अनामिका सोती हुई छोटी सी बच्ची लग रही थी , उसके घुंघराले बाल गालों को चूम रहे थे , गुलाबी होंठ सपने में हिल रहे थे । मोहित की इच्छा हुई कि सपने में हँसते होठों को हौले से छू कर जगाए , लेकिन दूसरे ही पल उसे अनामिका की बात याद आ गई ,जो उसने शादी के पहले कही थी , तुम कभी मेरी मर्जी के बिना मुझे छू नहीं सकते , समझे तुम । मोहित ने शर्त मान लिया था।
मोहित को याद आया ,वो कितने सुहाने पल थे , उसके जीवन में पत्नी बैशाली थी , सुंदर ,नेक और प्यार करने वाली बैशाली । वो जान बूझकर उसे चिढ़ाने की कोशिश करता पर हमेशा मुस्कुराती रहती । शादी के छः महीने बीते थे , वैशाली अपने मायके भागलपुर गई , जिसमें उसके भाई , लेने आए थे । बैशाली के माता —पिता की शादी की पचासवीं सालगिरह थी , मोहित आज भी सोचता है काश ! ऑफिस के काम से कोलकाता नहीं जाना होता तो, वो अपनी बैशाली के साथ जाता और साथ ही लेकर आता ।
सालगिरह मनाने के बाद सभी का मिलजुल कर कार्यक्रम बनारस घूमने का था ,किंतु दूसरे ही दिन अचानक से बैशाली के सीने में काफी तेज दर्द हुआ, रात में पापा ने कहा — चलो बेटा डॉक्टर से दिखाते हैं, किंतु उसने कहा ,ठीक हो जाएगा । रात में थोड़ी बेचैनी हुई और भाई ने किसी तरह अस्पताल पहुंचाया ,
किन्तु डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। दूसरे दिन कोलकाता में मोहित को कॉल आया कि बैशाली सीरियस है, वो सारे काम छोड़कर भागता आया ,लेकिन वो उसकी प्रतीक्षा नहीं कर पाई थी। वो काल का क्रूर हिस्सा उसकी जीने की सारी उम्मीदें तोड़ दिया था। मोहित तीन वर्षों तक अकेला रहा , नौकरी करता और खामोश रहने लगा था ।
तीन महीने पहले अनामिका उसकी ऑफिस में एच. आर . बनकर आई । ऑफिस के कामों में वो खुद को इतना उलझाए रखता कि घर न जाना पड़े ।
घर के हर हिस्से में उसे बैशाली की यादें परेशान करतीं।
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अनामिका सुलझी हुई स्त्री थी , उसकी एक तीन साल की बेटी थी, प्रेम विवाह था , किंतु बच्ची के होने के बाद विक्रम उसकी नौकरी छुड़वा दिया , बात बात पर हाथ उठाने लगा , जब बात असहनीय हो गई तो उसने अलग होने का फैसला किया । अनामिका के पापा नहीं थे, मम्मी को ब्रेन ट्यूमर था , मोहित उसकी मदद करता रहता था ,
फिर दोनों साथ बैठकर बातें करते थे,किंतु अनामिका में हर पुरुष के अंदर उसके पति की छवि दिखती और वो कांप जाती। मोहित ने कभी उसपर किसी तरह का दबाव नहीं डाला ,किंतु बॉस के समझाने पर दोनों ने एक दूसरे का सहारा बनना सही समझा , अनामिका ने कहा पहले अपनी मां का ऑपरेशन करवाएगी , किंतु बहुत समझाने पर कोर्ट मैरेज के लिए राजी हुई ।
उधर मोहित के घर मधुबनी बिहार में उसके लंबे चौड़े परिवार ने दोनों के आगमन पर स्वागत की तैयारियां की थीं। माँ ने रिसेप्शन देने के लिए पूरी तैयारी की थी।
इन्हीं विचारों में खोया मोहित सोचने लगा ,आखिर अनामिका पुरुषों से इतना क्यों डरती है,क्या कारण है ? किंतु वो सोचता है, मुझे अगर जीवन भर भी इंतजार करना पड़े तो कर लूंगा ,किंतु कभी भी इसे नाराज नहीं करूंगा । अन्नू उठो , चाय पी लो । उसने अनामिका को जगाया ,फिर कहा चलो तैयार हो जाओ ,घर चलना है ,जल्दी निकलेंगे तो शाम होते ही पहुंच जाएंगे।
अनामिका रूआंसा हो गई , मोहित क्या नैना मेरी बेटी भी चलेगी ? मैंने उसे सहेली के पास रख दिया है ,मैं उससे अलग कभी नहीं रही । कहकर फफक पड़ी ,इसलिए दूसरी शादी मैं नहीं करना चाहती थी , मोहित ने कहा ,अन्नू उठो चलो ,पहले नैना को लाते हैं,फिर चलेंगे । तुम मुझे इतना छोटा समझती हो, मैं तुम दोनों को अलग कर दूँगा ?देखो अन्नू मैं ये तो नहीं कहता ,कि बैशाली जितना प्यार दूँगा,किंतु तुम्हारे स्वाभिमान पर कभी आँच आने नहीं दूंगा।
अनामिका जल्दी से नाश्ता बनाकर हरी साड़ी पहनकर तैयार हो गई , दोनों सबसे पहले नैना को लाने गए ।
उसी दिन शाम को मोहित के घर पर खूब सजावट हुई , गांव के लोगों का आना हुआ । हल्के नीले रंग के शेरवानी में मोहित गजब ढा रहा था , उसकी गोद में नैना डॉल सी लग रही थी , तभी जयपुर वाली बुआजी बोल उठी ,मोहित , बिटिया तो तुम्हारी ही कॉपी है , अनामिका घूंघट से मोहित को देखकर हंस पड़ी। दोनों घर पर सप्ताह भर रहे , घर में सत्यनारायण भगवान की कथा हुई ।
सासु मां नैना को अपने साथ दिनभर रखतीं, वो भी काफी हिलमिल गई । शनिवार को मोहित देर तक सोता रहा ,अनामिका जब जगाने गई तो देखा अरे आपका बदन तो तप रहा है, तुरन्त अम्मा को बताई डॉक्टर को दिखाया गया।
अनामिका मोहित के सिर पर पट्टी देती हुई बोली आप मुझे माफ कर दीजिए, मेरी पहली शादी के इतने कड़वे अनुभव थे ,कि मैं आपको कभी सच्चे मन से अपना ही नहीं पाई । अम्मा और घरवालों का प्यार देखकर मैं बहुत शर्मिंदा हूं, आपसे सच कहती हूं मुझे लगा था,आप नैना को नहीं अपनाएंगे, मोहित अपने हाथ को उसके हाथों में लेकर बोला अन्नू हमारा और कोई बच्चा होगा ही नहीं ,सिर्फ नैना ही रहेगी , मैं ये पहले ही फैसला कर चुका हूं , अन्नु के आंसू मोहिते के हाथों पर टपक पड़े , सारी गलतफहमी दूर हो गई, दोनों ने अपनी नैना के साथ नए जीवन की शुरुआत की ।
सिम्मी नाथ