एक अनोखा शुभ विवाह – अर्चना खण्डेलवाल: Moral Stories in Hindi

सतीश जी सुबह की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे, मालती जी दो चाय के कप लेकर आ गई, और एक कप उठाकर घूंट -घूंट पीने लगी।

इतनी चुप क्यों हो? सतीश जी ने अखबार के पन्नों से नजर हटाकर पूछा, वो सोना के विवाह की चिंता हो रही है, ससुराल और मायके में सबके बच्चों के विवाह हो गये, सोना से छोटे भाई-बहनों के भी विवाह हो गये, बस हमारी सोना के हाथ पीले हो जाएं तो मैं भी गंगा नहा लूं, मालती जी ने आहें भरते हुए कहा।

ओहहह! तो ये बात है, उसका अब करियर बन गया है, अच्छी कंपनी में नौकरी लग गई है, अब अच्छा लड़का मिलेगा, तभी तो शुभ विवाह करेंगे, फिर तुम जो अपने मायके और ससुराल के बच्चों की शादी की बात कर रही हो, उन सब बच्चियों ने मामूली पढ़ाई की है, कुछ ने पूरी पढ़ाई भी नहीं की और घरवालों ने शादी कर दी, वहीं बच्चे अपने पिताजी की दुकान संभालते है, तो कर दी शादी।

हमारी सोना ने उच्च शिक्षा हासिल की है, मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करती है, अपने पैरों पर खड़ी हुई है, तो अब विवाह करना होगा तो वो भी हो जायेगा, इसमें इतनी चिंता की क्या बात है?

आपको तो किसी चीज की चिंता नहीं है, बेटी की मां हूं, मुझे तो लगता है कि सही समय पर बेटी का विवाह हो जाएं, इसका घर बस जाएं, और आजकल विवाह के लिए कितनी तैयारी करनी होती है, पहले तो लड़का ढूंढो वो भी आजकल की लड़कियों को जल्दी पसंद नहीं आता है, दूसरा उनके कपड़े लो, विवाह के लिए लहंगा, जेवर बनवाने होते हैं, प्री वेडिंग शूट, उसके बाद हल्दी, मेहंदी के कार्यक्रम, उसके बाद महिला संगीत के लिए नाच-गाना सीखना, पार्लर जाकर मेकअप करवाना, साथ ही हेयर स्टाइल बनवाना, इन सबमें कितना समय लगता है, कितना पैसा लगता है,  महीनों पहले रिसोर्ट बुक करना होता है, या डेस्टिनेशन विवाह करें तो उसकी भी तैयारी करनी होती है, और आपको इन सबकी जरा भी चिंता नहीं है, यहां तो लड़के का ही पता नहीं है।

सतीश जी मुस्कराते हैं, हमारी बेटी अनोखी है तो वो विवाह भी आम लड़कियों की तरह नहीं करेंगी, अनोखा विवाह करेगी, उसमें किसी को कोई तनाव लेने की जरूरत नहीं होगी, विवाह के लिए लड़का कल घर आ रहा है।

क्या कहा!! आपने कोई लड़का देखा है, मुझे बताया भी नहीं, मालती जी उत्साह से बोली।

अभी तो मैंने भी नहीं देखा, सतीश जी धीरे से बोले, और कल का इंतजार करने लगे।

अगले दिन शाम को सोना सौरभ को लेकर आई, जो उसी की कंपनी में काम करता है, सौरभ काफी सुशील और अच्छे परिवार का लड़का था,  सोना और सौरभ दोनों एक-दूसरे को कुछ महीनों से पसंद करने लगे थे, सौरभ के घरवाले काफी खुले और आधुनिक विचारों के थे, उन्हें सोना पसंद थी, बस सोना के घरवालों की मंजूरी बाकी थी।

मालती जी एकदम से चौंक गई तो सोना बोली, पापा को सब पता था।

सौरभ को देखकर मालती जी खुश हो गई, इतना अच्छा लड़का देखकर उनकी बांछे खिल गई।

काफी देर तक बातें करने के बाद उन्होंने सौरभ के मम्मी -पापा को भी बुलाने का न्यौता दिया।

सौरभ तुरंत बोला, आंटी जी आप कल सबके साथ घर आइये, हमारा घर-बार देखिए और परिवार वालों से भी मिल लीजिएगा।

लेकिन बेटा, पहले समधन जी हमारा घर परिवार देख लेती, हम आयेंगे….वो थोड़ा हिचकते हुए बोली।

आपको तो देखना ही होगा, आखिर विवाह के बाद आपकी बेटी वहां रहने वाली है।

अगले दिन मालती जी सपरिवार सौरभ के घर पहुंची, सबसे मिली, घर-बार देखा और रिश्ता तय कर लिया।

सौरभ की मम्मी बोली, सब कुछ अच्छे से हो गया, लेकिन बच्चों की एक शर्त है कि वो विवाह अपनी मर्जी, अपने तरीके से करेंगे, ये सुनते ही मालती जी सहम गई, मतलब…..?

समधन जी चिंता मत कीजिए, दोनों बच्चे समझदार है, अपने पैरों पर खड़े है, तो अपने हिसाब से अपना विवाह करेंगे, आपको तनाव लेने की जरूरत नहीं है।

सौरभ के पापा ने समझाया।

मालती जी हैरान थी, क्यों कि सोना ने कोई जेवर नहीं बनवायें, मम्मी, जेवर में बाद में अपने हिसाब से खुद ले लूंगी, और वो ही लूंगी जो मुझे पहनने है, लॉकर में जेवर रखने के लिए मैं आप सबका बोझ नहीं बढ़ाना चाहती हूं, आपने मुझे पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा कर दिया,यही सबसे बड़ा गहना मैं अपने मायके से लेकर जा रही हूं, सौरभ ने भी हामी भरी।

मम्मी, मैं खुद पांच सालों से कमा रही हूं, मैंने काफी बचत की है, और उन्हीं पैसों से विवाह होगा।

हां, मम्मी जी आपको तनाव लेने की जरूरत नहीं है, सोना और मैं हम दोनों मिलकर खर्चा करेंगे, सौरभ ने समझाया।

हमारा विवाह दिन में होगा, हमारे विवाह में साक्षात सूर्य देवता आकर आशीर्वाद देंगे, और हम कोई आतिशबाजी, कोई दिखावा नहीं करेंगे, सौरभ ने कहा।

थोड़े दिनों बाद ही विवाह के लिए दिन के समय का चयन किया गया, और विवाह किसी रिसोर्ट में ना होकर मंदिर में करवाने का निश्चय किया, हल्दी की रस्म के लिए कोई ड्रेस कोड़ नहीं रखा गया, मेहंदी के लिए भी कोई कलर कोड नहीं था, सारे रिश्तेदारों को व्हाट्सएप पर कार्ड भेज दिए गए, एक दिन पहले ही सुबह, हल्दी और मेंहदी की रस्म रखी गई।

सब लोग आ गये थे, सब बहुत खुश थे, महिला संगीत के नाम पर कृष्ण भजन करवाये गये, जिसमें सब बिना तैयारी के ही झूमने लगे।

कृष्ण भजन में काफी रात हो गई, तभी सौरभ और सोना ने सभी मेहमानों को संबोधित किया।

आप सबका इस अनोखे विवाह में स्वागत है, दरअसल आजकल विवाह करना ही बड़ा मुश्किल हो गया है, विवाह के नाम पर दिखावा ज्यादा हो गया है, उसमें कई परिवार एक दिन की झूठी शान दिखाने के खातिर कर्ज में डूब जाते हैं, विवाह एक पवित्र संस्कार है, जो फूहड़ता और अश्लीलता में बदल गया है, लोगों ने विवाह के पवित्र संस्कार को फिल्मी गानों के दायरे में ही कैद कर लिया है।

दूसरा विवाह करने के लिए जितना तनाव परिवार वालों पर होता है, उतना ही तनाव आजकल मेहमानों को होता है, हर रस्म के लिए ड्रेस कोड भेज दिया जाता है,, ओर उसके लिए अलग से खरीददारी करनी होती है, हम दोनों ने मिलकर फैसला किया था कि हमारे विवाह में सब बिना तनाव और आर्थिक बोझ के आयेंगे तो सब सच्चे मन से हमारे वैवाहिक जीवन को आशीर्वाद देंगे।

सोना और मेरा फैसला था कि हम पारम्परिक रिवाज से विवाह मंदिर में करेंगे, विवाह दिन के समय होगा, तब सभी परिजन जागे हुए रहेंगे और विवाह की हर रस्म का आनन्द लेंगे, महिला संगीत की फूहड़ता भी हमें नहीं अच्छी लगती, महीनों पहले इसके लिए नाचने की तैयारी करों जो भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तनाव का कारण बनती है, इस विवाह में जरूरी खर्च ही किया है, सोना और मैं अब दिल्ली जा रहे हैं तो वहां हम दोनों ने विवाह में बचे हुए पैसों से फ्लैट ले लिया है ताकि विवाह के बाद का जीवन अच्छे से बीत सकें।

सिर्फ एक दिन के दिखावे के लिए लाखों करोड़ फूंकने से अच्छा है, हम अपने आने वाले भविष्य को संवारें।

वैसे आप सबको भी आनंद ही आया होगा, कल दोपहर को हमारे फेरे होंगे, और आप सब हमें आशीर्वाद दीजियेगा।

सभी रिश्तेदारों के चेहरे खिल गये, सब बहुत खुश नजर आ रहे थे, कम खर्च में बिना तनाव के विवाह जो हो रहा था।

फेरों की रस्में आरंभ हुई, सोना ने लहंगे की जगह मां की खूबसूरत बनारसी साड़ी पहनी और स्वयं ही खूबसूरत मेकअप कर लिया, दोनों ने सबकी उपस्थिति में फेरे लिए, और वरमाला हुई, परिजनों ने आशीर्वाद दिया, मालती जी बहुत खुश थी, वो सोना के विवाह की जितनी चिंता कर रही थी, वो उतना ही आसानी से हो गया।

इस अनोखे और सादगी भरे विवाह की हर जगह चर्चा हुई थी, कई लोगों ने इससे प्रेरणा ली।

पाठकों, ये मौजूदा सबसे बड़ा सामयिक विषय हैं, विवाह को दिखावे के नाम पर इतना बड़ा कर दिया है कि लोग जीवन भर की पूंजी लगा देते हैं और बाद में कर्ज चुकाते रहते हैं, विवाह कम खर्च में सादगी से भी किया जा सकता है, बस एक कदम हमारे आज की पीढ़ी को उठाने की जरूरत है, बदलाव की बहुत जरूरत है, जरूरी नहीं है जो सब लोग करें वो हम भी करें, भेड़चाल से बाहर निकलकर भी कुछ सकारात्मक सोचा जा सकता है, किया जा सकता है।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खण्डेलवाल

# शुभ विवाह

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