दिखावा – प्रीती सक्सेना

 सुधा मेरी पड़ोसन है,, काफ़ी लंबे समय से हम एक दूसरे की पड़ोसन हैं,,, बाउंड्री वॉल, जुड़ी होने से कई बार एक दूसरे से मिलना हो जाता,, थोडी बाते भी हो जाती।

 

सुधा के पति का व्यापार था,, मेरे पति नौकरी पेशा हैं,, ज़रूरत से ज्यादा शौकीन है,, सुधा ,खरीददारी की,, अच्छा  खासा खर्च करवाती है पति से,,, हम बजट बनाकर चलने वाले,,, फिक्स आमदनी,,, हिसाब किताब से चलाते,,, खुश रहते।

 

       सारे घर में उसने सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे,, सुरक्षा की बेहतरीन व्यवस्था कर रखी थी,,, मुझसे भी कहती,, मैं टाल जाती,, मैं घर पर ऐसा कुछ नहीं रखती,,, कहीं जाती हूं तो,,, इनके ऑफिस का  एक कर्मचारी आता है,,, यहीं रुकता है,, इसलिए मैं निश्चिंत रहती हूं।

 

       हुआ यूं कि,,,, सुधा के घर रात के खाने पर कुछ मेहमान आने वाले थे,, कुछ खाना घर पर बनाया,,, उसके घर रसोई बनाने,,, एक महिला आती थी,, कुछ खाना होटल से मंगाया,,, बडे़ से फ्रिज में सारा खाना रखकर वो कुछ गहने निकालने,,, बैंक चली गई,,, वहीं से कुछ और खरीददारी करके,, करीब दो घंटे बाद लौटी,,,, ताला खोला,,, जैसे ही अंदर आई,,,, तो देखा,, सारा सामान इधर उधर फैला पड़ा है,,, समझते देर न लगी,,, घर में चोरी हो गई है,,,,, चीखते बाहर दौड़ी,,,, सारे पड़ोसी बाहर आ गए,,, एक ने तो पुलिस को फोन भी कर दिया।

 


     सुधा के पति भी आ गए,,, अंदर आने पर ,, देखा,, पूरा घर का सामान उलट पलट के रख दिया है,,, चोरों ने,,, साथ ही फ्रिज से बाहर निकालकर खाना भी खाया गया है,,,, सुधा का चेहरा रोया रोया हो गया,,, मैं उसे लगातार दिलासा दिए जा रही  थी ।

 

      पुलिस को सुधा के पति ने ,,,, चोरी किए हुए सामान की पूरी जानकारी दी। पुलिस ने भी पूरी तहकीकात की,,, और चली गईं।

 

     हम भी घर आ गए,,, सुधा को खाना खाने,,,, बुलाया भी ,,,पर मना कर दिया उसने,,, मैं भी उसके मन की हालत समझ रही थी।

 

    दूसरे दिन पेपर में उसके घर की चोरी की ख़बर छपी थी,,,, जिसमे लिखा था,,, गहनें ,,, कैश ,, घर में बिल्कुल नहीं था,,, गृह मालिक की, समझदारी से,,,, ये नुकसान होने से बच गया,,,, पर सीसीटीवी की फुटेज देखने पर,,, पर पता चला,,, चोरों ने खाने पर जमकर हाथ साफ किया,,,, और बोलकर गए,,, कितने फटीचर,,, कंगाल लोग हो,,,, तुम लोग,,,, कुछ माल नहीं मिला।

 

     मैं तुरंत सुधा के घर गई बधाई देने की,,,, कुछ नुकसान नहीं हुआ उसका,,,, पर मैं ताज्जुब में पड़ गई,,, उसकी बाते सुनकर,, आप भी सुनिए,,, अरे यार ,,,, सारा इंप्रेशन ही डाउन हो गया,,, लोग क्या सोचते होंगे,,, कितने गरीब टाइप के लोग हैं,,, इनके घर चोरों को  कुछ नहीं मिला,, अरे कुछ जाता,,, तो शान से तो बताते की,,,,, ये ये गया ,,, बता अब तो बताने में भी शर्म आ रही है कि,,,, कुछ नहीं गया,,,, अरे खाना खा गए,,,, उसी की तारीफ़,, कर जाते,, आख़िर मैने फाइव स्टार होटल से मंगाया था,,, मैं ,,, उसे आंखे फाड़े,,,, गौर से देखती रह गई,,, और सोचती रही,, वाह री दुनिया,,,, इतना दिखावा?????? 

 मैं सोच ही नहीं पाई,,, दुख प्रदर्शित करके जाऊं या खुशी???? 

 

आप बता सकें तो,,,, प्लीज,,, मुझे जरुर बताइएगा।

 

प्रीती सक्सेना

इंदौर

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