बड़े घराने की बहू – डाॅ संजु झा

हमारे पड़ोस में एक पांडेय परिवार रहते थे,उनसे हमारा आत्मीय सम्बन्ध था।उनकी पत्नी श्वेता हमारी दोस्त थी।पांडेय  परिवार  जितने ही संपन्न थे,उतने ही सभ्य भी।उनके दो बेटे थे-सुमित और सुन्दर। सुमित  देखने में साधारण  था,परन्तु पढ़ने में उतनी ही कुशाग्र बुद्धि का।उसे शिक्षा का महत्त्व पता था,इस कारण वह अपना ध्यान  पूरी तरह पढ़ाई-लिखाई में … Read more

सौतेली माॅ॑ – माता प्रसाद दुबे

रमादेवी गुमसुम उदास बैठी कमरे की दीवार पर लगी तस्वीर को एकटक देख रही थी। एक साल पहले का,आज वही दिन था..जिस दिन रवि के पापा एक दुर्घटना में परलोक सिधार गए थे। पैंतीस वर्ष तक रेलवे में गार्ड के पद पर ईमानदारी से कार्य करते हुए कुछ महीनों बाद ही वे सेवानिवृत्त होने वाले … Read more

क्या अपने सगे भी करते ऐसा धोखा….? – रश्मि प्रकाश 

सीता कुंज में आज बहार थी… घर के इकलौते चिराग़ की शादी जो होने वाली थी…. हल्दी, संगीत सब ख़ूब धूमधाम से हुआ….चारबहनों के इकलौते भाई की शादी जो थी… सबने मनपसंद कपड़े पहने हुए थे… साज सजावट देखते बन रही थी… आज शादी का दिनऔर बारात बड़ी धूमधाम से निकली… सब खूब मस्ती कर … Read more

अंतिम इच्छा – पुष्पा ठाकुर 

” मां आज खाना हमारे साइड खाना,तुम्हारी बहू ने आज तुम्हारी पसंद की चना भाजी और मक्के की रोटियां भी सेंकी है।” राघव अपनी बात को लगभग जाते जाते ही कह गया,जो देहरी पर बैठी उसकी बूढ़ी मां ने अच्छी तरह सुन भी ली थी।सुनती भी क्यों न ……….आज पूरे एक महीने बाद बड़े बेटे … Read more

टिमटिमाती आंखें – रानी गुप्ता 

दादी एक बात बताओ आप ये हर समय मुझमें  क्या देखती रहती हो?गौरी अपना गुस्सा दबाते हुए दादी से हंसते हुए पूछ ही लिया….पता है आपको मुझे अच्छा नही लगता कि कोई मुझ पर चैबीसो घंटे नजर रखे ,जबकि मैं कुछ गलत नही करती। अरे बिटिया नाराज न हो अपनी दादी से हम तुम्हाये ऊपर … Read more

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…”  – *नम्रता सरन “सोना”*

“देखो तो अनंता, ये मुझे भुलक्कड़ कहते हैं, अभी मैंने इनसे पूछा कि आपने ऑइनमेंट रखा, तो बोले भूल गया, मैंने पूछा कि, माला रखी, तो बोले भूल गया, अब तुम बताओ , भुलक्कड़ मैं हूं या यह हैं, घुटनों के दर्द का आइनमेंट भूल आए, अब वहां जाते ही लेना पड़ेगा, और माला… उसके … Read more

 बेटी होने की जिम्मेदारी – सुमन श्रीवास्तव

सुरु वो सुरु ” देखो बेटा, सुमित के कमरे की सफाई ठीक से कर देना । ऐसा न हो तेरे भईया भाभी को आने के बाद किसी किस्म की परेशानी हो और हां जिस समान की जरूरत हो बाजार से मंगवा ले। मुझे देखने के लिए कितना लम्बा सफर करके आ रहे हैं। “सुरुभि ” … Read more

रक्षा कवच – तृप्ति शर्मा

बहुत ही जिद की थी अमृत ने मां से ,मां हमें भी एक बहन चाहिए । सब दोस्तों के पास है ,सब माथे पर लाल रंग का टीका लगाते हैं। अगले साल वह भी दोस्तों में खूब शान से माथे पर राखी का टीका,उसमें चावल के कुछ दाने जो मां ने नन्ही अनन्या से लगवाए … Read more

जो साथ निभाए वह है दोस्त” – ऋतु अग्रवाल 

“सुनो जी! यह प्रभाकर भैया तो आपके साथ ही नौकरी करते हैं। फिर इनके और हमारे जीवन स्तर में इतना अंतर, मुझे समझ नहीं आता। इनके पास हमारी ही तरह कोई पुश्तैनी जमीन जायदाद भी नहीं है।” आभा ने चाय का कप विवेक को पकड़ते हुए कहा।    “हाँ! पहले मैं भी यही सोचता था पर … Read more

वहम – डॉ उर्मिला सिन्हा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :  कहते हैं वहम का इलाज हकीम सुलेमान के पास भी नहीं है और सुरेखा तो साधारण मानवी है। पहिरावा, दिखावा से भले ही वह शिक्षित,आधुनिका दिखाई देती है, परंतु बाल्यावस्था से मन में कुछ मनोवैज्ञानिक गुत्थियां अवश्य पाले हुई है।    सुबह जल्दी में थी। गृहिणियों का प्रातकाल वैसे भी बड़ा … Read more

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