देश में निकला होगा चांद – मुकेश पटेल

शांति के बेटे की इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म होते ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में अमेरिका ऑफिस के लिए जॉब लग गई थी। उसका बेटा अमन बहुत खुश था क्योंकि बचपन से उसका सपना था विदेश में नौकरी करना। लेकिन अमन के मां बाप अपने इकलौते बेटे को विदेश नहीं भेजना चाहते थे वह चाहते थे कि वह इंडिया में ही रहकर अपनी देश की सेवा करें। लेकिन अमन की जिद के आगे उसके मां पापा को झुकना ही पड़ा और वो लोग तैयार हो गए अपने बेटे को अमेरिका भेजने के लिए।

वहीं बैठे बैठे शांति अपने पुराने दिनों के यादों मे खो गई आज के 25 साल पहले शांति नई नई शादी करके लखनऊ आई थी, पहली बार उसने शहर देखा था वह गांव की रहने वाली थी। उसका पति हरीश एक प्राइवेट कंपनी में क्लर्क की नौकरी करता था पहले तो वह अकेला अपने दोस्तों के साथ रहता था लेकिन शादी के बाद उसने अपना सेपरेट कमरा किराए पर ले लिया था। उसके बाद अपनी पत्नी शांति को गांव से शहर ले आया।



जहां उन लोगों ने कमरा लिया था उनके मकान मालिक अकेले ही रहते थे। पहली बार उन्होंने अपने घर को किराए पर लगाया था उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपने घर को किराए पर लगाएंगे क्योंकि उनका बेटा भी अमेरिका में इंजीनियर था और वह हर महीने पैसे भेज देता था लेकिन पिछले 6 महीने से ना उसका फोन आया और ना ही पैसा। आखिर इस बुढ़ापे में जिंदगी कैसे चलती उन्होंने फैसला किया कि छत के ऊपर का जो कमरा है वह किराए पर दे देंगे और जो भी किराया आएगा उसी से अपने घर का खर्चा चलाएंगे।

शांति के मां-बाप का देहांत बचपन में ही हो गया था और उसके मामा-मामी ने ही उसको पाल कर बड़ा किया था और उन्हीं लोगों ने शांति की शादी भी की थी शांति के ससुराल में भी शांति के सास ससुर नहीं थे। मां बाप का प्यार क्या होता है वह इससे अनजान थी जो भी प्यार मिला वह मामा-मामी का ही प्यार मिला बस एक बात अच्छी थी कि उन्होंने कभी भी शांति को तकलीफ नहीं दी बल्कि अपनी बेटी की तरह जितना भी उनकी औकात थी शांति को पाला और एक अच्छा लड़का देखकर शांति की शादी कर दी।

शांति नई नई शहर आई थी तो वह किसी को जानती भी नहीं थी जब उसका पति हरीश सुबह नौकरी के लिए निकल जाता, वह अकेले-अकेले क्या करती उसका मन भी नहीं लगता क्योंकि अभी उन लोगों के पास टीवी भी नहीं था कि वह देख पाती।

धीरे-धीरे उसकी दोस्ती अंकल आंटी से हो गई और उसके बाद तो पूरे दिन अंकल आंटी के यहां रहने लगी। वो लोग भी शांति को अपनी बेटी की तरह प्यार करने लगे। शांति को भी अंकल-आंटी में अपने मां-बाप नजर आने लगा ।

अब तो शांति ने अंकल-आंटी का खाना बनाने के लिए भी मना कर दिया था बोल दिया था कि अब आप दोनों का खाना मैं बनाऊंगी। शांति को यह तो पता था कि अंकल-आंटी का बेटा अमेरिका में रहता है और वहीं पर जॉब करता है। लेकिन यह नहीं पता था कि कि वह इनको पैसा नहीं भेजता है। शांति यह भी महसूस करती रही थी कि उनके बेटे का कभी भी फोन नहीं आता है क्योंकि वह पूरे दिन उनके साथ ही रहती है। कुछ तो गड़बड़ जरूर है उसने एक दिन हिम्मत करके अंकल आंटी से पूछ ही लिया। आंटी आपके बेटे का क्या नाम है और वह अमेरिका रहते हैं ना ? वह कभी फोन नहीं करते हैं क्या ? वह रात में करते होंगे, है ना आंटी क्योंकि मैंने सुना है कि जब हमारे यहां दिन होता है तो वहां रात होती है और वहां जब रात होती है तो हमारे यहां दिन होता है।



अंकल आंटी भी कब तक अपने दुख को छुपा कर रखते। आज उन्होंने सब कुछ शांति के सामने बयां कर दिया उन्होंने सब कुछ अपने बेटे के बारे में बता दिया।

