से शक हुआ उसने शेखर की आईडी खंगाली वहां ना कोई उसकी फोटो थी अब ना कोई इंफॉर्मेशन। अचानक दीपाली को याद आया फोटो तो उसके पास भी नहीं शेखर की क्योंकि शेखर ने कभी साथ लेने नहीं दी फोटो। दीपाली का सिर घूम गया उसने फिर एक बार शेखर को फोन मिलाया पर फोन उठा नहीं उसने कई बार मिलाया पर कोई रेस्पॉन्स नहीं।
शेखर ने पलट कर उसे फोन नहीं किया तो उसने मैसेंजर पर मैसेज छोड़ने की सोची तो ये क्या उसने तो दीपाली को ब्लॉक कर दिया था।
उसने अब फोन मिलाया तो नंबर भी बन्द आ रहा था।
दीपाली परेशान हो गई करे तो क्या करे
“क्या शेखर ने मुझे धोखा दिया पर क्यों ?” सवाल अनेक पर जवाब एक नहीं ।
दीपाली ने अपनी दोस्त की मदद से शेखर की आईडी ढूंढी पर उसे नहीं मिली शायद उसने बन्द ही कर दी।
दीपाली बहुत पछता रही थी शेखर पर भरोसा कर उसके लाखों रुपए तो गए ही साथ ही ऐसा धोखा मिला जिसे जिंदगी भर नहीं भुला सकती वो।
अब आप कहेंगे उसने कोई ऐक्शन क्यों नहीं लिया शेखर के खिलाफ … पर वो ना शेखर का घर जानती थी ना ऑफिस नाम भी उसका असली था या नहीं ये भी नहीं पता उसे फिर उसके पास सबूत ही क्या कि उसके साथ फ्रॉड हुआ है। क्योंकि पैसे दीपाली ने खुद की मर्जी से दिए थे ।
और सबसे बड़ी बात हमारा समाज कितना आधुनिक होने का ढोंग करे पर ऐसे मामलों में लड़की पर ही उंगली उठती है। ऊपर से दीपाली विधवा है विधवाओं के लिए तो हमारे समाज के नियम ही अनूठे हैं।
दीपाली ने निश्चय किया अब वो इन बातों को भूलने की कोशिश करेगी और भविष्य के लिए सावधान रहेगी ।
एक साल का वक्त बीतने पर दीपाली ने अपनी मां के पसंद किए एक विधुर से शादी कर ली और अब खुशहाल जिंदगी बिता रही है पर अभी भी शेखर के दिए धोखे की टीस मन में है। अब भी वो किसी कैफे में जाती है तो शेखर से हुई मुलाकात याद आ जाती साथ ही याद आता उसका धोखा जो उसने प्यार के नाम पर दिया था।
दोस्तों प्यार करना गलत नहीं पर फेसबुक के प्यार पर बहुत सोच समझ कर विश्वास करना चाहिए क्योंकि यहां कुछ लोग दोहरी जिंदगी जीते और अपने मतलब के लिए दीपाली जैसी मासूम लड़कियों की फिराक में रहते कि कब उनका शिकार कर सके। और मासूम लड़कियां झूठे प्यार को सच मान अपना पैसा तो लूटा ही देती साथ साथ बहुत सी लड़कियां इज्ज़त तक लूटा देती और फिर शुरू होता ब्लैकमेलिंग का कभी ना ख़तम होने वाला सिलसिला।
ये कहानी लिखने का मकसद है ऐसी लड़कियों को आगाह करना कि किसी पर यकीन सोच समझ कर करें।
आशा है मेरी कोशिश रंग लाएगी ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल