छांव है कभी-कभी तो धूप जिंदगी – किरन विश्वकर्मा 

सुयश शॉप से आकर उदास से सोफे पर आकर निढाल से   होकर बैठ गए…. अंशू ने पानी दिया और रसोई में रात के खाने की तैयारी करने लगी। खाने के समय भी वह चुपचाप

खाना खाते रहे…… बच्चे भी समझ गए थे कि पापा का आज मूड सही नही है….. पर अब तो धीरे- धीरे उनका रवैया ही ऐसा होता जा रहा था…. रातों को भी जब नींद खुलती तो सुयश को जगा हुआ देखकर वह पूछती भी तो वह बात को टाल देते। कभी-कभी वह पूरी रात सो नही पाते।

एक बात तो वह बखूबी समझ रही थी कि कोरोना के कारण लगातार सब कुछ बंद रहने के कारण बिजनेस में बहुत घाटा हो गया था जिसकी भरपाई करने में बहुत मुश्किलें आ रही थी। खर्चे तो वही थे पर आमदनी जीरो हो गयी थी लोन की किश्तों को चुकाने का भी प्रेशर था और घर को चलाने का भी इसका असर अब धीरे-धीरे शरीर पर दिखने लगा था। मानसिक परेशानियों ने शरीर पर भी अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया था और वह था कि दिन में लगातार अथक परिश्रम करने के बाद भी रातों को ठीक ढंग से नींद न आना।

अब स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन दिखने लगा था और कब किस बात पर वह गुस्सा करने लगे कुछ पता नही होता था इसलिए अब हर कोई उनसे बात करने से पहले सौ बार सोचता था, इसके कारण घर के माहौल में भी नकारात्मकता आने लगी थी। सभी लोग इस बात को अच्छी तरह समझ रहे थे और चुपचाप अपने-अपने तरीके से हल निकालने की कोशिश कर रहे थे।

अंशू कभी-कभी शौकिया तौर पर कहानी और कविताएँ लिख देती थी पर अब उसने कोशिशें और तेज कर दी थी।

बेटी भी आगे की पढ़ाई को रोककर नौकरी की तलाश में लग गयी थी और बेटे ने पढ़ाई के साथ- साथ छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था।

आज जब सुयश शॉप से आये तो उदास से सोफे पर बैठ गए…..टी वी पर शाहरुख का गाना आ रहा था…..



हर घडी बदल रही है रूप जिंदगी

छांव है कभी- कभी है धूप जिंदगी

हर पल यहां जी भर जियो

जो है समा कल हो ना हो

चाहे जो तुम्हे पूरे दिल से मिलता है वो मुश्किल से

ऐसा जो कोई कहीं है बस वो ही सबसे हंसी है

उस हाथ को तुम थाम लो वो मेहरबा कल हो न हो

तभी अंशू ने बताया कि उसकी लिखी गई कहानियों में से दो कहानी विजेता कहानी हुई हैं जिसके बदले में उसे पैसे भी मिले हैं और अब मैं और ज्यादा लिखने की कोशिश करने लगी हूँ…… आप निराश न हो, यह तो जीवन है!!! इसमें धूप और छाँव तो लगी रहेगी जब छाँव थी तब हमने उस छांव का खूब मजा लिया अब जब दुखों की धूप हमें सताने लगी है तो हमें परेशान ना हो कर निडरता से इसका सामना करना होगा….निराशाओं के अंधेरों से जीवन को कभी उजाला नहीं मिलता!!! उजाला तो हमें तभी मिलेगा जब हम सब मिलकर हौसलों से इस परेशानी भरे अंधकार को मिटायेंगे। अब देखिये न मैं भी कोशिश कर रही हूँ और बिटिया ने भी जॉब ढूंढ ली है तभी बेटा भी आकर कहता

है पापा आपको सहयोग देने के लिए मैंने भी छोटे- छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया है…. अब हम सब मिलकर इन परिस्थितियों का सामना करेंगे और हंसकर करेंगे क्योंकि उदासियों के साथ जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा और हंसी खुशी इन परिस्थितियों का सामना करेंगे तो जीवन जीना आसान हो जाएगा यह कहते हुए उसने अपना हाथ पापा के हाथ के आगे बढ़ा दिया फिर सभी ने अपना-अपना हाथ अभि के हाथ पर रख दिया तुमने सही कहा बेटा…….जब तुम लोग मेरे साथ हो तो यह परेशानियां भी जल्द ही खत्म हो जाएंगे मुझे विश्वास है इस दुख भरी धूप के बाद हमारी जिंदगी में खुशियों की छांव जरूर आएगी और उसे आना ही होगा यह कहते हुए सुयश जी मुस्कुरा दिए।

किरन विश्वकर्मा (लखनऊ)

#कभी_धूप_तो_ कभी_ छाव

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