आंटी रोते रोते बताने लगी कि सब मेरा ही दोष है उसी की सजा भुगत रही हूं। मुझे ही भूत चढ़ा हुआ था अपने बेटे को विदेश पढ़ने भेजने की। हम लोग लखनऊ में जहां पहले रहते थे हमारे पड़ोस में ही एक कमलाकांत जी रहते थे उनका बेटा विदेश में पढ़ता था तो मैंने भी अपने पति से कहा कि जब हमारा बेटा बारहवीं पढ़ लेगा तो हम भी अपने बेटे को अमेरिका पढ़ने भेजेंगे, एक ही तो हमारा बेटा है आखिर हमारे पैसे किस लिए यदि बेटा ही ना पढे तो। अंकल तो मना कर रहे थे कि मत भेजो इंडिया से बाहर एक ही तो हमारा बेटा है हमारे साथ ही रहेगा किस चीज की कमी है हमने अच्छा भला बिज़नेस खड़ा किया है उसी को संभाल ले वही बहुत है। लेकिन मैं अपनी जिद में अपने बेटे को अमेरिका पढ़ने के लिए भेज दिया । फिर क्या था वह वहीं पर किसी अंग्रेजन से प्यार कर बैठा और वही शादी कर लिया। हमने आज तक अपनी बहू को कभी देखा भी नहीं है कि वह कैसी लगती है हां कई बार फोन पर जरूर बात हुई  है। जब भी हम कहते हैं की बहू और बच्चों को लेकर इंडिया आओ तो कहता है कि अभी छुट्टी नहीं है जैसे ही छुट्टी मिलेगा हम आ जाएंगे। आज हमारे बेटे को इंडिया आए 5 साल से भी ज्यादा हो गया। हमें तो यह भी पता नहीं कि हमारा बेटा अब कैसा दिखता है। अपने बेटे को सामने से देखने का मन करता है। 6 महीना पहले तक तो रोजाना कॉल करता था और पैसे भी भेजता था। लेकिन अब ना उसका कॉल आता है और ना ही पैसे भेजता है जब हम इधर से कॉल मिलाते हैं तो उस पर कोई बात ही नहीं होती है हमें तो यह भी नहीं पता है कि हमारा बेटा अमेरिका में कहां रहता है।

दो-तीन महीने तो हम लोग बहुत टेंशन में रहे लेकिन क्या करते धीरे धीरे हमने अपनी यही नियति मान ली और हमने सोचा कि हम भूल जाते हैं कि हमारा कोई बेटा भी है अब हम दोनों प्राणी ने यही सोचा कि अब अपनी जिंदगी अपने दम पर ही गुजारेंगे इसीलिए हमने ऊपर का कमरा किराए पर देने के लिए प्रॉपर्टी डीलर को बोला था।

शांति ने जब अंकल आंटी की कहानी सुनी तो उसने अब अंकल आंटी से कहा, “अंकल आंटी अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है मैं आपकी बेटा ना सही लेकिन बेटी जरूर हूं और वादा करती हूं कि मैं जब तक रहूंगी आप लोगों को किसी भी चीज की चिंता करने की जरूरत नहीं है जो खाऊंगी वह खिलाऊंगी आज से आप दोनों मेरे अंकल आंटी नहीं बल्कि माँ बाबूजी हो।

समय के साथ ही शांति भी मां बन चुकी थी उसका पति हरीश क्लर्क से अब उसी कंपनी में मैनेजर बन गया था। उन्होंने लखनऊ में ही एक बढ़िया सा फ्लैट खरीद लिया था। जब वह लोग वहां शिफ्ट होने लगे तो अंकल आंटी को भी अपने साथ ले गए और यहां का जो घर है वह किराए पर लगा दिया। 25 साल बीत गए लेकिन अंकल आंटी के बेटा का अब तक कुछ पता नहीं चला कि वह जिंदा है भी या नहीं।

जिंदगी अपनी रफ्तार से गुजरने लगी आज शांति का बेटा 22 साल का हो चुका है और वह भी अमेरिका जाने का जिद कर रहा है लेकिन शांति फिर से वह कहानी दोहराना नहीं चाहती है जो अंकल आंटी के साथ हुआ है वह अपने साथ कभी भी होना देना नहीं चाहती है लेकिन अपने बेटे की जिद के आगे मजबूर थी करे तो क्या करें।

अगले सप्ताह शांति के बेटे की फ्लाइट थी और वह अमेरिका के लिए रवाना हो चुका था। इतिफाक से अमेरिका में उसकी नौकरी जिस कंपनी में लगी थी वहां का मैनेजर शांति के अंकल आंटी का ही बैठा था। शांति के बेटा जब अपनी टेबल पर बैठा तो एक तरफ अपने माता-पिता का फोटो और एक तरफ अपने अंकल जिसको वह दादा-दादी कहता था। उनका फोटो रख दिया।



