एक बेटा ऐसा भी – कान्ता नागी

गुरप्रीत की अमृतसर में कपड़ों की एक छोटी सी दुकान थी। परिवार में पत्नी प्रीतो और पुत्र अवतार था।वह बड़ा ही मिलनसार और व्यवहार कुशल था।मंडी मे सभी ग्राहक उसकी दुकान पर ही कपड़े खरीदने आते थे।

इस प्रकार उसने अमृतसर में ही अपनी मेहनत के बल पर एक बड़ा शो रूम खरीद लिया।उसका बेटा अवतार बचपन से ही आज्ञाकारी और होनहार था,जिसमे प्रीतो ने अच्छे अच्छे संस्कार भरे थे गुरप्रीत भी कभी कभी उसे अपने साथ दुकान में ले जाता था।

अवतार ने बारहवीं की परीक्षा के बाद बिजनेस मे डिप्लोमा प्राप्त किया, जिससे वह अपने पापा जी को व्यापार मे मदद कर सके।

अवतार अपनी मेहनत के बल पर एक सफल व्यापारी बन गया पिता पुत्र दोनों अब देश -विदेश मे कपड़ों का आयात निर्यात करने लगे। अवतार की मेहनत और काबिलियत देखकर गुरप्रीत और प्रीतो के मन मे उसका विवाह करने का विचार आया।

एक दिन उसकी दुकान मे उसके बचपन का मित्र मंजीत आया। उसने अवतार को देखकर अपनी बेटी जीतो का विवाह उसके साथ करने का प्रस्ताव रखा,जिसे गुरप्रीत ने मान लिया।

दोनो मित्रों ने अवतार और जीतो की चट मंगनी और तीन दिन बाद गुरुद्वारे में जाकर उनका विवाह कर दिया।

अवतार और गुरप्रीत दोनो ही सुबह नाश्ता करके दुकान चले जाते और दोपहर को खाना खाने आते थे।एक दिन   अचानक गुरप्रीत के पेट मे दर्द होने लगा, अवतार अपने पापा जी को डाक्टर के पास ले गया जिसने उन्हें साधारण भोजन खाने की सलाह दी।




अवतार की पत्नी जीतो गरिष्ठ (जिसमें घी तेल और मसाला)भोजन बनवाती थी। उसने एक दो दिन तो पापा जी के लिए साधारण भोजन बनवाया पर तीसरे दिन कामवाली मुनिया को मना कर दिया।किसी काम के लिए जब प्रीतो रसोई मे गई तो वहा गुरप्रीत का खाना नही बना हुआ था,जब उसने मुनिया से पूछा -बाबूजी का खाना क्यों नही बनाया?

मुनिया ने कहा -बीबी जी ने मना कर दिया?

यह सुनकर प्रीतो जल्दी जल्दी गुरप्रीत के लिए खाना बनाने लगी क्योंकि उन दोनों के आने का समय हो चुका था। इतने मे अवतार मम्मी को खोजते हुए रसोई मे खाना बनाते देख सारी बात समझ गया।

अब अवतार रोज आफिस से सीधा मम्मी पापा जी से मिलने आता और वही चाय नाश्ता करके घर वापस जाता। गुरप्रीत की तबीयत भी पहले से बेहतर हो गयी थी।

नये घर मे जीतो को आजादी तो थी पर

बाजार आटो से ही जाना पड़ता था। अवतार भी अपना अधिक समय अपने माता पिता के साथ ही बिताता था, इसलिए वह अपने आप को अकेला अकेला महसूस करती थी।

जब उसने अपने अलग होने की बात अपनी मां को बताई तो उसने कहा -उसे  पापाजी और मम्मी जी से माफी मांगने जाना चाहिए वरना वह उससे कभी बात नही करेगी

अंत मे उसने मन ही मन एक निश्चय किया कि वह अवतार का भी इंतजार ना करके सीधा मम्मी पापा जी के पास जाकर अपनी भूल के लिए माफी मांग




लेगी।ऐसा सोच वह अपने पुराने घर गई,वहा सभी आपस मे हंसी मजाक कर रहे थे।जीतो ने प्रीतो और गुरप्रीत। के पैर छूकर जैसे ही माफी मांगी,वह अवतार से बोली -पुत्र हमनें इसे माफ कर दिया अब तू भी इसे माफ कर दै?

इस प्रकार अवतार ने मम्मी की बात मान ली और सभी मिलजुलकर रहने लगे।

स्वरचित

कान्ता नागी

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