आओ ना शालू…
बच्चे सो गए हैं ..
थोड़ी देर मेरे पास आओ…
पति शैलेश ने अपनी पत्नी शालू से कहा ..
नहीं यार ,,बहुत थक गई हूं जानू …
फिर सुबह ऑफिस भी जाना है..
कल बात करेंगे …
वैसे भी तुम्हें पता है, आज मैं किटी में भी गई थी ….
तुम्हे एक बात बताऊं शैलेश …
हां बोलो शालू,सुन रहा हूँ मैं …
उत्सुकता में कहते हुए शालू शैलेश के पास आ गई…
हां बोलो…
क्या कह रही थी…
शैलेश ने शालू के बालों में हाथ फिराते हुए कहा…
आज की किटी में ना शैलेश सब लेडिस इतने अच्छे-अच्छे कपड़े पहन कर आई थी…
एक से एक स्टाइलिश ड्रेस, ब्रांडेड ….
मैं तो उनके कपड़े ही देख रही थी…
तुम्हारे पास भी तो है इतने कपड़े …
उनमें से पहन लिया करो …
वैसे तो खैर मुझे यह किटी विटी पसंद नहीं …
लेकिन तुम्हें जाना है तो तुम जा सकती हो…
यार हम भी ना इंटीरियर करवाएंगे …
और स्टाइलिश पर्दे ,सब कुछ एकदम स्टाइलिश होगा हमारे घर में….
जैसा सभी के घरों में होता है आजकल …
मुझे बहुत ही ऑकवर्ड लगता है ,जब मैं लोगों के साथ जाती हूं…
शालू शैलेश को कन्वेंस करते हुए बोली…
ठीक है तो..
तुम्हे जिसमें खुशी मिले वो कर सकती हो ..
शैलेश ने शालू के चेहरे पर हाथ फेरते हुए बोला….
थैंक यू शैलेश…
फिर शैलेश शालू को अपनी बाहों में ही भरने वाला था..
तभी शालू ने फिर मना कर दिया…
बहुत स्मेल आ रही है तुमसे…
तुम आज आकर नहाये नहीं हो…??
ठीक है ..
सो जाओ तुम…
तुम्हारा मन नहीं है आज शायद …
यह बोल शैलेश ने करवट ले ली…
और शालू भी गहरी नींद में सो गई …
अब दिन पर दिन शालू में नया-नया बदलाव आ रहा था…
उसे दिखावे की जिंदगी पसंद आ रही थी …
वह शैलेश से पैसे मांगती..
अब तो एटीएम भी शैलेश का अपने साथ रखने लगी थी वो…
उसने घर का इंटीरियर भी करवा लिया था…
तरह-तरह के स्लीवलेस कपड़े, मिडी, जींस शर्ट हर तरह के कपड़े पहनकर ही पार्टी में जाती ,और देर रात आती…
ऐसा भी कई बार होता शैलेश को ही बच्चों को देखना पड़ता….
कई बार वह झल्ला भी जाता…
लेकिन शालू के चेहरे की खुशी देखकर ज्यादा कुछ ना कहता…
लेकिन आजकल तो शालू शैलेश को प्यार भी नहीं दे रही थी…
ज़िसका वह हकदार था …
क्योंकि वह अपनी जिंदगी में मस्त थी…
और शायद उसे पहले जैसा इंटरेस्ट भी नहीं रहा था…
आज शैलेश का मन नहीं माना तो उसने शालू के साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की…
यह क्या कर रहे हो तुम…??
तुम तो ऐसे नहीं थे…
मैंने कहा ना,,मेरा मन नहीं है…
मैं थक जाती हूं पूरे दिन घर के काम रहते हैं मुझे…
कभी स्कूल से लेकर आओ बच्चों को, छोड़कर आओ, उसके बाद मेरी पार्टी रहती है.. ऑफिस भी रहता है …
घर आकर भी काम…
तुम्हें क्या है ,,सुबह गए और शाम को आए …
मुझे नहीं पसंद यह सब…
अब क्या तुम्हें यह सब नहीं पसंद …
तो क्या पसंद है तुम्हें ..??
कुछ नहीं…
सो जाओ…
मेरा मूड नहीं है इस समय बात करने का….
शालू मेरी एक बात सुनो…
हमारे रिश्ते में दरार आती जा रही है…
तुम कई दिनों से मुझे इग्नोर कर रही हो …
जो अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा है…
मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं …
इसलिए ही तुम्हारी बदतमीजी देख रहा हूं …
मुझे पसंद नहीं आता ,,तुम इतने छोटे-छोटे कपड़े पहन कर पार्टी में जाती हो…
सभी देखते हैं…
तो इसमें क्या बात है …??
आजकल सभी ऐसे रहते हैं …
अगर तुम्हें यह सब पसंद नहीं तो यू कैन लीव मी….
व्हाट…??
क्या कह रही हो तुम …
अच्छा तो तुम्हें अभी दिखावे की जिंदगी पसंद आने लगी है…
देखता हूं …
कब तक अकेले रह सकती हो ..
ठीक है ,तुम अकेले रहो..