अगले दिन मैनेजर साहब जब शांति के बेटी के पास आए उन्होंने उस टेबल पर रखे अपने माता-पिता के फोटो को पहचान गए उन्होंने शांति के बेटे राहुल से कहा, “राहुल यह किसकी फोटो है” राहुल ने कहा, यह मेरे मम्मी पापा हैं और यह मेरे दादा दादी। अब मैनेजर साहब आश्चर्यचकित थे अरे यह तो मेरे माता-पिता हैं इसके दादा-दादी कैसे हो सकते हैं मैं तो अकेला ही भाई हूं। मैनेजर साहब ने राहुल से पूछा कि तुम्हारे दादा दादी का क्या नाम है। राहुल ने जो नाम बताया वही नाम मैनेजर साहब के माता पिता का भी था। उन्होंने राहुल से पूछा कि तुम्हारे दादा दादी कैसे हुए इनका तो एक ही बेटा है जो कि अमेरिका में रहता है। राहुल ने बताया कि यह उनके सगे दादा-दादी नहीं है बल्कि उसके मम्मी पापा ने इन को गोद लिया हुआ है। राहुल मैनेजर साहब से बोला मैनेजर साहब आप यह सब कैसे जानते हैं और दादा दादी को आप कैसे जानते हैं। मैनेजर ने राहुल से पूछा सबसे पहले मुझे यह बताओ क्या यह दोनों अभी जिंदा है। हां मैनेजर साहब यह जिंदा है मैंने कब कहा कि यह मर गए। मैनेजर उसी समय सिर पकड़ कर रोने लगा और रोते-रोते बताया कि मैं ही तुम्हारे दादा दादी का अभागा बेटा हूं। मैनेजर ने राहुल को बताया कि 25 साल पहले एक फोन आया कि तुम्हारे मां-बाप का एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई है। और मुझे कंपनी से छुट्टी नहीं मिली इसलिए मैं जा नहीं पाया उसके बाद कई बार हम सोचते रहे इंडिया जाने के लिए लेकिन हम जा नहीं पाए फिर हमने सोचा कि अब वहां पर कोई है ही नहीं तो जाकर क्या करेंगे। धीरे-धीरे करके कब 25 साल बीत गए मुझे पता भी नहीं चला।



लेकिन अब मैं आज ही इंडिया जाऊंगा अपने मां बाप से मिलने, उनको अमेरिका लेकर आऊंगा। राहुल बोला मैनेजर साहब आप ही की वजह से मेरे मां-बाप भी मुझे अमेरिका नहीं भेजना चाहते थे उन्हें लगता था कि मैं भी आप ही की तरह हो जाऊंगा लेकिन मैं अपनी मां बाप को कभी नहीं भूलूंगा मैं ने हमेशा से यही सोचा है कि यह मेरा मुल्क नहीं है मैं सिर्फ यहां पर पैसे कमाने के लिए आया हूं और कुछ साल पैसे कमाने के बाद वापस अपने वतन लौट जाऊंगा।

मैनेजर साहब बोले राहुल मैं भी यही सोच कर आया था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। लेकिन अब होगा आज ही हम इंडिया जाएंगे। मैनेजर यानी अंकल आंटी का बेटा उसी दिन फ्लाइट पकड़कर इंडिया लखनऊ पहुंच चुका था। वह अपने मां बाप के चरणो में आकर गिर पड़ा उनसे रो-रो कर माफी मांगने लगा उसने बोला की मम्मी पापा हमें माफ कर दो हम माफी के लायक तो नहीं है लेकिन हमें माफ कर दो अगर यह हमें झूठी खबर भी मिली कि आप लोगों का एक्सीडेंट हो गया तो हमें एक बार तो इंडिया आना चाहिए था। अब मैं हमेशा हमेशा के लिए इंडिया वापस आ चुका हूं।

अपने मम्मी पापा को अपने साथ ले जाने लगा। लेकिन उसके मम्मी पापा ने उसके साथ जाने से मना कर दिया उन्होंने कहा बेटा हमने एक बेटा तो खो ही दिया था लेकिन अब दोबारा से एक बेटी नहीं खोना चाहते हैं हमें तुमसे कोई गिला शिकवा नहीं है तुम्हें यहां रहना है बेशक रहो तुम्हें जब हम से मिलने का मन करे आ सकते हो हम भी कभी कभी तुम्हारे घर आ जाएंगे लेकिन हम अब अपनी बेटी को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे ।

कुछ दिनों के बाद शांति का बेटा राहुल भी इंडिया वापस आ चुका था उसने भी ठान लिया था कि अब वह विदेश में नौकरी नहीं करेगा वह अपने देश में नौकरी करेगा और अपनी काबिलियत और पढ़ाई का फायदा अपने देश को पहुंचाएगा।

स्वरचित और मौलिक

मुकेश कुमार

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!