प्रायश्चित – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं। गली में बच्चों की मस्ती पूरे शबाब पर थी। कभी कोई पतंग काटता, तो कोई चिल्ला कर उसकी तरफ दौड़ता। गेंदें इधर-उधर लुड़कतीं, और हर नुक्कड़ पर शोरगुल गूंजता रहता। इन्हीं सब के बीच, गली के एक कोने में एक टूटी-सी बेंच पर हर रोज़ एक बूढ़ी औरत बैठती … Read more

प्रायश्चित – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

दरवाजे की घंटी बज रही थी,, मालती जी,, आवाज सुनकर किसी तरह बिस्तर से उठी। रात से ही, उन्हें तेज़ बुखार था, उनसे उठा नहीं जा रहा था। किसी तरह वह,, उठकर दरवाजे की ओर चलीं और साथ, साथ बड़बड़ाने लगी।इतनी सुबह कौन आ गया, इतनी जल्दी, ये तो टहल कर आयेंगे नहीं। उनके पास, … Read more

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