मैं मां के पास चला जाऊंगा दोनों बच्चों को लेकर …
अब तो शालू के चेहरे पर मुस्कान आ गई वह इसी बंधन से मुक्त होना चाहती थी…
जो उसकी आजादी में अड़चन बन रहा था …
अब तो बच्चे भी मेरे साथ नहीं है…
अब तुम बिल्कुल फ्री हो…
मनचाही जिंदगी जी सकती हो…
अगले दिन ही बिना बोले शैलेश जाने को हुआ…
फिर उसका मन नहीं माना…
तो शालू के पास आया ..
शालू एक बार और सोच लो…
अगर मैं गया तो कभी वापस नहीं आऊंगा …
मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है…
शालू मन ही मन सोची, मुझे इतना प्यार करता है …
यह मुझे छोड़कर कभी नहीं जाएगा हमेशा के लिए …
शैलेश चला गया था दोनों बच्चों को लेकर…
दो-चार महीने गुजरे …
शालू जितनी मौज मस्ती कर सकती थी,,वह खुलकर जी रही थी…
पर अब शालू को खालीपन काटने को दौड़ रहा था…
आसपास के लोग भी तरह -तरह की बातें करते थे…
कि शायद बच्चे और भाई साहब चले गए हैं …
मेरा ऑफिस यहां से दूर है…
इसलिए मैं नहीं गई …
शालू इस तरह के बहाने बनाती रही …
लेकिन धीरे-धीरे सभी लोग समझ रहे थे ..
कि ना कोई कभी आता है, और शालू के चेहरे में भी वह चमक नहीं रही थी ,, उदास रहती …
वह शैलेश को फोन लगाती …
कई बार फोन ना उठता …
लेकिन था तो पति ही ,एक पत्नी का वफादार पति …
उसने फोन उठाया …
हां बोलो क्या बात है शालू …??
ठीक तो हो, , कोई तकलीफ हो तो बताना …
मैं तुम्हारे अकाउंट में पैसे भेज देता हूं …
तुम्हें पैसे की भी कोई दिक्कत नहीं आ रही होगी …
आराम से अपनी kitty party एंजॉय कर रही होगी…
कोई दबाव नहीं है …
अच्छा लग रहा है ना शालू…??
मैं ,,शैलेश..
तुम वापस आ जाओ…
क्या कहा फिर से कहना …??
तुम्हें तो मुझमें से बदबू आती है…
तुम्हें मेरे साथ नहीं रहना …
एक बार और सोच लो …
क्या तुम मेरे बिना खुशी से रह रहे हो शैलेश…??
जब तुम रह सकती हो , तुम्हारी खुशी के लिए रहना ही पड़ेगा…
ना चाहिए ..
ऐसी खुशी, ऐसी किटी पार्टी …
वेरी वेरी सॉरी शैलेश …
i can’t leave without you and my children…
प्लीज कम बैक …
शैलेश शालू की दर्द भरी आवाज से पिघल गया…
तो पगली, मैं भी कहा तेरे बिना रह पा रहा हूं…
कैसे-कैसे एक -एक रात काट रहा हूं …
तुम समझ सकती तो मुझे इतना दर्द नहीं देती …
तो आप क्यों नहीं आ जाते अपने घर…
दो-चार थप्पड़ लगा देते…
अकल ठिकाने आ जाती मेरी…
सामने ही मौजूद हूं शालू…
यह क्या घर के बाहर ही बच्चे और शैलेश खड़े थे …
शालू ने झट से दरवाजा खोला…
mumma आप इतने दिन से हमसे मिलने क्यों नहीं आए…?? दोनों बच्चे रोते हुए अपनी मां से लिपट गए ..
अब बच्चों तुम्हें अपने से दूर जाने ही नहीं दूंगी…
शालू दोनों बच्चे को बाहों में भर बहुत देर तक आंसू बहाती रही…
आज शालू शैलेश की पसंद की नाइटी पहन कर कमरे में आई थी…
और बहुत ही खूबसूरत लग रही थी …
और खुद को शैलेश की बाहों में समा देना चाहती थी …
क्यों आज किटी पार्टी में नहीं गई थी…??
थक गई होगी…
सो जाओ…
शैलेश ने मजाकिया अंदाज में कहा…
अब no किटी,,
मेरी किटी मेरा सब कुछ अब मेरे बच्चे और मेरे जानू है…
हां कभी समय हुआ तो देखा जाएगा …
लेकिन इन सब चक्कर में मुझे नहीं पड़ना है अब…
दोनों हमसफर एक दूसरे की बाहों में समा चुके थे …
और एक डगमगाया हुआ रिश्ता फिर पटरी पर आ चुका था…
दिखावे की जिंदगी कई बार रिश्तो को खराब कर देती है…
लेकिन अगर पति-पत्नी समझ के साथ काम ले तो तो शायद यह रिश्ता कभी न टूटे…
बुढ़ापे में काम तो एक दूसरे के वही दोनों आएंगे….
बच्चे तो अपनी जिंदगी में मस्त हो जाते हैं..
विचारणीय है ..
एक बार मंथन अवश्य करें…
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
स्वरचित
अप्रकाशित