कविता आज भी तुमसे मिलने नहीं आई देव?
शिखा ने पूछा तो देव थोड़ा खिसिया गया,उसे बर्दाश्त नहीं था कि कोई उसकी कविता के बारे में कुछ बात
बनाए।
नहीं..उसकी तबियत ठीक नहीं होगी नहीं तो वो ऐसा कभी नहीं करती…बहुत विश्वास से कहा देव ने।
कल ही तो अपने फ्रेंड्स के साथ पिकनिक पर घूमने गई थी वो….कमाल है!तुमसे क्यों बच रही है?समझ नहीं
आया मुझे। शिखा ने आग लगाई देव के मन में।
आए दिन शिखा, देव को कविता के खिलाफ पट्टी पढ़ाती रहती और देव चूंकि शिखा को बहुत अच्छा और
अपना सच्चा मित्र मानता था तो न चाहते हुए भी उसकी हर बात को सच मान लेता।
कुछ संयोग भी ऐसे बने कि उसे शिखा की बातें सच ही लगातीं।उसी दिन जब देव ने कविता को फोन किया
और पूछा कि कल क्यों नहीं आई तुम तो वो बोली….फीवर था मुझे देव!
और फीवर में तुम पिकनिक चली गई?देव ने गुस्से में पूछा..मुझे बेवकूफ बनाती हो?संबंध तोड़ना है तो वैसे ही
तोड़ दो।
क्या हुआ है तुम्हें देव?तुम तो ऐसे कभी नहीं बोलते,जरूर तुम्हें किसी ने मेरे खिलाफ पट्टी पढ़ाई है..कविता
रुआंसी होकर बोली।
तो तुम्हीं सच्चाई बता दो…क्या तुम कल पिकनिक नहीं गई?
गई थी लेकिन फिर मुझे फीवर हो गया तो बीच में ही लौट आई..इसी वजह से नहीं आ पाई और सॉरी तुम्हें
मेसेज भी नहीं कर पाई क्योंकि नींद की गोली लेकर सो गई थी कल मैं।
ओह!अब ठीक हो?देव को अपनी गलती नजर आई।
पर तुम्हें किसने भड़काया है मेरे खिलाफ?कविता आवेश में बोली।कहीं शिखा ने तो नहीं,वो मुझे भी तुम्हारे
खिलाफ उल्टा सीधा भड़काने की कोशिश कर रही थी एक दिन लेकिन मैंने उसे डांट कर भगा दिया था।
क्या सच में? देव चकित था…क्या कहा उसने मेरे लिए तुमसे?
छोड़ो!जाने दो!बेकार में तुम्हारा बीपी बढ़ जाएगा..अब हम समझ गए हैं तो उससे बच के रहेंगे..वो नहीं चाहती
कि हम एक हों,हमारी दोस्ती में दरार डालना चाहती है वो हमें एक दूसरे के खिलाफ पट्टी पढ़ाकर।
तो उसको सबक सिखाएं मिलकर?देव गुस्से से बोला।
हम क्यों किसी के मुंह लगें बस किसी दिन अपनी दोनों की इंगेजमेंट डेट अनाउंस कर देना,जलने वालों कर्मा
पर तमाचा खुद ही पड़ जाएगा,सारी पट्टियां पढ़ाना भूल जाएगी उस दिन से।
ये खूब कहा…फिर जल्दी ही ऐसा करता हूं।देव अब खुश और संतुष्ट था,उसकी और कविता की समझदारी से
एक ख़ूबसूरत रिश्ता टूटने से बच गया था।
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
वैशाली
पट्टी पढ़ाना(गलत राय देना)