दागने ( जलाने) से अच्छा दाग़ लगना है : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi:आज काव्या बहुत खुश थी होती भी क्यो ना आज उसकी शादी जो थी । एक लड़की भले पढ़ी लिखी हो या अनपढ़ , नौकरीपेशा हो या घरेलू शादी उसके लिए एक ऐसा पल होता है जिसमे वो अपने माता पिता से दूर जाने का सोच दुखी भले होती है पर अपने भावी जीवन के ढेरों सपने भी बुनती है यही काव्या कर रही थी। सजी धजी काव्या अपनी सहेलियों और बहनो से घिरी थी । सब उसके साथ मस्ती मजाक कर रहे थे और वो कभी शरमा कर कभी मुस्कुरा कर सबको जवाब भी दे रही थी।

” चलो चलो बारात आ गई !” अचानक बाहर से आवाज़ आई तो सभी लड़कियां खिलखिलाती हुई बाहर को भागी। 

” वाह काव्या दुल्हन के लिबास मे तो तू राजकुमारी लग रही है !” काव्या खुद को आईने मे निहारती हुई खुद से ही बोली।

” हाँ और इस राजकुमारी को ब्याहने अभिमन्यु राजकुमार आ चुके है !” तभी पीछे से एक आवाज़ आई आश्चर्य और खुशी के मिले जुले भावो के साथ काव्या पलटी।

” सिद्धि तू !” काव्या ये बोल अपनी दोस्त से लिपट गई।

” हाँ मैं क्यो तुझे क्या लगा मैं आउंगी नही तेरी शादी मे अरे ये तो बंगलौर से दिल्ली की दूरी है तेरी शादी मे तो मैं चाँद पर पहुँच जाऊं !” सिद्धि मुस्कुराते हुए बोली।

” और बता तेरी जॉब कैसी चल रही वहाँ ? और तू कब शादी करने वाली है ?” काव्या उसे बैठाते हुए बोली।

” यार मुझे अभी शादी के चक्कर मे नही पड़ना !” सिद्धि बोली । तभी बाहर शोर सा होने लगा। 

” ये शोर कैसा कुछ हुआ है क्या बाहर ?” काव्या बेचैनी से बोली।

” तू टेंशन मत ले मैं देख कर आती हूँ !” सिद्धि बोली और बाहर की तरफ भागी।

बाहर आकर सिद्धि ने देखा काव्या के माता पिता परेशान से खड़े है और अभिमन्यु के पिता गुस्से मे है वो माजरे को समझने की कोशिश ही कर रही थी कि काव्या के पिता बोले।

” समधी जी तब आपने कहा था हमें कुछ नही चाहिए इसलिए हमने सब अपने हिसाब से ले लिया आप तभी बोल देते आपको बड़ी गाडी चाहिए तो हम उस वक़्त कोई इंतज़ाम कर देते किन्तु अब अचानक से कैसे होगा । आप अभी शादी हो जाने दीजिये मैं गाडी बाद मे भेज दूँगा! ” 

” देखिये पहले गाडी तब शादी हम अपनी बहू को बड़ी गाडी मे लेकर जाएंगे वरना बारात वापिस जाएगी !” अभिमन्यु के पिता गुस्से मे बोले।

” समधीजी ऐसा ना बोलिये मेरी बेटी पर दाग़ लग जायेगा फिर कौन करेगा उससे शादी मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ !” रोते हुए काव्या के पिता बोले और अपनी पगड़ी उतार अभिमन्यु के पिता के पैरो मे रखने लगे।

” ये क्या कर रहे है आप अंकल इन लोगो के कदमो मे अपने सिर का ताज़ रख रहे है जो कि किसी इज्जत के लायक़ नही है !” तभी सिद्धि ने लपक कर पगड़ी पकड़ ली और बोली।

” क्या बकवास कर रही है ये लड़की और ये है कौन ?” अभिमन्यु की माँ भड़क कर बोली।

” समधनजी नादान है ये लड़की …सिद्धि बेटा तुम जाओ यहाँ से बड़े आपस मे बात कर् रहे है ना तुम क्यो इन्हे नाराज कर रही हो !” काव्या के पिता लाचार से स्वर मे बोले।

” अंकल ये लोग अनाप शनाप मांग रख रहे है वो भी शादी से पहले ये सही नही है और आप इनके आगे झुक कर इन्हे बढ़ावा दे रहे है !” सिद्धि बोली।

” तो क्या करूँ बेटा बेटी का बाप हूँ उसकी डोली उठ जाये किसी तरह बस ये चाहता हूँ वरना जो बारात वापिस लौटने का दाग़ लग गया तो मेरी बेटी को कौन अपनायेगा !” काव्या के पिता बोले।

” अंकल दाग़ तो अभिमन्यु के भी लगेगा ना …और आप उस दाग़ से काव्या को बचाने के लिए ऐसे दहेज़ लोभियों को सौंप देंगे ?

आज इन्होने गाडी के लिए बारात वापिस ले जाने की बात की है कल ये उसे मारे पीटेंगे परसो घर से निकाल देंगे तब ? ये लालची लोग है इनके लालच का घड़ा एक गाडी से नही भरेगा आप समझने की कोशिश कीजिये !” सिद्धि बोली।

” चलो चलो बारात वापिस जाएगी हम यहां अपनी बेइज्जती करवाने नही आये !” लड़के के पिता बोले।

” ऐसे कैसे बारात वापिस जाएगी अभी तो हमने कोई खातिरदारी नही की आपकी !” तभी काव्या वहाँ आ बोली।

” बेटा तू क्या बोल रही है और यहाँ क्यो आई है तू !” काव्या की माँ उससे बोली।

” माँ सही बोल रही हूँ मैं और आप लोग मुझे इस दाग़ से बचाने के लिए इनकी मांग पूरी कर रहे है कल को दहेज़ के लालच मे इन्होने मुझे मार दिया या मैंने खुद तंग आ मौत को गले लगा लिया तो क्या शमशान घाट मे दाग़ ( जला) पाएंगे आप मुझे ?” काव्या नम आँखों से बोली।

” ये क्या बकवास कर रही है हम क्या खूनी है । चलो चलो यहां से अब तो ये गाडी क्या हवाई जहाज भी दे तब भी शादी नही होगी ऐसी बदतमीज लड़की हमारे घर की बहू नही बनेगी !” अभिमन्यु के पिता बोले और सब चलने लगे।

” सही कहा आपने पापा मुझे नही पता था ये ऐसी है वरना तो मैं कभी हाँ नही करता मैं तो इसे संस्कारी समझा था !” तभी अभिमन्यु बोला।

” तुम और तुम्हारा परिवार कितना संस्कारी है ये तो तुमने दिखा ही दिया !” सिद्धि अभिमन्यु की बात सुन गुस्से मे बोली । उसकी बात सुन सभी वहाँ से जाने लगे।

” अरे रुकिए रुकिए आपकी खातिरदारी को इंस्पेक्टर साहब पहुँचने वाले है अब एक दाग़ मेरे माथे लग रहा है तो एक दाग़ आपके बेटे के माथे भी लगना चाहिए ना ! फिर मेरे पिता ने जो इतना पैसा खर्च किया इस शादी मे वो भी तो आप देंगे ना !” काव्या बोली उसके बोलते ही लड़के वालों की हालत खराब हो गई। 

” इंस्पेक्टर का यहां क्या काम हम आपस मे भी बात कर सकते है ना !” अभिमन्यु के पिता डरते हुए बोले।

” अंकल वो बाते पहले होती है आपने जयमाला से पहले जो ये मांग रखी है ये नाजायज है साथ ही गैर कानूनी भी तो पुलिस को बुलाना तो बनता था ना आप मुझसे अपने बेटे की शादी करके कोई एहसान नही कर रहे ना ही आप पर जबरदस्ती रिश्ता थोपा गया दोनो परिवारों की रजामंदी से रिश्ता हुआ था तो अब दहेज़ की मांग क्यो !” सिद्धि बोली। 

” सही किया तुमने बेटा जो पुलिस को बुला लिया मैं पागल था जो समाज के डर से इनके आगे झुक रहा था जबकि मुझे तो अपनी बेटी के बारे मे सोचना चाहिए कल को इसे कुछ हो गया तो मैं कैसे जियूँगा।

कल को बेटी को दागने से अच्छा उसपर दाग़ लगना है क्योकि इससे मेरी बेटी सही सलामत मेरे पास तो है !” ये बोल काव्या के पिता रोने लगे काव्या उनके आँसू पोंछ उनके गले लग गई।

तभी वहाँ पुलिस आ गई लड़की पक्ष की शिकायत के आधार पर लड़के उसके माता पिता और कुछ खास लोगो को पकड़ कर ले गई। बाकी बाराती वापिस लौट गये। 

बाद मे लड़की वालों का सारा खर्च लौटाने पर और लिखित माफ़ीनामा देने के बाद सबको छोड़ा गया पर लड़के के ऊपर जेल जाने का दाग़ तो लग ही गया।

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल 

#दाग

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